अलवर. बयाना-जयपुर पैसेंजर ट्रेन में शनिवार शाम एक पिता ने 6 वर्षीय पुत्री को सीने से लगाकर गोली मार ली। दोनों के शव ट्रेन के शौचालय में मिले। मृतक की पहचान अलवर निवासी रविंद्र श्रीवास्तव के रूप में हुई है।
अलवर पुलिस के अनुसार वह 15 जून को अपनी 15 साल की बेटी ट्विंकल और पत्नी रश्मि की गोली मारकर हत्या करने के बाद छोटी बेटी को साथ लेकर फरार हो गया था। जीआरपी पुलिस ने ट्रेन के शौचालय से 315 बोर का देशी कट्टा तथा खाली कारतूस बरामद किया है। रविंद्र के दो थैले तथा आगरा से गंगापुर के बीच का टिकट भी मिला है।
बयाना-जयपुर ट्रेन जब मलारना स्टेशन से आगे निकली तो एक यात्री ने शौचालय में रविंद्र और उसकी बेटी सुहानी के शव पड़े देखे। जब ट्रेन सवाई माधोपुर जंक्शन पर पहुंची तो जीआरपी के जवानों को जानकारी दी गई। पुलिस का मानना है कि रविंद्र ने सुहानी को सीने से लगा कर खुद की पीठ के पीछे से फायर किया। गोली रविंद्र के सीने को भेदती हुई बालिका के सीने व पीठ से बाहर निकल गई। दोनों के शव सवाईमाधोपुर के अस्पताल में रखवाए गए हैं। जीआरपी पुलिस ने अलवर पुलिस को सूचित कर दिया है।
आर्थिक स्थिति खराब थी: रविंद्र अलवर की मनुमार्ग हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में पिता डीडी श्रीवास्तव के मकान 1जी11 में भूतल पर रहता था। उसने ड्राफ्टमैन का डिप्लोमा किया हुआ था। बताया जाता है कि रविंद्र की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। डाक विभाग से रिटायर उसके पिता पेंशन में से उसका कुछ खर्च उठाते थे। रविंद्र ने अपने पोर्शन के एक हिस्से में किरायेदार भी रखा हुआ था।
अलवर एसपी महेश गोयल के अनुसार उस पर कर्जा था और अलवर, जयपुर, कोटा, उदयपुर व जोधपुर सहित कई शहरों में चैक बाउंस के मामले भी दर्ज हैं। रविंद्र के दो शादीशुदा भाई हैं। इनमें से एक गुडग़ांव में नौकरी करता है, जबकि दूसरा अपने पिता के साथ उनके मकान के प्रथम तल पर रहता है और उसकी अलवर के एमआईए में फैक्ट्री है। एक बहिन है, जिसकी शादी हो चुकी है।
अलवर पुलिस के अनुसार वह 15 जून को अपनी 15 साल की बेटी ट्विंकल और पत्नी रश्मि की गोली मारकर हत्या करने के बाद छोटी बेटी को साथ लेकर फरार हो गया था। जीआरपी पुलिस ने ट्रेन के शौचालय से 315 बोर का देशी कट्टा तथा खाली कारतूस बरामद किया है। रविंद्र के दो थैले तथा आगरा से गंगापुर के बीच का टिकट भी मिला है।
बयाना-जयपुर ट्रेन जब मलारना स्टेशन से आगे निकली तो एक यात्री ने शौचालय में रविंद्र और उसकी बेटी सुहानी के शव पड़े देखे। जब ट्रेन सवाई माधोपुर जंक्शन पर पहुंची तो जीआरपी के जवानों को जानकारी दी गई। पुलिस का मानना है कि रविंद्र ने सुहानी को सीने से लगा कर खुद की पीठ के पीछे से फायर किया। गोली रविंद्र के सीने को भेदती हुई बालिका के सीने व पीठ से बाहर निकल गई। दोनों के शव सवाईमाधोपुर के अस्पताल में रखवाए गए हैं। जीआरपी पुलिस ने अलवर पुलिस को सूचित कर दिया है।
आर्थिक स्थिति खराब थी: रविंद्र अलवर की मनुमार्ग हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में पिता डीडी श्रीवास्तव के मकान 1जी11 में भूतल पर रहता था। उसने ड्राफ्टमैन का डिप्लोमा किया हुआ था। बताया जाता है कि रविंद्र की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। डाक विभाग से रिटायर उसके पिता पेंशन में से उसका कुछ खर्च उठाते थे। रविंद्र ने अपने पोर्शन के एक हिस्से में किरायेदार भी रखा हुआ था।
अलवर एसपी महेश गोयल के अनुसार उस पर कर्जा था और अलवर, जयपुर, कोटा, उदयपुर व जोधपुर सहित कई शहरों में चैक बाउंस के मामले भी दर्ज हैं। रविंद्र के दो शादीशुदा भाई हैं। इनमें से एक गुडग़ांव में नौकरी करता है, जबकि दूसरा अपने पिता के साथ उनके मकान के प्रथम तल पर रहता है और उसकी अलवर के एमआईए में फैक्ट्री है। एक बहिन है, जिसकी शादी हो चुकी है।
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