शुक्रवार, 13 मई 2011

सरहदों को रोशन करेगी मरुस्थल की हवाए


जैसलमेर [चन्दन सिंह भाटी] भारत पाक सीमा पर जैसलमेर के दो गांव ऐसे हैं जिन्होंने रोशनी के मामले में हिन्दुस्तान भर में रिकार्ड कायम कर दिया है। दूर दूर तक पसरे मरुथल के बीच इन सरहदी गांवों में बिजली के अभाव में अंधेरा पसरा रहता था और आजादी के इतने वर्षों बाद भी लोगों के लिए उनके क्षेत्र में बिजली आने का स्वप्न तक बेमानी था वहाँ अब रोशनी के कतरे गांव को रौशन करने लगे हैं।

यह सब हो पाया है विण्ड मिल हाइब्रिड सिस्टम से। जैसलमेर जिला मुख्यालय से तनोट के रास्ते 112 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित घण्टियाली और इसी रास्ते पर 103 किलोमीटर दूर स्थित गिरदूवाला गांव हिन्दुस्तान के पहले ऐसे गांव होने का गौरव पा चुके हैं जो विण्ड पॉवर व सोलर पॉवर के साथ ही अत्याधुनिक एल.ई.डी. लाईट्स की रोशनी में अपनी तकदीर गढ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि देश भर में ये दोनों ऐसे सर्वप्रथम गांव हैं जो एल.ई.डी. (लाईट इमीटिंग डायोड) तकनीक आधारित बिजली व्यवस्था से पूर्णतः विद्युतीकृत हो उठे हैं। इन दोनों म गांवों में रोजाना कुल 14 से 15 किलोवॉट विद्युत ऊर्जा संग्रहित होती है जबकि इसमें से मात्र 7 से 8 किलोवॉट बिजली की खपत हो पाती है। इतनी ऊर्जा में कुछ और क्षेत्रों को भी बिजली से जोडे जाने की संभावनाएं बनी रहती हैं।

पूर्णतः स्वदेशी है यह तकनीक
इस पूरे सरहदी क्षेत्र में कहीं पवन और कहीं सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के क्षेत्र में काफी प्रयास हो रहे हैं, लेकिन जैसलमेर जिले में बो बे विंड एनर्जी ने स्थानीय आबोहवा की अनुकूलताओं को दृष्टिगत रखते हुए दोहरी विद्युत प्राप्ति तकनीक को सुपरनवा टेक्नोलोजिस कंपनी के सौजन्य से अपनाया और ’’विण्ड सोलर हाईब्रिड सिस्टम ’’ के जरिए बिजली उत्पादन और वितरण तंत्र को सुगम बनाया। पूरी तरह स्वदेशी इस सिस्टम के उपकरण भारत में तैयार होते हैं तथा इसमें हर मौसम में बिजली उत्पादन होता रहता है।

दोहरा बिजली उत्पादन दे रहा सुकून
विस्तृत भू भाग में फैले और रेतीले जैसलमेर जिले में मीलों तक बिखरे गांवों और ढाँणियों में बिजली पहुँचाना अकल्पनीय ही है लेकिन पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा ने इन कल्पनाओं को साकार कर दिया है वहीं बॉ बे विन्ड इनर्जी के दोहरे प्रयास सोने में सुहागे का काम कर रहे हैं। इसमें पवन ऊर्जा के पँखों के साथ ही सौर ऊर्जा के उपकरण मिल कर दोहरा बिजली उत्पादन कर रहे हैं।
जैसलमेर जिले में ऐसे 57 गांव सामने आये हैं जहां पर परागत प्रक्रिया से बिजली की पहच असंभव सी है और इन दूरदराज के क्षेत्रों में नई प्रभावी तकनीकों को अपना कर ही गाँवों को रोशनी मुहैया कराई जा सकती है।

इन हालातों में सीमा क्षेत्र विकास परियोजना के अन्तर्गत सीमा क्षेत्र के नजदीकी घण्टियाली और गिरदूवाला गांवों में बिजली पहुँचाने की महत्वाकांक्षी योजना सन् 2009 में हाथ में ली गई। इस चुनौती को स्वीकार किया बॉ बे विंड इनर्जी लिमिटेड ने। इस परियोजना में दोनों गांवों के लिए 15 15 लाख रुपए की धनराशि मंजूर की गई।

