शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

दो लाख रूपए की मोहताज हुई मासूम की सांसें

बीकानेर। छह साल के पौत्र को दुलारते-दुलारते दादी की आंखें आंसू से भर आती है। कहती है इसके दादा का रो-रो कर बुरा हाल है, उनकी आंखों ने तो जवाब ही दे दिया। घर कर्ज की पटरी पर कब आ गया, पता ही नहीं चला।

यह दुखभरी दास्तां हैं हरियाणा के जमुनानगर निवासी हरजीत कौर की, जिसके छह साल के पौत्र को ब्लड कैंसर की बीमारी ने जकड़ लिया है। इलाज में घर की सारी जमा पूंजी पानी की तरह बह गई। हरजीत के पौत्र इसप्रीत का यहां आचार्य तुलसी रिजनल कैंसर ट्रीटमेंट एण्ड रिसर्च सेंटर में इलाज चल रहा है।
Six year Ishpreet's life seeking mere 2 lac rupees

इसप्रीत की मम्मी संदीप कौर कहती है करीब डेढ़ साल पहले उन्हें अपने बेटे की बीमारी का पता चला, जब उसका काफी दिनों से बुखार नहीं उतर रहा था। इलाज के लिए हरियाणा के चिकित्सालय में दिखाया तो वहां के चिकित्सकों ने दवा दे दी।

फिर भी बुखार नहीं उतरा तो चंडीगढ़ दिखाया गया। वहां के चिकित्सकों ने इसप्रीत को ब्लड कैंसर होना बताया। यह सुन घर वालों की मानों पांव तले जमीन ही खिसक गई। जब तक पैसा था, तब तक चंडीगढ़ में इलाज करवाया, लेकिन पैसा खत्म हुआ तो अस्पताल के चिकित्सकों ने भी जवाब दे दिया। अब यहां बीकानेर में इसका इलाज करवा रहे हैं।

"साब मरीजों का ध्यान रखना"
ब्लड कैंसर से पीडित मासूम इसप्रीत दिखने में बहुत ही सुन्दर और चंचल स्वभाव का है। यह अपने उपचार के दौरान अस्पताल के चिकित्सकों और नर्सिग स्टाफ को हिदायत देते भी संकोच नहीं करता। अक्सर कहता है, डॉक्टर साहब मरीजों का ध्यान रखना। इतना ही नहीं मरीजों के साथ आने वाले रिश्तेदारों को अस्पताल में साफ-सफाई रखने के लिए भी टोक देता है। कहता है, जब देश के प्रधानमंत्री लोगों को स्वच्छता के लिए प्रेरित कर सकते हैं, तो मैं क्यूं नहीं कर सकता।

इलाज के लिए चाहिए दो लाख
इसप्रीत के इलाज को लेकर अस्पताल के चिकित्सकों ने प्रथम दृष्टया करीब दो लाख रूपए का खर्च बताया है। लेकिन परिवार की माली हालत के चलते परिजनों की हिम्मत अब टूट चुकी है। इसप्रीत की दादी हरजीत कौर कहती है, बेटा ड्राइवरी करता था, लेकिन अपने बेटे की बीमारी को देख अब वह भी घर बैठने के लिए मजबूर हो गया है। माली हालत के चलते अब इसप्रीत के लिए दवाइयों का खर्च भी भारी पड़ रहा है। -

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