सोमवार, 6 जून 2011

राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए करेंगे अनशन


राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति का ऐलान, राष्ट्रपति से मिलेंगे 

जोधपुर। राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति अपने सहयोगी संगठनों के साथ आने वाले दिनों में राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल से मिलेगी। मानसून सत्र में संसद में इस विधेयक नहीं आया तो दिल्ली में अनशन भी करेगी। यह जानकारी राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नर्दन अमेरिका (राना) के मीडिया प्रभारी प्रेम भंडारी ने सोमवार को प्रेसवार्ता में दी।
संघर्ष समिति के समर्थन में भंडारी ने कहा कि राजस्थानी को मान्यता के लिए सभी प्रवासी राजस्थानी एकजुट हैं, वे दिल्ली आने को भी तैयार हैं। उन्होंने कहा कि राजनेता हमारी बात नहीं सुन रहे हैं, तो यह हमारी कमजोरी है। हमें उन्हें जगाना होगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए संघर्ष समिति मंगलवार को जोधपुर में नई सड़क पर सांकेतिक धरना भी देगी। प्रेसवार्ता में मातृभाषा राजस्थानी छात्र मोर्चा के गौतम अरोड़ा ने बताया कि आरपीएससी की ओर से करवाई जा रही टैट परीक्षा में राजस्थानी को भाषा को शामिल नहीं करने के विरोध में राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। संघर्ष समिति के जोधपुर जिला देहात अध्यक्ष रामसिंह राठौड़ ने बताया कि समिति प्रदेश के सभी जिलों में जनजागरण अभियान चला रही है। 

राजस्थानियों को नहीं मिल रहा है फायदा 
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक प्रो. कल्याण सिंह शेखावत ने बताया कि आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं के छात्रों को संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में मातृ भाषा में पेपर करने का मौका मिलता है। इसका उन्हें परिणाम में भी फायदा मिलता है।लेकिन राजस्थानी छात्रों को हिंदी व अंग्रेजी में ही परीक्षा देनी होती है। इससे वे अपनी बात को पूरी तरह से अभिव्यक्त नहीं कर सकते। परिणामस्वरूप यूपीएससी में राजस्थानियों की संख्या कम है। राजस्थानी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने से छात्रों को बेहद फायदा होगा। उन्होंने बताया कि इस देश में अभी हिंदी को भी राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिला है। 

भाषा के रूप में दर्ज करवाई है राजस्थानी 
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि हाल ही में हुई जनगणना के दौरान राजस्थानियों ने बड़ी तादाद में राजस्थानी को मातृभाषा के रूप में दर्ज करवाया है। छात्र मोर्चा के गौतम अरोड़ा ने बताया कि जो आंकड़े हमें प्राप्त हुए हैं उनमें 82 फीसदी लोगों ने राजस्थानी को मातृभाषा बताया है। इस हिसाब से पांच करोड़ से अधिक लोगों ने राजस्थानी को अपनी भाषा बताया है।

1 टिप्पणी:

  1. इस आन्दोलन में हम भी साथ है दिल्ली में धरने में भी शरीक होंगे |
    जनगणना में हमने भी हरियाणा में रहते हुए भी अपनी पहली भाषा "राजस्थानी ही लिखवाई है "

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