जोधपुर रातड़ी नाडी, कास्टी रोड पर एक खेत में रहने वाले ओमाराम भील की नौ वर्षीय पुत्री गुड्डी दो साल से जंजीरों में जकड़ी है। बचपन से ही विक्षिप्त होने की वजह से उसे जंजीरों से बांध कर रखा गया है। वह हाथ पैरों से विकलांग होने के साथ मूक-बधिर भी है। परिजनों ने गुड्डी के इलाज पर हजारों रुपए खर्च किए, परंतु वह ठीक नहीं हुई।
मां की आंखों की रोशनी चली गई: गुड्डी को जंजीरों से जकड़ कर रखने के गम में मां जड़ाव देवी के आंखों की रोशनी चली गई। ऐसे में परिवार पर दोहरी मार पड़ रही है। खेलने-कूदने व स्कूल जाने की उम्र में इस मासूम को जंजीरों में जकड़ा देख किसी का भी दिल पसीज सकता है। 9 भाई-बहनों में गुड्डी आठवें नंबर की है। परिवार की आर्थिक हालत दयनीय होने की वजह से उसका सही तरीके से इलाज नहीं हो पा रहा है। पिता ओमाराम भील मजदूरी करते हैं। मां भी लाचार है। ऐसे में बालिका को संभालना भारी पड़ रहा है। इसलिए उसे बांध कर रखा गया है।
भामाशाह आगे आएं तो बने बात: ओमाराम को गुड्डी का इलाज कराने के लिए मदद की जरुरत है। इस मासूम को मनोचिकित्सक से इलाज की आवश्यकता है। भील के अनुसार उसके पास इतने पैसे नहीं कि वह इलाज करा सके। कस्बे के मौजिज लोगों ने प्रशासन से इस बालिका के उपचार में मदद मुहैया करवाने की मांग की हैं। किसी मददगार के आगे आने से भी बात बन सकती है।
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