सोमवार, 30 मई 2011

७९९ वां उर्स


चादर फैला कर लाने पर रहेगी रोक
आशिकान-ए-ख्वाजा की उमड़ी भीड़
रात में खिदमत शुरू 
उर्स के दौरान अब रात में मजार की खिदमत होगी। जमादिउस्सानी की 25 तारीख से ही मजार ए अकदस की दोपहर 3 बजे होने वाली खिदमत बंद हो गई। आज मगरिब की नमाज के बाद खिदमत हुई। रजब की 5 तारीख तक रात में मजार की खिदमत होगी।
 
इंतजार करना पड़ा : शाम करीब 6.20 बजे झंडा दरगाह में आ गया चुका था लेकिन शाही कव्वाल और गौरी परिवार के सदस्य दरगाह में प्रवेश नहीं कर पाए थे। कुछ देर झंडे को अकबरी मस्जिद के सामने ही रोके रखा। जब शाही कव्वाल आदि भी दरगाह में पहुंच गए, तब जुलूस आगे बढ़ा।
उर्स विशेषांक का विमोचन 
ख्वाजा साहब के उर्स के अवसर पर ख्वाजा की नगरी पाक्षिक समाचार पत्र के उर्स विशेषांक का रविवार को दरगाह में विमोचन हुआ। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक प्यारे मोहन त्रिपाठी ने विशेषांक का विमोचन किया। कार्यक्रम की शुरूआत तिलावत कलाम पाक से हुई। सैयद इमरान चिश्ती ने मनकबत के नजराने पेश किए। सैयद वारिस हुसैन ने कार्यक्रम का संचालन किया। संपादक एसएफ हसन चिश्ती ने बताया कि विशेषांक हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती, बंगाली व तमिल भाषाओं में प्रकाशित किया गया हेै।
बाहर व्यवस्थित, अंदर अव्यवस्था 
दरगाह के बाहर झंडे का जुलूस व्यवस्थित नजर आया। पुलिस और आरएएसी के जवानों ने पूरी व्यवस्था बनाए रखी। जुलूस को चूमने के लिए आगे बढ़े लोगों को भी समझा-बुझा कर आगे भेज दिया गया लेकिन दरगाह में झंडे का जुलूस पहुंचते ही अव्यवस्था नजर आई। अकीदतमंद झंडे को चूमने के लिए उमड़ पड़े। अकबरी मस्जिद के सामने झंडे को चूमने के लिए अकीदतमंद उमड़ पड़े। यहां व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिसकर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी। पुलिसकर्मियों ने जायरीन को पकड़-पकड़ कर दूर खदेड़ा।
७९९ वां उर्स
गरीब नवाज के उर्स का झंडा चढऩे की रस्म में शामिल होने के लिए आशिकान ए ख्वाजा में खासा उत्साह था। रस्म शुरू होने से तीन घंटे पूर्व से ही लोगों ने दरगाह में जगह घेरना शुरू कर दिया था। स्थानीय लोगों के साथ ही प्रदेश के विभिन्न जिलों, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र आदि प्रदेशों से भी खासी तादाद में अकीदत मंद यहां पहुंचे। बुलंद दरवाजा के आसपास के हुजरों में जायरीन ने जमा होना शुरू कर दिया था। अकबरी मस्जिद की छत, सहन चिराग में दोनों देगों के पास की जगह, लंगर खाना की छत, महफिल खाना का सहन, शाहजहांनी गेट और अन्य छतों पर जायरीन ही जायरीन नजर आ रहे थे। इनमें खासी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी शरीक थे।


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