बुधवार, 1 जून 2011

हर दिन 30 मिनट मोबाइल फोन के इस्‍तेमाल से ब्रेन कैंसर का खतरा!


हर दिन 30 मिनट मोबाइल फोन के इस्‍तेमाल से ब्रेन कैंसर का खतरा!



मोबाइल फोन के इस्तेमाल से ब्रेन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इससे बचने के लिए संदेशों तथा ईयरफोन वाले हैंड फ्री उपकरणों का इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कैंसर विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी है। विशेषज्ञों ने मोबाइल को उन खतरनाक उपकरणों की श्रेणी में रखा है जिसमें सीसा, क्‍लोरोफॉर्म और ईंजन एक्‍जॉस्‍ट शामिल हैं।

कैंसर पर शोध करने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी आईएआरसी ने फ्रांस के लियोन में एक सम्‍मेलन में कहा, ‘इस तरह के उपकरणों के इस्तेमाल से उत्पन्न होने वाले रेडियेशन (रेडियो फ्रीक्‍वेंसी इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक फील्‍ड) से लोगों को कैंसर होने की आशंका होती है।’

'सीएनएन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेलफोन से निकलने वाला रेडिएशन एक्‍स-रे जैसा नहीं है लेकिन यह कम क्षमता वाले माइक्रोवेव ओवन जैसा है। माइक्रोवेव रेडिएशन को समझना आसान है। माइक्रोवेव में भोजन के साथ जो कुछ होता है, यह उसी के जैसा है। यानी मोबाइल फोन पर ज्‍यादा बात करना अपने दिमाग को भोजन की तरह पकाने जैसा है। इस लिए मोबाइल पर ज्‍यादा बात करने से ब्रेन कैंसर और ट्यूमर का खतरा है। इससे हमारी याददाश्‍त पर भी असर पड़ सकता। मस्तिष्‍क में याददाश्‍त से जुड़े तंत्र का एक हिस्‍सा कान के पास ही रहता है जहां हम मोबाइल फोन रखकर बात करते हैं। 

आईएआरसी के एक अधिकारी जोनाथन समेट ने कहा, ‘इपीडिमीयोलॉजिकल शोध से मिले सबूतों की जांच के बाद विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मस्तिष्क में होने वाले एक प्रकार के कैंसर, ‘ग्लिओमा’ के मामले बढ़े हैं।' उन्होंने कहा कि पिछले दशक में बड़े पैमाने पर किए गए दो अध्ययनों में पाया गया है कि इसका खतरा उन लोगों में अधिक देखा गया जो मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।

अध्ययन से पता चला है कि कुछ लोगों ने करीब दस साल की अवधि के दौरान प्रति दिन औसतन 30 मिनट अपने फोन का इस्तेमाल किया। पूरी दुनिया में तकरीबन पांच अरब मोबाइल फोन यूजर हैं। मोबाइल के इस आंकड़े और इनके इस्तेमाल किए जाने के समय, दोनों में ही हाल के वर्षों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। आईएआरसी के अनुसार, मौजूदा वैज्ञानिक नतीजे वायरलेस उपकरणों और कैंसर के बीच केवल संभावित संबंध को बताते हैं, इनकी पुष्टि नहीं हुई है।

आईएआरसी रिपोर्ट से जुड़े कुर्ट स्ट्रैफ ने कहा, 'ग्लिओमा और एकॉस्टिक न्यूरोमा कहे जाने वाले नॉन मेलिग्नैन्ट टयूमर के अन्य प्रकार का खतरा बढ़ने के कुछ सबूत हैं लेकिन अभी यह पूरी तरह साबित नहीं हुआ है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से कैंसर होता है।


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