विश्व महिला दिवस
महिला दिवस पर स्त्री की जो मूर्ति सामने आती है, वह है- प्रेम, स्नेह व मातृत्व के साथ ही शक्तिसंपन्न स्त्री की मूर्ति। यह दिन यह गिनने का भी है कि आखिर हमने मील के कितने पत्थर पार कर लिए। सचमुच गौरव और आत्म- विश्वास से कलेजा तर हो जाता है उन पाई हुई पायदानों के लिए और उन आत्मबल से भरी स्त्रियों के लिए जो सचमुच गजब की हैं। इक्कीसवीं सदी की स्त्री ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है। उसने काफी हद तक अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख लिया है। आज स्त्रियों ने सिद्ध किया है कि वे एक-दूसरे की दुश्मन नहीं, सहयोगी हैं
महिला दिवस पर स्त्री की जो मूर्ति सामने आती है, वह है- प्रेम, स्नेह व मातृत्व के साथ ही शक्तिसंपन्न स्त्री की मूर्ति। यह दिन यह गिनने का भी है कि आखिर हमने मील के कितने पत्थर पार कर लिए। सचमुच गौरव और आत्म- विश्वास से कलेजा तर हो जाता है उन पाई हुई पायदानों के लिए और उन आत्मबल से भरी स्त्रियों के लिए जो सचमुच गजब की हैं। इक्कीसवीं सदी की स्त्री ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है। उसने काफी हद तक अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख लिया है। आज स्त्रियों ने सिद्ध किया है कि वे एक-दूसरे की दुश्मन नहीं, सहयोगी हैं
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