रविवार, 4 नवंबर 2018

*थार की चुनावी रणभूमि 2018* *सरहद का एक गांव जंहा पानी बिजली तो नही धर्म की राजनीति जरूर पहुंची,मूलभूत सुविधाओं के प्रति नही पर मतदान के प्रति जागरूक*

*थार की चुनावी रणभूमि 2018*

*सरहद का एक गांव जंहा पानी बिजली तो नही धर्म की राजनीति जरूर पहुंची,मूलभूत सुविधाओं के प्रति नही पर मतदान के प्रति जागरूक*

*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक की खास रिपोर्ट*

बाडमेर पाकिस्तान की सीमा से पांच किलोमीटर पहले राजस्थान के बाड़मेर के कैरकोरी गांव में रहनेवाले शरीफ़ को जितनी प्यास लगती है, वो उससे आधा पानी ही पीते हैं.

शरीफ़ कहते हैं कि पानी बचाना ज़रूरी है क्योंकि यहां पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, यहां कपड़े भी 20 दिन बाद धोए जाते हैं.

बारिश होती है तो गांव के कुंए में पानी भर जाता है बाकी समय घर की महिलाएं पांच किलोमीटर दूर पैदल चलकर जाती हैं और मटका भरकर पानी लाती हैं.

पानी ला दो...
हाथ जोड़कर मुझे कहते हैं, "कुछ भी करके पानी ला दो. हमें बस पानी चाहिए. इस बालू के बीच हमारा गला हमेशा सूखा रहता है और हमारे पशु मर जाते हैं."

उनके हाथ नीचे कर मैं कहता  हूं कि मैं सरकार नहीं पत्रकार हूं. इस पर वो कहते हैं, "सरकार तो पांच साल में एक बार ही हमारे पास आती है और उसे चुनने का हक जताने के लिए भी हमें ही पांच किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है."

'सड़क नहीं'
बाड़मेर शहर से क़रीब 120 किलोमीटर दूर बसे कैरकोरी गांव में 30 से अधिक परिवार रहते हैं और 90 पंजीकृत वोटर हैं.

गांव के आसपास सात किलोमीटर तक कोई सड़क नहीं, सिर्फ बालू है. हमने ये रास्ता एक बड़ी गाड़ी में तय किया था. गांववाले रोज़ पैदल ही करते हैं.

गांव में बिजली के तार आए हैं लेकिन बिजली नहीं है. ठीक वैसे ही जैसे पानी की पाइप लाइन और टंकी तो है पर सालों से टूटी हुई है.

चुनावी मौसम
एक बुज़ुर्ग महिला मुझे पास बुलाकर कान में कहती हैं, "बेटा उम्र बीत गई पानी का घड़ा ढोते-ढोते लेकिन पानी यहां नहीं आया."

जो यहां आई और रह गई, वो है उम्मीद. चुनाव से और चुनावी मौसम में एक बार दर्शन देने वाले नेताओं से.

हैरानी हुई ये जानकर कि मतदान के बारे में सबका मत एक है कि वोट तो ज़रूर डालना है. ये हक वो हताशा के आगे नहीं छोड़ना चाहते.

ये अलग बात है कि एक झोंपड़ी में दो अध्यापकों के साथ दो महीने पहले शुरू हुए इस स्कूल को कैरकोरी का रास्ता तय करने में आज़ादी के बाद भी छह दशक से ज़्यादा लग गए.

'धर्म की राजनीति'
जाते-जाते एक महिला से मैं पूछ बैठी कि कौन सी पार्टी पसंद है? वो बोलीं, "कांग्रेस, उसी को वोट दूंगी. हमारे नेता कांग्रेस से हैं और मुसलमान हैं. हम भी मुसलमान हैं. बस इसलिए."

मेरा मुंह खुला का खुला रह गया. सोचने लगा कि जिस गांव में ना पानी पहुंचा, ना बिजली, ना सड़क का रास्ता, ना शिक्षा की बयार, वहां के लोगों को धर्म की राजनीति का पाठ किसने पढ़ा दिया?

