जयपुर। भले ही बीमारी के कारण वह आम बच्चों की तरह चल फिर नहीं सकता, लेकिन जिंदगी की दौड़ में हम उम्र बच्चों से कहीं आगे निकल गया है। डीपीएस स्कूल की चौथी कक्षा में पढ़ने वाले हृदयेश्वर सिंह भाटी ने शतरंज खेलने के शौक को अनूठे अंदाज में ढाल कर ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है।
विश्व की अनूठी शतरंज डिजाइन की है, जिसमें दो, तीन, चार और पांच नहीं बल्कि छह खिलाड़ी एक समय में एक साथ खेल सकते हैं। शतरंज बनाने का विचार बांटते हुए कहा कि पापा और मैं जब शतरंज खेलते तो मां और चचेरा भाई हमें देखते रहते थे। यही कारण था कि पापा और मां की मदद से विश्व में अनूठी शतरंज डिजाइन की है।
विश्व की अनूठी शतरंज डिजाइन की है, जिसमें दो, तीन, चार और पांच नहीं बल्कि छह खिलाड़ी एक समय में एक साथ खेल सकते हैं। शतरंज बनाने का विचार बांटते हुए कहा कि पापा और मैं जब शतरंज खेलते तो मां और चचेरा भाई हमें देखते रहते थे। यही कारण था कि पापा और मां की मदद से विश्व में अनूठी शतरंज डिजाइन की है।
कुदरत को चकमा देने का अदम्य साहसनौनिहाल को कुदरत ने जहां इतनी खूबियों से नवाजा, वहीं मस्कुलर डिस्ट्रॉफ के कारण चल पाने की बंदिश लगा दी है। हौसले और धैर्य के साथ हृदयेश्वर कुदरत को चकमा देकर कहीं आगे निकल गया है। वे ऑटोमेटिक व्हीलचेयर के सहारे रोजमर्रा के काम करते हैं।
हृदयेश्वर की तमन्ना वैज्ञानिक बनने की है, इसके लिए वे साइंस की किताबें और नेट सर्फिग करते हैं। कमरे में एटलस और लाइब्रेरी में किताबों का कलेक्शन जुटा रखा है। पिता सरोवर सिंह भाटी का कहना है कि न चल पाने के कारण परिवार में किसी को बोझ न लगे, इसके लिए इंटीरियर भी अपने हिसाब से डिजाइन करवाया है
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