सोमवार, 18 जुलाई 2011

दौरा या मज़ाक ? ..................दुर्गसिंह राजपुरोहित

दुर्गसिंह राजपुरोहित





एयर कंडिशनर गाडियों के काफिले के साथ थार के सरहदी इबाड़मेर लाके जहाँ पारा पचास डिग्री को भी पार कर जाता हैं वहा की ज़िन्दगी को देखने के लिए आई केंद्रीय टीम को सरकार ने यहाँ भेज कर पिकनिक का बढ़िया प्रबंध करवा दिया ! टीम यहाँ पर बाड़मेर-जैसलमेर के करीब अस्सी गाँवो का दौरा करने के लिया आई थी जिनकी लाखो बीघा जमीन को 4 अगस्त 1980 को एक तुगलकी फरमान अबाव ग्रस्त कर दिया ! तीस साल बाद आज भी ये जमीन सिर्फ एक चुनावी मुद्दा बन कर रह गई हैं , इसके कारण ही हर पांच साल बाद बाड़मेर कि राजनीति को हवा मिलती हैं ! लेकिन आम जनता से रू-ब-रू होने की बजाय यहाँ पर पहुंचे केन्द्रीय टीम के सदस्य यहाँ लग्जरी गाडियों में घूम घूम कर रेगिस्तान की फोटोग्राफी में व्यस्त नज़र आये !  जबकि सम्बंधित विभाग के अधिकारी भी उनको समस्या ग्रस्त इलाको का भ्रमण करवाने की बजाय उन स्थानों पर लेकर घूमते रहे जहाँ उन्होंने पूर्व में ही सही व्यव्स्था करवा रखी थी !  डेज़र्ट नेशनल पार्क यानी राष्ट्रीय मरू उद्यान (डी एनपी) क्षेत्र का जायजा लेने सरहदी गांवों में पहुंचे सेंट्रल हाई पॉवर कमेटी के सदस्यों के रूट बदलने से बेसब्री से इंतजार कर रहे ग्रामीणों को निराश होना पड़ा।  यहाँ के तुड़बी गांव में विधायक एवं पूर्व राज्य मंत्री अमीन खां व पूर्व विधायक डॉ.. जालमसिंह रावलोत की मौजूदगी में सैकड़ों लोग इंतजार करते रहे, लेकिन टीम के सदस्य बिना रुके दुसरे गाँव के लिए रवाना हो गए। इस दौरान  ग्रामीणों ने उगेरी फांटा पर कमेटी के सदस्यों की गाडिय़ों को रुकवा उनको समस्याएं सुनने के लिए मजबूर कर दिया। ग्रामीणों ने यहाँ जमकर नारेबाजी भी की !
रंजीत सिंह की अध्यक्षता वाली सेंट्रल हाई पॉवर कमेटी में लूणी विधायक मलखान सिंह, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक यूएन सहाय, राज्य वन्य जीव मंडल राजपाल सिंह,जोधपुर के एडवोकेट महेंद्र व्यास,ताज ग्रुप के पूर्व निदेशक दिव्य भानू जावड़ा ने सांसद हरीश चौधरी, जिला प्रमुख मदन कौर, विधायक अमीन खां समेत कई जनप्रतिनिधियों के साथ सरहदी गांवों का जायजा लिया। कमेटी के सदस्यों ने हरसाणी, उगेरी, पाबूसरी, गिराब, बिजावल, गोरालिया समेत करीब एक दर्जन गांवों का दौरा किया। इस दौरान जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों से रूबरू होकर समस्याएं सुनी। इस दौरान पूर्व विधायक डॉ.. जालमसिंह रावलोत, हरिसिंह सोढ़ा, मरु उद्यान किसान संघर्ष समिति के संयोजक स्वरूपसिंह राठौड़, समेत कई जनप्रतिनिधि व ग्रामीण मौजूद थे। 
लेकिन यहाँ पर राजनीति पूरी तरह हावी रही, भाजपा और कांग्रेस के नेता यहाँ पर भी क्रेडिट लेने की होड़ में रहे  ! बाद  में इस क्रेडिट के चक्कर में कांगेस के सांसद हरीश चौधरी , क्षेत्रीय विधायक अमीन खान , जिला प्रमुख मदन कौर , शिव के प्रधान गंगा सिंह भी भाजपा नेताओं की मौजूदगी के कारण गायब हो गए ! 
कुल मिला कर देखा जाए तो यहाँ कमेटी सदस्यों का रुख सकारात्मक नहीं था। ग्रामीणों की ओर से समस्याएं बताने पर संतोष जनक जवाब तक नहीं दिया गया। बिजावल में समिति की ओर से समस्याएं रखने पर न तो आश्वासन दिया गया ओर नहीं कोई सकारात्मक जवाब। 
पाबूसरी गांव के ग्रामीणों ने कमेटी के सदस्यों को बताया कि उनके गांव में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर डी एनपी के कार्मिक कब्र खोदने नहीं देते।  मौत के बाद शव दफनाने को दो गज जमीन नसीब नहीं हो रही है। इस समस्या का समाधान किया जाए। इस पर सदस्यों ने चुप्पी साधे रखी। 


इस सम्बन्ध में जब कमेटी के अध्यक्ष रंजीत सिंह से पूछा गया की डी एन.पी क्षेत्र के दौरे के बाद उनका क्या मत हैं तो वे हर बात को टालने के मूड में नजर आये ! उनसे पूछा गया कि जिस गोडावन पक्षी कि आड़ में अस्सी गाँवो पर संकट हैं वहा के दौरे में गोडावन आपने कही देखा तो उनका जवाब था कि मौसम ख़राब होने के कारण वो पक्षी नज़र नहीं आये ! 
 रंजीत सिंह चेयर मेन  डी एन.पी कमेटी
इस सारे घटना क्रम के बाद ये बात लगभग स्पष्ट हो चुकी हैं कि कमेटी कि केंद्र सरकार के पास जाने वाली रिपोर्ट में कोई बड़ी राहत लाखो बीघा जमीन पर रहने वाले लोगो को नहीं मिलने वाली क्यूंकि कमेटी के सदस्यों का रुख यहाँ पर आमजन कि समस्याओं से ज्यादा रेतीले टीबो पर पिकनिक मनाना ही था !  

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