जैसलमेर। यहां से 80 किलोमीटर दूर देवरा गांव में जब बैंड बाजा बारात ने प्रवेश किया तो वह एक ऎतिहासिक पल बन गया।
7 मई 1998 वाला दिन इस गांव के बाशिंदों के लिए न भूलने वाला दिन था।
मौका था गांव के सरपंच इंद्रजीत सिंह की बेटी जवन कंवर के ब्याह का। यह पल ऎतिहासिक इसलिए बन गया क्योंकि गांव में 108 बरस में पहली बार कोई लड़की दुलहन बनी थी।
गांव में आखिरी बार 1890 में लड़की ब्याही गई थी लेकिन इसके बाद यह फिर कभी नहीं हो पाया। कारण कि इस गांव में लड़कियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता था।
पूरे 108 सालों तक यहां कन्या भ्रूण हत्या का नृशंस खेल चलता रहा। लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था।
दूसरा ब्याह 2010 में
कन्या भ्रूण हत्या की मिसाल बना यह गांव 16 दिसंबर 2010 के दौरान दुबारा चर्चा में आया जब यहां दूसरी बार बारात आई।
शगुन कंवर नामक युवती के ब्याह पर इस बार इस गांव को मीडिया पर काफी कवरेज मिला। शगुन कंवर बीकानेर के शैलेंद्र सिंह राठौड़ के साथ विवाह बंधन में बंधी।
फ्रांस के एक पत्रकार सिलिया मेसिअर को तो गांव की यह कहानी इतनी रोचक लगी कि उन्होंने इस पर एक किताब लिख डाली।
फ्रैंच में लिखी इस किताब के शीर्षक अंग्रेजी में अर्थ था "सिंगल गर्ल ऑफ माई विलेज"। इस किताब को हाल ही में रिलीज किया गया।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान में काफी वक्त गुजारने के बाद मेसिअर बरसों से हो रही कन्या भ्रूण हत्या का इतिहास लिखने के लिए खास तौर से देवरा आए।
मात्र 600 से 700 की जनसंख्या वाले इस गांव में कन्या भ्रूण हत्या सदियों से प्रथा के तौर पर चली आ रही है।
समय के साथ बदले हालात
कभी लड़की को तरसने वाले इस गांव के हालात अब काफी बदल गए हैं। समय ने यहां पर भी करवट ली है और एक बढिया पहल का ही परिणाम है कि आज यहां के परिवारों में कुल 25-30 लड़कियां मौजूद हैं। -
7 मई 1998 वाला दिन इस गांव के बाशिंदों के लिए न भूलने वाला दिन था।
मौका था गांव के सरपंच इंद्रजीत सिंह की बेटी जवन कंवर के ब्याह का। यह पल ऎतिहासिक इसलिए बन गया क्योंकि गांव में 108 बरस में पहली बार कोई लड़की दुलहन बनी थी।
गांव में आखिरी बार 1890 में लड़की ब्याही गई थी लेकिन इसके बाद यह फिर कभी नहीं हो पाया। कारण कि इस गांव में लड़कियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता था।
पूरे 108 सालों तक यहां कन्या भ्रूण हत्या का नृशंस खेल चलता रहा। लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था।
दूसरा ब्याह 2010 में
कन्या भ्रूण हत्या की मिसाल बना यह गांव 16 दिसंबर 2010 के दौरान दुबारा चर्चा में आया जब यहां दूसरी बार बारात आई।
शगुन कंवर नामक युवती के ब्याह पर इस बार इस गांव को मीडिया पर काफी कवरेज मिला। शगुन कंवर बीकानेर के शैलेंद्र सिंह राठौड़ के साथ विवाह बंधन में बंधी।
फ्रांस के एक पत्रकार सिलिया मेसिअर को तो गांव की यह कहानी इतनी रोचक लगी कि उन्होंने इस पर एक किताब लिख डाली।
फ्रैंच में लिखी इस किताब के शीर्षक अंग्रेजी में अर्थ था "सिंगल गर्ल ऑफ माई विलेज"। इस किताब को हाल ही में रिलीज किया गया।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान में काफी वक्त गुजारने के बाद मेसिअर बरसों से हो रही कन्या भ्रूण हत्या का इतिहास लिखने के लिए खास तौर से देवरा आए।
मात्र 600 से 700 की जनसंख्या वाले इस गांव में कन्या भ्रूण हत्या सदियों से प्रथा के तौर पर चली आ रही है।
समय के साथ बदले हालात
कभी लड़की को तरसने वाले इस गांव के हालात अब काफी बदल गए हैं। समय ने यहां पर भी करवट ली है और एक बढिया पहल का ही परिणाम है कि आज यहां के परिवारों में कुल 25-30 लड़कियां मौजूद हैं। -
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