*96 लाख नकदी व दो क्विंटल चांदी सहित 2 गिरफ्तार*

*96 लाख नकदी व दो क्विंटल चांदी सहित  2 गिरफ्तार*

*अजमेर/ रेलवे स्टेशन पर देर रात आश्रम एक्सप्रेस में एटीएस व जीआरपी व इनकम टैक्स   की सयुक्त कार्रवाई, ट्रेन के लगेज की बोगी में बोरों में 96 लाख की भरी नकदी और दो किलो चांदी के बर्तन जब्त,करीब जब्त किये ,डेढ़ क्विंटल चांदी भी मिली है बोरे में भरी हुई ,बड़ी मात्रा  में नगदी व चांदी मिलने की सूचना पर सवेरे 4 बजे किया गया खुलासा*

*सिवाणा विधायक हमसा के खिलाफ़ कार्यकर्ताओं की बगावत,टिकट नही लेने देंगे*

*सिवाणा विधायक हमसा के खिलाफ़ कार्यकर्ताओं की बगावत,टिकट नही लेने देंगे*

*चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही राजनीति के रंग ढंग बदलने लगे।।रणकपुर में जिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने वसुंधरा राजे के खास विधायक हमीर सिंह भायल हमसा को पुनः टिकट देने की पुरजोर मांग की थी।।वो रंग कार्यकर्ताओं पर दस दिन में उतर गया।।गत दिनों सिवाणा में आयोजित पार्टी बैठक में कार्यकर्ताओं का गुस्सा हमसा के प्रति फुट पड़ा।।कार्यकर्ताओ ने हमसा पर पांच साल अनदेखी का आरोप लगाया साथ ही यह भी कहते सुने गए कि विरोध करने की हमारी औकात नही थी।काम तो काम ढंग से पेश नही आते ।बैठक में सिवाणा भाजपा ने एक स्वर सिवाणा से भाजपा प्रत्यासी हमसा के अलावा किसी को भी बनाने का प्रस्ताव रखा।बैठक में कार्यकर्ताओं का आक्रोश हमसा की कार्यशैली को लेकर चरम पर था। सोसल मीडिया पर यह वीडियो वायरल भी तेजी से हो रहा।।भाजपा ने पूर्व में ही हमीर सिंह को संकेत दे दिए थे कि इस बार उन्हें टिकट देने में असमर्थ है।इस बार सिवाणा से भाजपा राजपुरोहित को टिकट देने जा रही है। वसुंधरा राजे कान सिंह कोटड़ी के पक्ष में थी।चूंकि गत चुनाव में हमीर सिंह को टिकट दिलाने में मानवेन्द्र सिंह का अहम रोल था। पांच साल विधायक रहने के बावजूद हमसा कार्यकर्ताओं में पैठ नही बना सके।।सिवाणा में इस बार चुनाव दिलचस्प होने वाले है।।क्योंकि भाजपा द्वारा राजपूत बाहुल्य सीट पर राजपूत को टिकट नही देने पर राजपूत भाजपा के साथ खड़े रहते है या नही यह दिलचस्प होगा।

चेतन डूडी को टिकट की अटकलों पर ज्योति मिर्धा समर्थकों का हंगामा, कांग्रेस छोड़ने की चेतावनी


चेतन डूडी को टिकट की अटकलों पर ज्योति मिर्धा समर्थकों का हंगामा, कांग्रेस छोड़ने की चेतावनी

चेतन डूडी को टिकट की अटकलों पर ज्योति मिर्धा समर्थकों का हंगामा, कांग्रेस छोड़ने की चेतावनी
नागौर जिले के डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के टिकटार्थियों के बीच कलह शनिवार को खुलकर सामने आई. चेतन डूडी को पार्टी से टिकट दिए जाने की अटकलों के बीच डीडवाना से कांग्रेस की पूर्व प्रत्याशी ज्योति मिर्धा के समर्थकों ने जयपुर स्थित पीसीसी कार्यालय पर हंगामा खड़ा कर दिया. डीडवाना से जयपुर पहुंचे मिर्धा समर्थकों ने चेतन डूडी को टिकट देने पर पार्टी छोड़ने तक की चेतावनी दे डाली.



समर्थकों का कहना है कि टिकट को लेकर ज्योति मिर्धा से राय ली जाए. प्रदेश के पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में सिर्फ 2700 वोट से मिर्धा चूक गई थीं. समर्थकों का आरोप है कि उस दौर में चेतन और उनके परिवार ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था.गौरतलब है कि ज्योति मिर्धा नागौर से एक बार सांसद रह चुकी हैं. 2009 से 2014 तक सांसद रहने के बाद पिछले चुनाव में सीआर चौधरी के सामने मिर्धा को हार का मुंह देखना पड़ा था.

उधर, एक दिन पहले भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय के बाहर टिकटार्थियों के समर्थकों में जमकर हंगाम हो चुका है. आपस में कहासुनी के बाद प्रदेश कांग्रेस सचिव प्रशांत बैरवा के विरोधी और समर्थकों में जमकर हाथापाई हुई. निवाई से बैरवा की दावेदारी पर विरोधी गुट और समर्थकों के बीच हुई इस हाथापाई के दौरान पीसीसी के बाहर जमकर नारेबाजी भी हुई.

'तेजप्रताप नॉर्थ तो ऐश्वर्या साउथ पोल', लालू यादव की 2 घंटे की मुलाकात, क्या बना पाएगी बात? 10 बातें


'तेजप्रताप नॉर्थ तो ऐश्वर्या साउथ पोल', लालू यादव की 2 घंटे की मुलाकात, क्या बना पाएगी बात? 10 बातें

'तेजप्रताप नॉर्थ तो ऐश्वर्या साउथ पोल', लालू यादव की 2 घंटे की मुलाकात, क्या बना पाएगी बात? 10 बातें
नई दिल्ली: बिहार के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार में अभी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की तलाक की अर्जी ने परिवार के भीतर 'भूचाल' ला दिया है. तेजप्रताप यादव ने अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक की अर्जी दी है. हालांकि, यादव परिवार में तेजप्रताप यादव को मान-मनौवल का दौर चल रहा है, मगर तेजप्रताप यादव के जिस तरह के तेवर दिख रहे हैं, उससे लग नहीं रहा कि लालू परिवार की मुश्किलें कम होंगी. बहरहाल, राजद नेता तेज प्रताप यादव ने शनिवार को रांची स्थित एक अस्पताल में अपने पिता लालू प्रसाद से मुलाकात की और कहा कि वह ऐश्वर्या राय के साथ अपनी छह महीने पुरानी शादी समाप्त करने के अपने निर्णय पर कायम हैं क्योंकि वह ‘घुट-घुटकर नहीं जी सकते.


लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने शुक्रवार को पटना की एक अदालत में राय के साथ बेमेल जोड़ी का उल्लेख करते हुए तलाक की अर्जी दायर की थी. ऐश्वर्या राय राजद नेता चंद्रिका राय की पुत्री हैं. तेज प्रताप यादव ने ऐश्वर्या राय से 12 मई को विवाह किया था. राय के दादा दरोगा राय 1970 के दशक के शुरू में थोड़े समय के लिए बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे. तेज प्रताप ने शनिवार को लालू से रांची में राजेंद्र इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में दो घंटे से अधिक समय तक मुलाकात की. वहां लालू चारा घोटाला मामले के सिलसिले में बंद हैं.
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव शुक्रवार को तलाक की अर्जी दायर करने के बाद पटना हवाईअड्डे गए थे, लेकिन परिवार के सदस्यों द्वारा मनाने के बाद मां राबड़ी देवी के आवास पर लौट आए थे. वह शनिवार की सुबह लालू से मिलने के लिए सड़क मार्ग से रांची रवाना हुए.
अपने पिता से मुलाकात के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं अपने निर्णय पर कायम हूं. कोई भी व्यक्ति घुट-घुटकर नहीं जी सकता.' उन्होंने यह नहीं बताया कि लालू के साथ उन्होंने क्या चर्चा की. उन्होंने केवल यही कहा कि उनके पिता घर आएंगे और ‘मैं उनका इंतजार करूंगा.' तेज प्रताप ने कहा, ‘हम अपने परिवार के सदस्यों से इसके बारे में चर्चा करेंगे. लेकिन मैं अपने निर्णय पर कायम हूं.' उन्होंने कहा कि उन्हें जो कुछ भी कहना है वह अदालत में कहेंगे जब तलाक मामले की सुनवायी 29 नवम्बर को शुरू होगी.
शनिवार को इससे पहले चिकित्सकों के एक दल ने लालू की जांच की और संवाददाताओं से कहा कि सब कुछ सामान्य है. मधुमेह से पीड़ित लालू विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं और वह रिम्स में एक निजी वार्ड में हैं. तीर्थनगरी बोधगया में पत्रकारों से बातचीत में तेजप्रताप ने कहा, ‘मैंने अपने माता-पिता को बताया था कि अभी मेरी शादी करने की कोई इच्छा नहीं है लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी. हमारी जोड़ी नहीं मिली. मैं साधारण सी आदतों वाला साधारण व्यक्ति हूं जबकि वह एक आधुनिक महिला हैं, दिल्ली में पढ़ी-बड़ी हैं और महानगरीय जिंदगी जीती रही हैं.' इस बारे में ऐश्वर्या राय या उनके परिवार की ओर से गत शुक्रवार से कुछ भी नहीं कहा गया है.
तेज प्रताप ने यह भी कहा कि पिछले कुछ महीनों से पत्नी से उनकी बातचीत भी नहीं हुई है. यह पूछे जाने पर कि क्या उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर उनसे कुछ कहा, इस पर उन्होंने कहा कि वे राजनीति के बारे में बात करते हैं, ऐसे मामलों के बारे में नहीं. अपनी याचिका में उन्होंने तलाक मांगने की वजह क्रूर व्यवहार बताया है. लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने कहा है कि वह 'नॉर्थ पोल' हैं जबकि उनकी पत्नी ऐश्वर्या 'साउथ पोल' हैं, प्रधानमंत्री भी आ जाएं तो भी वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे.
वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव ने अपने बड़े भाई तेज प्रताप यादव द्वारा दायर की गई तलाक की याचिका पर मीडिया सुर्खियों को लेकर शनिवार को नाखुशी जाहिर की और कहा कि पारिवारिक मामलों को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए.
तेजस्वी ने कहा कि एक महिला कांस्टेबल की मौत के बाद शुक्रवार को बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी सड़कों पर उतर आये थे. यह एक गंभीर मुद्दा है तथा कानून एवं व्यवस्था की स्थिति के लिए चिंता की बात है और मीडिया द्वारा इसे सही ढंग से दिखाया जा रहा था.
उन्होंने कहा कि लेकिन शाम तक सब कुछ भुला दिया गया और एक परिवार में घटित बातें आकर्षण का केन्द्र बन गईं. तेजस्वी यादव ने कहा कि घरेलू मामले लोगों को प्रभावित करते हैं लेकिन केवल उनको जो परिवार के सदस्य हों. ये सार्वजनिक मुद्दे नहीं हैं.
इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि परिवारों में मनमुटाव हो जाते हैं और उनका समाधान भी हो जाता है. उन्होंने कहा कि इस प्रकरण का यादव की राजनीतिक संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा जो कि वर्तमान में विधायक हैं. इसके साथ ही राजद पर भी इसका कोई राजनीतिक असर नहीं होगा,.
रघुवंश सिंह ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा,‘‘तेज प्रताप की तलाक याचिका राजनीतिक रूप से किसी को भी प्रभावित क्यों करेगी? अपनी पत्नी से अलग होने के बावजूद क्या नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने और क्या भाजपा ने चुनाव नहीं जीता?'