तीन माह में पूरा गांव जुड गया बिजली से
कंपनी ने सित बर 2010 में काम हाथ में लिया और सिर्फ 90 दिन में दोनों गांवों को पूरी तरह विद्युतीकृत कर दिखाया। कंपनी ने घण्टियाली व गिरदूवाला गांवों में 20 20 वॉट की 10 10 स्ट्रीट लाईटें लगायी। दोनों ही गांवों में 35 से 40 परिवारों को बिजली से जोडते हुए प्रत्येक झौंपडी को मिलाकर इनकी 80 से 100 झौंपडियों में 4 4 वॉट की एल.ई.डी. लाईटें लगायी। ाास बात यह थी कि ये लाईटें सामान्य न होकर एल.ई.डी. लाइटें हैं जिनकी रोशनी अपेक्षाकृत कई गुना अधिक होने के साथ ही ऊर्जा की खपत नगण्य सी है। पूरे देश में एल.ई.डी. लाईटों के माध्यम से विद्युतीकृत होने वाले गांवों का गौरव घण्टियाली एवं गिरदूवाला को ही प्राप्त है।

उत्साहित हैं ग्रामीण
आजादी के इतने वर्षो बाद भी जहां बिजली की कोई संभावना नहीं थी वहाँ गांवों में ही उग आए सूरज ने ग्रामीणों को जबर्दस्त उत्साह व उल्लास से सरोबार सा कर रखा है। इन गांवों में कंपनी की ओर से कंट्रोल रूम स्थापित है जहां विण्ड मिल, चार्ज कंट्रोलर, ड प लोड आदि उपकरण स्थापित है। यहीं ऑटोमेटिक लाईट सिस्टम लगा हुआ है जिससे घरों व स्ट्रीट्स की लाईटें निश्चित समय पर अपने आप चालु व बंद होती ह। इन गांवों में संध्या ढलते ही एल.ई.डी. लाईट्स की शुभ्र रोशनी की चादर बिछ जाती है। रात में मीलों दूर से इसका नजारा अत्यंत मनोरम दिखाई देता है। रात के पूरे 12 घण्टे यहां प्रकाश रहता है।

आशातीत परिणाम रहे हैं
बॉ बे विण्ड एनर्जी लि. के राजस्थान प्रबंधक श्री देवकृष्ण भाटिया बताते हैं कि जैसलमेर जिले के दो गांवों में विण्ड सोलर व एल.ई.डी. लाईट सिस्टम का प्रयोग आशातीत परिणाम देने वाला और उत्साहजनक रहा है। स्थापना के बाद से दोनों गांवों में लगी एल.ई.डी. लाईटें बेहतर तरीके से काम कर रही हैं व पिछले डेढ वर्ष में एक भी शिकायत नहीं मिली।

श्री भाटिया के अनुसार जैसलमेर जिले में हाइब्रिड सिस्टम को प्रोत्साहित करने के साथ ही एलईडी लाईट स्थापित कराने में पूर्व जिला कलक्टर डॉ. के.के. पाठक की अहम भूमिका रही है जिन्हने स्वयं क्षेत्र में भ्रमण कर स्थलों को चिहि्नत करने में मदद दी। उनकी छोटी सी पहल अब मरुधरा में रश्मियों का सागर लहरा रही है। इन प्रयासों को गति दी तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. रवि कुमार सुरपुर व श्री अ बरीषकुमारने। अब जिला कलक्टर श्री गिरिराजसिंह कुशवाहा भी ग्रा यांचलों में पवन सौर ऊर्जा के विकास और विस्तार में जुटे हुए हैं।

अनूठी तकनीक को सराहा तत्कालीन राष्ट्रपति ने भी
वे बताते हैं कि सुपरनवा टेक्नोलोजिस प्रा.लि. (आणन्द, गुजरात) द्वारा भारतवर्ष में 200 से अधिक स्थानों पर विण्ड सोलर इनर्जी संयत्र व पखे लगाये जा चुके हैं लेकिन पूरे के पूरे 2 गांवों को एल.ई.डी. लाईट से विद्युतीकृत कर देना हिन्दुस्तान भर में पहले पहल जैसलमेर जिले में ही हुआ है। जिसका श्रेय बॉ बे विंड इनर्जी जैसलमेर को जाता है जो कि पूरे राजस्थान के डिस्ट्रीब्यूटर्स एवं सप्लायर्स हैं। इस तकनीक को अंजाम देने वाले भगीरथ श्री एस.एन. झा हैं जो कि गुजरात विश्वविद्यालय के तकनीकि प्राचार्य हैं। उनकी देश के प्रति उल्लेखनीय सेवाओं के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति एवं मशहूर वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 2006 में नई दिल्ली में हुई विश्वस्तरीय विण्ड मिल प्रदर्शनी में नेशनल एवार्ड से स मानित किया। इस प्रदर्शनी में दुनिया भर से विण्ड मिल से संबंधित कंपनियों ने प्रदर्शनी लगायी।

अनेक संभावनाओं भरा है यह तंत्र
एल.ई.डी. लाईट्स की खूबियों पर भाटिया बताते हैं कि इस हाईब्रिड सिस्टम में वाटर पंपिंग, आटा चक्की, रेस्टोरेंट, घरेलू टी.वी., फ्रीजर, पंखों का संचालन आदि भी संभव है। इसके लिए भी कंपनी ने अन्यतम तकनीकें विकसित की हुई है।
कंपनी ने सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए अपनी भागीदारी भी निभायी है। कंपनी की इच्छा है कि सरकार कुछ मदद कर दे तो कंपनी घण्टियाली मु य मार्ग पर भी स्ट्रीट लाईटें देने के साथ इस सिस्टम से प्रसिद्घ घण्टियाली माता मंदिर, स्कूल तथा सभाभवन को भी जोड सकती है।
कंपनी प्रतिनिधि श्री देवकृष्ण भाटिया के अनुसार बिजली के लिए अकेला सोलर सिस्टम महंगा पडता है। हाईब्रिड सिस्टम में इसके साथ ही विण्ड पॉवर भी है, इस वजह से ऊर्जा संग्रहण के दोनों विकल्प उपलब्ध होने से बारहों मास इसकी उपयोगिता है। इसकी तकनीकी बनावट ही इस तरह की है कि हवा के कम वेग में बिजली का उत्पादन हो सकता है। इसके साथ ही बैटरी तथा तथा अन्य सभी उपकरण उच्च गुणवत्तायुक्त व गारन्टी वाले हैं।

ग्रामीणों के लिए आसान हुई जीने की राह
घण्टियाली और गिरदूवाला के लोग अपने गांव में बिजली को चमत्कार ही मानते हैं। ग्रामीणजन बताते हैं कि रेतीले टीलों से भरे इन क्षेत्रों में रात के घोर अँधेरों में साँप बिच्छुओं तथा अन्य जहरीले जानवरों का भय होने से आवागमन तक सहज नहीं था लेकिन अब रात में रोशनी ने ग्रामीणों के भय को दूर कर दिया है। बिजली की रोशनी बच्चों के लिए रात की पढाई में भी खासी मददगार बन गई है। गांव में आयी बिजली ग्रामीणों के जीवन में रोशनी भरने लगी है।

बढने लगी है मांग
घंटियाली व गिरदूवाडा गांवों में पसरी रोशनी को देख आस पास के गवों कुरियाबेरी, किशनगढ, लंगतला, बछियाछोड, शाहगढ, मुरार आदि दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां विण्ड सोलर इनर्जी व एल.ई.डी. लाईट्स की मांग की जाने लगी है।
रामगढ ग्राम पंचायत की सरपंच तीजा देवी अपनी पंचायत के इन दोनों गांवों में रोशनी लाने के नवाचारों से बेहद खुश हैं। वे कहती हैं कि इससे ग्रामीणजनों के जीवन में काफी बदलाव आया हैं व उन्हें जीने का सुकून मिला है। जैसलमेर जिला परिषद ने भी कंपनी की इस उपलब्धि को खूब सराहा है। जैसलमेर के जिला कलक्टर श्री गिरिराजसिंह कुशवाहा ने इन दोनों ही गांवों में पहुंच कर ग्रामीणों से चर्चा की और ग्रामीण विद्युतीकरण के इस प्रयास की सराहना की।
बिजली बचाओ का पैगाम

सीमावर्ती जैसलमेर जिले के इन दोनों दूरस्थ गांवों के लोग बिल्कुल मु त में बिजली सुविधा पा कर निहाल हो उठे हैं।
कंपनी दो साल की अवधि पूरी होने पर इस सिस्टम को स्थानीय ग्राम पंचायत को सौंप देगी जो इसके रख रखाव व संचालन का जि मा उठाती हुई गांव में रोशनी के कमरों का सुकून देगी।

जैसलमेर जैसे मीलों तक पसरे जिले में दूर दूर छितरायी बस्ती में निवास कर रहे ग्रामीणों के लिए पवन व सौर ऊर्जा के साथ एल.ई.डी. लाईट्स का यह संगम व्यापक बदलाव की भूमिका रच रहा है एवं अब कंपनी और अधिक गांवों में यह सुविधा पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। इससे दूरदराज के क्षेत्रों में बिजली पानी, शिक्षा, चिकित्सा आदि के क्षेत्रों में विकास को स बल मिलने के साथ ही कई ग्रा य समस्याओं का समाधान संभव हो सकेगा।

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