सोमवार, 30 मई 2011

रेत के धोरों से प्रतिध्वनित हो रहा विकास का संगीत


रेत के धोरों से प्रतिध्वनित हो रहा
विकास का संगीत
. डॉ दीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारीए
जैसलमेर
            हिन्दुस्तान की पश्चिमी सरहद पर अवस्थित जैसलमेर जिला अब विकास की तेज रफ्तार पर है। किसी जमाने में ठेठ सरहद का करीबी इलाका होने की वजह से यह उपेक्षित और पिछड़ा रहा होगा लेकिन अब यह प्रदेश के अन्य जिलों की ही तरह विकास की मुख्य धारा मेें आने लगा है।
            समन्वित भागीदारी से हुआ विकास
            राजस्थान भर में विकास की दृष्टि से देखा जाए तो जैसलमेर वह जिला है जिसने कम समय में तरक्की के कई सफर देखे हैं। सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों की बदौलत जैसलमेर में हर कहीं बदलाव देखने में आ रहा है। आम आदमी के उत्थान से लेकर आँचलिक और सामुदायिक विकास की ढेरों योजनाएंए परियोजनाएं और कार्यक्रम यहाँ चलाए जा रहे हैं जिनसे निश्चय ही जिला तरक्की की दिशा मेें लगातार आगे बढ़ रहा है।
            यहाँ के समग्र विकास को लेकर जन प्रतिनिधियों की पहलए विभागीय अधिकारियों का योगदान और आम जनता की भागीदारी से विकास का जो सफर शुरू हुआ है वह रुकने वाला नहीं है।
            विषम भौगालिक हालातोंए कठिनाइयों भरे जीवन और पुरानी पीढ़ियों के कठोर संघर्ष को ध्यान में रखते हुए जैसलमेर जिले में स्वस्थ विकास का सुनहरा परिवेश लाने के लिए हरसंभव प्रयास हो रहे हैं। इनके कारण जैसलमेर जिला स्वस्थ विकास की कल्पनाओं को साकार कर रहा है।
            पवन और सौर ऊर्जा ने उगाए विकास के सूरज
            प्रकृति की विपरीत धाराओं पर विजय पाते हुए सृजन का इतिहास रचने में माहिर मानव के परिश्रम का संकेत जैसलमेर जिले में हर कहीं देखा जा सकता है। सूरज की घातक तपन और भीषण गर्मी के साथ ही तेज आँधियों को अपने अनुकूल बनाकर बिजली के भण्डार भर रहे पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा के विराटकाय उपकरण यही दर्शा रहे हैं कि विकास के सूरज पश्चिम में भी उगाए जा सकते हैं।
            जैसलमेर जिले भर में बड़े पैमाने पर घूम रहे पंखे और सौर ऊर्जा के पैनल्स जगह.जगह रोशनी के कतरे बिखेरते हुए अंधेरों पर विजय का पैगाम सुना रहे हैं।
            एलईडी लाईटों ने किया रौशन
            इसी कड़ी में जैसलमेर पूरे देश में ऎसा पहला जिला होने का गौरव पा चुका है जिसके दो गांव पूरी तरह एलईडी लाईटों से रोशन हो चुके हैं। जिले के सीमावर्ती गिरदूवाला और घण्टियाली गांवों में दशकों से अंधेरा छाया हुआ रहा। इन गांवों में सभी घरों को पवन और सौर ऊर्जा से जोड़ते हुए नई तकनीक की एलईडी लाइटों से रौशन किया गया है। पूरे के पूरे दो गांवों को एलईडी लाईटों से विद्युतीकृत कर देने वाला जैसलमेर देश का पहला जिला है।
            जिले में तेज धूप और आंधियों से बिजली पैदा करने के लिए विभिन्न स्थानों पर पंखों का विस्तार हो रहा हैए जीएसएस की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है और यहां की विषमताओं पर विजय पाते हुए विकास का संगीत सुनाने के सभी यत्न हो रहे हैं।
            पानी पहुँचाने पर जोर
            किसी जमाने में बूँद.बूँद के लिए थकाऊ सफर वाले जैसलमेर जिले में अब हालात पहले जैसे नहीं रहे। अब पहले के मुूकाबले पर्याप्त पानी उपलब्ध है और लोगों को पानी के लिए पहले की तरह मशक्कत नहीं करनी पड़ती। सरकार ने जैसलमेर जिले में पानी की सबसे बड़ी समस्या को अपनी प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखा हुआ है तथा पेयजल सुलभ कराने के लिए खूब काम हो रहा है।
            जलदाय विभाग की ओर से पेयजल योेजनाओं का काम कराया जा रहा है वहीं कई योजनाएं पूर्ण होकर गांवों व शहरों में पेयजल दे रही हैं।  जैसलमेर जिला मुख्यालय से लेकर सीमावर्ती इलाकों तक रह रहे लोगों को पीने का पानी दिलाने के लिए कारगर योजनाएं लागू की गई हैं।
            नहर ने दिया जीने का सुकून
            जैसलमेर जिले में इन्दिरा गांधी नहर परियोजना ने नहरी जल का व्यापक नेटवर्क स्थापित कर लिया है। नहरों की वजह से मनुष्यों और मवेशियों के लिए भरपूर पानी मिल रहा है। इसके साथ ही खेती.बाड़ी में भी जैसलमेर जिले ने नए युग में प्रवेश कर लिया है। दूर.दूर तक रेत का महासागर दिखाने वाली जैसलमेर की धरती पर अब फसलें लहलहाते हुए देखना कितना सुकूनदायी है यह जैसलमेर के लोगों के सिवा और कौन जान सकता है।
            पर्यटन के मामले में दुनिया में अव्वल
            सदियों से अपने आँचल में कितनी ही विलक्षणताओं को छुपाए बैठे जैसलमेर की मौलिक संस्कृतिए कला और पुरातन वैभव अब पूरी दुनिया के सामने है। देश.दुनिया के हर कोने तक जैसलमेर की गंध बिखरी हुई है। यही कारण है कि पर्यटन के क्षेत्र में जैसलमेर जिला हिन्दुस्तान भर में खास पहचान रखता है। भीषण गर्मियों के दौर को छोड़ दिया जाए तो यहाँ साल भर देशी.विदेशी मेहमानों की भरमार रहती है। स्वर्ण नगरी का कला.वैभव और यहाँ की सांस्कृतिक परम्पराओं को देखने आने वाला हर कोई पर्यटक अपने आपको धन्य मानता है।
            पर्यटन जगत में लगातार बुलंदियों की ओर बढ़ रहे जैसलमेर जिले में सालाना सैलानियों की भारी रेलमपेल का सीधा असर यहाँ की आर्थिक और सामाजिक स्थितियों पर पड़ा हैए इससे आर्थिक समृद्धि का ग्राफ निरन्तर ऊँचाइयों की ओर अग्रसर है।
            पर्यटन व्यवसाय ने जैसलमेर जिले में बेहतर स्थान बना लिया है और इससे होटल  व ट्रॉवेल व्यवसाय के साथ ही स्थानीय व्यापारियों को भी खूब आर्थिक आधार मिला है। इन काम.धंधों से काफी संख्या में लोगों के जुड़ने के कारण बेरोजगारी पर भी काफी हद तक अंकुश लगा है।
            सरहदी होने का फायदा
            सरहदी इलाका होने से जैसलमेर में सीमा सुरक्षा बल और अन्य तमाम प्रकार की सैन्य गतिविधियों का केन्द्र है और इस कारण से यह पूरा क्षेत्र सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण है। इसी कारण सरकार का भी सबसे ज्यादा ध्यान इस तरफ है। इतना महत्व का स्थल होने के कारण भी यहाँ सीमा क्षेत्रीय विकास गतिविधियों ने विकास का इतिहास कायम किया है।
            विभिन्न महत्वपूर्ण गतिविधियों के कारण जैसलमेर जिले में बुनियादी सेवाओं और सुविधाओं पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। जैसलमेर जिले के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही हैं जिनसे जैसलमेर के विकास का रथ तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
            रेतीले धोरों की छाती पर हरियाली
            मरुथल की छाती पर हरियाली की चादर बिछाने के लिए वन विभाग अपनी कई योजनाओं के माध्यम से लगातार कोशिशें कर रहा है। खासकर नहरी क्षेत्र में नहरों के किनारे तथा अन्य स्थानों पर व्यापक वृक्षारोपण की गतिविधियां अब रंग ला रही हैं।
            जिला कलक्टर के नवाचारों से आया बदलाव
            विकास के लिए समस्याओं से मुक्ति पहली शर्त है। आम आदमी से लेकर परिवेश तक की समस्याओं का समाधान करने के बाद ही विकास पाया जा सकता है।  इसके लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार भरसक कोशिशों में जुटी हुई है। जिलास्तर पर जिला प्रशासन की ओर से समस्याओं के निराकरण के लिए व्यवस्था बनी हुई है।
            गांवों को लोगों को समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए जैसलमेर जिला कलक्टर श्री गिरिराजसिंह कुशवाहा ने जो नवाचार अपनाया है वह ग्रामीणों के लिए किसी वरदान से कम नहीं रहा। जिला कलक्टर ने इसके लिए गांवों का दौरा किया और सरपंचों तथा ग्रामीण जन प्रतिनिधियों से समस्याओं की जानकारी ली। इनका दस्तावेजीकरण कर संबंधित विभागों को सौंपा गया। इससे गाँवों की समस्याएँ एक.एक कर खत्म होती चली गई। जिलाक लक्टर ने गाँवों की जमीनी हकीकत को देखने के लिए कम समय में ही पूरा जिला नाप लिया है। इन सभी कारणों से गांवों की समस्याओं का समय पर समाधान होते रहने की परंपरा बन गई है।
            अभियानों ने दिया सुकून
            जिले में प्रशासन गांवों के संग अभियान ने ग्रामीणों को खूब राहत दी और गांवों के लोग अपने भले की योजनाओं से लाभान्वित हुए। अब जिले भर में खरीफ अभियान के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों में कृषि रथ घूम रहे हैं और कृषि ज्ञान एवं आदान शिविर हो रहे हैं। ग्रामीण काश्तकारों और पशुपालकों के लिए ये शिविर घर बैठे आयी गंगा साबित हो रहे हैं।
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