शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

बाड़मेर समृद्ध शब्द कोष की स्वामिनी है राजस्थानी भाषा- डाॅ. राजेन्द्रसिंह बारहठ




बाड़मेर समृद्ध शब्द कोष की स्वामिनी है राजस्थानी भाषा- डाॅ. राजेन्द्रसिंह बारहठ
बाड़मेर ’’ वृहद् साहित्य और काव्य की जननी, राजस्थानी भाषा अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखती है, ऐसा अथाह शब्द भंडार विष्व की अन्य किसी भी भाषा में नहीं मिलता। साहित्य सृजक, कवियों, लेखकों, ;ऋषियों, मुनियों, समीक्षकों के गहन अध्ययन से यह सिद्ध हुआ है कि राजस्थानी भाषा समृद्ध शब्द कोष की स्वामिनी है।’’ ये शब्द राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति के प्रदेष महामंत्री डाॅ. राजेन्द्रसिंह बारहठ ने मातृ-भाषा दिवस पर स्थानीय जय नारायण व्यास महिला षिक्षक प्रषिक्षण महाविद्यालय में आयोजित समारोह में सैकड़ों मायड़ भाषा प्रेमियों को सम्बोधित करतेहुएकहे। समारोह के मुख्य अतिथि जिला कलक्टर मधुसूदन शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।कवि मीठा खं मीर द्वारा डिंगळ काव्य में गण्ेाष वंदना की गई वहीं छात्राध्यापिकाओं द्वारा स्वागत गान प्रस्तुत किया गया।अन्तर्राष्ट्रीय लोक कलाकार फकीरा खां और बाबू खां रेडाणा द्वारा परम्परागत स्वागत गीत ’मिठिया मेहमान भलां आविया सा.......’की प्रस्तुति ने वातावरण को संगीतमय बना दिया। समारोह की अध्यक्षता षिक्षाविद् और राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति के प्रदेष महामंत्री डाॅ. राजेन्द्रसिंह बारहठ ने की।इस मौके जिला कलक्टर मधूसूदन शर्मा ने कहा कि बालक की प्रारम्भिक षिक्षा मातृ भाषा में होनी चाहिए ताकि प्रदत्त ज्ञान को बच्चा सहज रुप से समझ सके। डाॅ. लक्ष्मीनारायण जोषी ने स्वागत भाषण दिया और समिति के प्रदेष उपाध्यक्ष चन्दनसिंह भाटी ने राजस्थानी को 8 वीं अनुसूचि में सम्मिलित किये जाने को लेकर चलाये जा रहे अभियान और उपलब्धियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। डाॅ. नखतदान बारहठ ने राजस्थानी भाषा की व्यापकता पर प्रकाष डालते हुए कहा कि भाषा और साहित्य के इतिहास में से राजस्थानी का इतिहास निकाल देने पर पीछे षून्यबचताहै। राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति के सक्रिय सदस्यों के जन प्रतिनिधि चयनित होने पर समिति द्वारा जिला पाटवी रिड़मलसिंह दांता, सुरतानसिंह देवड़ा, नरेषदेव सारण के पार्षद चुने जाने और मानसिंह दूधोड़ा, हिन्दुसिंह तामलोर, गणपतसिंह कालूड़ी के सरपंच और मगरसिंह खारा के रामसर उप प्रधान, नेपालसिंह तिबनियार के पं. स. सदस्य चयनित होने पर अभिनन्दन किया गया। समारोह का संचालन दीपसिंह रणधा द्वारा राजस्थानी भाषा में किया गया। संसथा के प्रबन्धक पीताम्बर सुखानी ने मेहमानों का आभार प्रकट किया और राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल किये जाने तक संघर्ष जारी रखने का आहवान किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें