. बाबा रामदेव के करीबी सहयोगी आचार्य बालकृष्ण मंगलवार को अचानक मीडिया से मुखातिब हुए। उन्हें शनिवार रात दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में हुई पुलिस कार्रवाई के बाद से ही लापता बताया जा रहा था। बाबा रामदेव उनके बारे में कह रहे थे कि वह गुप्त मिशन पर हैं, जबकि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा था कि वह नेपाल का भगौड़ा अपराधी है और वहां भाग गया होगा।
बालकृष्ण ने इस बारे में रोते हुए सफाई दी। उन्होंने कहा कि उस रात पुलिस की बर्बरता देख कर वह सहम गए थे। वह थोड़ी देर स्वामी जी (रामदेव) के साथ रहे और फिर उन्हें अपनी सुरक्षा का इंतजाम करने के लिए कह कर उनके पास से चले गए।
बकौल बालकृष्ण वह काफी देर तक पंडाल में ही छिपे रहे और पुलिस का दमन चक्र देखते रहे। उन्होंने कहा कि मुझे भी कई डंडे पड़े और मैंने भी बड़ी चोटें खाई। उसका असर आज तक खत्म नहीं हुआ है। मुझे बोलने में पूरी ताकत लगानी पड़ रही है। मेरे शरीर के कई अंगों में दर्द है।
बालकृष्ण ने बताया, ‘मैं छिप कर अपने संपर्कों के जरिए वहां फंसे बाबा के समर्थकों को निकलवाने के अभियान में लगा रहा और आज जब अधिकांश समर्थक हरिद्वार पहुंच गए तो मैं भी यहां आ गया।’ उन्होंने कहा कि मेरे शरीर पर कपड़े नहीं थे। मैंने किसी का तौलिया लेकर शरीर ढका और सड़कों पर जहां-तहां रहा।
बालकृष्ण रामलीला मैदान में पुलिस का जुल्म बयां करते हुए फूट-फूट कर रो पड़े। उन्होंने करीब 15 मिनट तक अपनी बात कही। उसके बाद कहा- मैं ज्यादा बोल नहीं सकता। पर पत्रकारों ने तुरंत सवालों की झड़ी लगा दी।
पत्रकारों ने जब पूछा कि आप कहां थे तो उन्होंने कहा कि मैं सड़कों पर रहा, जहां-तहां रहा। मैं दिल्ली नहीं छोड़ना चाहता था। मुझे बता दिया गया था कि अगर आप सामने आओगे तो स्वामी जी की तरह आपको भी दिल्ली से बाहर कर दिया जाएगा। बालकृष्ण ने कहा कि मुझे गिरफ्तार नहीं किया गया था।
बच्चू दवाएं बेचने तक ही सिमित रहता ,ये राजनीती,कूटनीति ,सत्याग्रह तुम्हारे बस का नहीं | जो खुद रो रहे है वे कायर क्या खाक सत्याग्रह करेंगे ?
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