शनिवार, 7 अप्रैल 2012

रिफाइनरी की उम्मीदों में फिर एक पेंच पड़ गया

 

राजस्थान में रिफाइनरी की उम्मीदों में फिर एक पेंच पड़ गया लगता है। राज्य की सारी उम्मीदें ओएनजीसी पर टिकी हैं और ओएनजीसी को अब वेदांता समूह ने ले लिया है। इससे राज्य की कुछ चिंताएं बढ़ी हैं। उधर,ओएनजीसी अब एमआरपीएल को नामांकित कर सकती है। इस आशय के संकेत राज्य सरकार के अधिकारियों से मिले हैं।


ओएनजीसी 2005 से ही रिफाइनरी को घाटे का सौदा मानकर चल रही है, लेकिन राजस्थान से राजनीतिक दबाव के चलते वह कोई न कोई दूसरा बहाना बना लेती है और मामला टल जाता है। अब मौजूदा सरकार ने केंद्र और ओएनजीसी पर रिफाइनरी के लिए दबाव बढ़ा दिया है। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बजट भाषण में कह चुके हैं कि रिफाइनरी लाने के लिए उनकी सरकार लगातार कोशिशें कर रही है और अब उसमें सकारात्मक संकेत हैं।


ओएनजीसी के संपर्क के बाद मेंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रो केमिकल्स के अधिकारियों ने इस बारे में विचार शुरू कर दिया है। एम आरपीएल ने इंजीनियर्स इंडिया से भी संपर्क किया है। राज्य सरकार और ओएनजीसी के बीच भी बातचीत चल रही है, लेकिन इसके लिए अभी कोई दस्तावेज तैयार नहीं हो सका है।
रिफाइनरी मामले में जानकारों का कहना है कि देश में अभी काफी रिफाइनरीज हैं और उनकी तेल शोधन क्षमता देश की मौजूदा तेल उत्सर्जन क्षमता से काफी ज्यादा है। इसे इस रूप में देखा जा रहा है कि राजस्थान में नई रिफाइनरी लगी तो उसके लिए कच्चा तेल उपलब्ध करवाना मुश्किल होगा, लेकिन कुछ का मानना है कि इस रिफाइनरी के लिए राजस्थान के अपने तेल कुओं से तेल का पर्याप्त उत्सर्जन हो सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें