शनिवार, 24 मार्च 2018

अन्ना अनशनः राजनीतिक लोगों के लिए नो एंट्री, आंदोलन में साथ आने के लिए ये शर्त करनी पड़ेगी पूरी

अन्ना अनशनः राजनीतिक लोगों के लिए नो एंट्री, आंदोलन में साथ आने के लिए ये शर्त करनी पड़ेगी पूरी

दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे एक बार फिर जन आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में कोई भी शामिल हो सकता है। लेकिन इसके लिए एक शर्त है। उसको एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करने होंगे।
जिस पर लिखा है कि आंदोलन में हिस्सा लेने वाला व्यक्ति कभी किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होगा और न ही वह कभी कोई चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि वह सुनिश्चित करें कि जीवन में सिर्फ अच्छे काम और समाजसेवा करेगा। अन्ना ने कहा कि मैं किसी राजनीतिक दल या समूह से जुड़े लोगों को इस स्टेज पर नहीं चढ़ने दूंगा।


अन्ना हजारे के लिए इमेज परिणाम

बता दें कि रामलीला मैदान से अन्ना हजारे ने एक बार फिर हुंकार भरी है। इस बार वह सक्षम किसान, सशक्त लोकपाल और चुनाव सुधार की मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठ गए हैं। उनके समर्थन में बड़ी तादाद में लोग रामलीला मैदान में पहुंचे है। अन्ना ने सत्याग्रह के मंच पर किसी भी राजनेता के प्रवेश पर रोक की बात कही है।

साथ ही कहा कि राजनीति से संबंधित इस्तीफे का शपथ पत्र भरकर ही कोई भी राजनीति से जुड़ा इंसान उनके मंच को सांझा कर सकता है। अन्ना ने कहा कि सक्षम किसान, सशक्त लोकपाल और चुनाव सुधार की मांगों को जब तक केन्द्र सरकार नहीं मानती वह अनशन नहीं तोड़ेंगे।

इससे पहले शुक्रवार को अन्ना हजारे महाराष्ट्र सदन से राजघाट पहुंचे थे, जहां उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा को नमन किया। वहां से बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित शहीदी पार्क पहुंचकर उन्होंने शहीद भगत सिंह और सुखदेव और राजगुरु को श्रृद्धांजलि दी। उसके बाद अन्ना ने रामलीला मैदान पहुंचकर लोगों को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि सरकार उनके आंदोलन को दबाना चाहती है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आंदोलन में शामिल होने के लिए बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों पर दिल्ली के बॉर्डरों के बाहर ही रोके जाने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली आने वाली कई ट्रेनों को भी रद्द कर दिया गया है।

शुक्रवार, 23 मार्च 2018

बूचड़खनों को बंद किया जायें - देवजी पटेल



बूचड़खनों को बंद किया जायें - देवजी पटेल

नईदिल्ली। 23 मार्च, 2018 शुक्रवार

जालोर-सिरोही सांसद देवजी पटेल ने सोलहवीं लोकसभा के चैदहवें सत्र में बुचड़खनों को बंद करने का मुद्दा उठाया।

जालोर-सिरोही सांसद देवजी पटेल ने लोकसभा में कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कृष्णा राज सेे प्रश्न करते हुए कहा कि क्या आईएसआर के अनुसार बूचड़खनों में प्रतिवर्ष करीब 9.12 लाख भैंसो का वध किया जाता है जिनके गोबर से 39.40 हेक्टर कृषि भूमि को उपजाउ बनाने के लिए 2,95,50,000 टन गोबर खद उत्पादित हो सकती है और इस खाद का प्रतिवर्ष औसतन 10,89,000 टन उत्पादन हो सकता है तथा इस प्रकार इन पशुओ का वध किए जाने के कारण प्रतिवर्ष अरवों रुपयों का नुकसान होता है यदि हा तो सरकार द्वारा इन गोवँशी पशुओ की रक्षा करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है क्या सरकार बूचड़खानों को पूरी तरह बंद करने पर कवचार कर रही है और यदि हाॅ तो तत्सबंधी ब्यौरा क्या है।

सांसद पटेल के प्रश्न का जवाब देते हुए कृषि और किसान राज्य मंत्री कृष्णा राज ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान एवं अनुसंधान (आईएसआर) द्वारा दी गई सूचना के अनुसार आईसीएआर के पास गोबर खद की मात्रा व वध के आकड़े ंउपलब्ध नही है परन्तु सरकार देश में भैंस की जनसंख्या के विकास और संरक्षण के लिए देशी नस्लों के संवर्धन और संरक्षण के उद्देश्य के साथ और बोबाईनों के दुध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्वि हेतु राष्ट्रीय गोकुल मिषन प्रारंभ किया है दुधारु पशुओ की उत्पादकता बढाने के लिए और ग्रामीण दुध उत्पादकों को संगठीत दुध प्रसंस्करण केंद्र में अधिक से अधिक पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य के साथ राष्ट्रीय डेयरी योजना प्रथम चरण कार्यान्वित की जा रही है इस योजना में भैसों की 6 स्वदेशी नस्लों मेहसाणी, मुर्राह, जाफराबादी, नीली रवि, बन्नी और पंद्यरपुरी के विकास और संरक्षण पर घ्यान केन्दगीत किया गया है ।

उन्होने बताया कि पशुधन स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने हेतु पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना कार्यान्वित की गई है एवं देश में चारा उपलब्धता को बढानें हंतु आहार और चारा विकास सबंधी उप मिशन वाले राष्ट्रीय पशुधन मिशन को कार्यान्वित किया जा रहा है सरकार के तीन अधीनस्थ संगठन नामत, कंन्द्रीय गोपषु प्रजन्न फार्म (सीसीबीएफ) केन्द्रीय पशु युथ पंजीकरण योजना तथा केन्दीय हिमित वीर्य उत्पादन और प्रशिक्षण संस्थान भी स्थापित किए है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अपने संस्थानों के माघ्यम से देशी नस्लों का आनुवंशिक सुधर और संरक्षण कर रही है ।

उन्होने बताया कि बूचड़खनों का विनियम राज्य के कानून विधायी के माध्यम से राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है क्योंकि पशुपालन राज्य का विषय और राज्य की विद्यायिका के पास कानुन बनाए जाने की अनन्य शक्ति मौजूद है अधिकांश राज्य सरकारों ने पशुओ के वध पर प्रतिबंध/निषेध के लिए कानून बनाए हैं।