मंगलवार, 27 जून 2017

आनंदपाल एनकाउंटर: तीसरे दिन भी नहीं हुआ अंतिम संस्कार

आनंदपाल एनकाउंटर: तीसरे दिन भी नहीं हुआ अंतिम संस्कार

राजस्थान के नागौर जिले के सांवराद गांव में आनंदपाल एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर तीसरे दिन मंगलवार को भी धरना जारी है. परिजन भी अपनी 6 मांगों पर अड़े हैं और नहीं माने जाने तक शव लेने को तैयार नहीं हैं. उधर, गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा है कि व्यक्ति के मरने के बाद शव को पवित्र माना जाता है और अंतिम संस्कार से इनकार कर उसके साथ अत्याचार करना है. उन्होंने यह भी कहा कि चाहे तो आनंदपाल के परिजन इस एनकाउंटर की सीबीआई से जांच करवा लें, हम दोषी हुए तो जेल जाने को तैयार हैं.
आनंदपाल सिंह के लिए चित्र परिणाम

कटारिया ने सोमवार को पुलिस की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि आनंदपाल को आत्मसमर्पण के लिए कहा गया लेकिन उसने पुलिस पर फायरिंग शुरु कर दी. आखिर आत्मरक्षा के लिए पुलिस को जवाबी फायरिंग करनी पड़ी. बता दें कि आनंदपाल को 24 जून की रात को चूरू जिले के मालासर गांव में पुलिस ने घेर लिया और एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई थी.


सरकार चाहती है कि आनंदपाल का अंतिम संस्कार पूरे रिवाज के साथ हो. अंतिम संस्कार न करके परिजन उसकी पार्थिव देह का अपमान कर रहे हैं.

— गुलाब चंद कटारिया, गृहमंत्री, राजस्थान

बाड़मेर। राज रूठा सो रूठा, कुदरत का गुस्सा भी असहायों पर टूटा

बाड़मेर। राज रूठा सो रूठा, कुदरत का गुस्सा भी असहायों पर टूटा 


@ सुशीला दहिया की कलम से..

बाड़मेर। कहते हैं किस्मत और जेब जब साथ न दे तब कड़ा संघर्ष ही एकमात्र माध्यम रह जाता हैं हक पाने का। वेसे तो आम इंसान के बूते की बात नही रहती न्याय पाना, क्योंकि पैसो की कसौटी पर विराजमान लोकतंत्र किसी का दर्द-मजबूरी न तो देखता हैं न ही महसूस करता हैं। और फिर क्यों महसूस करे..? एयरकंडीशनर वातावरण में सुख भोगने वाला लोकतंत्र, तिरंगे के सामने सड़क किनारे छोटे से तम्बू में वजूद की जंग लड़ रहे मजबूर इंसानों के दुख दर्द से इनका क्या वास्ता...। यही कारण हैं कि राज की नजरों में तिरस्कृत एक असहाय परिवार पर बीती रात कुदरत ने भी अपना कहर बरपा दिया। हवाओं को तुफान का चोला पहना कर कुदरत ने संघर्ष कर रहे इस परिवार का तम्बू ही उखाड़ दिया। यही नहीं आसमान से बेइंतहा बरसे पानी ने इस संघर्षरत परिवार को बुरी तरह से भीगो दिया,,, न तो पहनने के कपड़े सूखे रहे न ही ओढऩे बिछाने के बिस्तर,,,, सब कुछ भीगकर तहस नहस सा हो गया...। 


तम्बू... अरमान... अहसास... उम्मीद... जीन्दगीयां... सब कुछ राहगुजर की जनरों में एक तमाशा बन कर रह गया। बात और माजरा, दौनो बाड़मेर जिला मुख्यालय पर शान से लहरा रहे तिरंगे के सामने एक दलित परिवार के मुखिया की हत्या के आरापियों की गिरफतारी की मांग को लेकर दिए जा रहे अनिश्चतकालीन धरने का हैं। परिवार का कमाऊ मुखिया खोने के बाद, कौन जाने कितनी राते सड़क पर बीत गई, इस उम्मीद के साथ कि आज जरूर न्याय मिलेगा...। 


लेकिन उम्मीद पर व्यवस्था और कुदरत दौनो भारी पड़ गए...। सरकार को दर्द से सुबकते परिवार के आंसु नजर नहीं आते,,, लेकिन इंसानी फितरत जग जाहीर हैं... जब तक न्याय नही मिलेगा संघर्ष यूं ही बदस्तूर जारी रहेगा। बीती रात बाड़मेर में तुफानी बरसात से आहत हूए इस असहाय परिवार की सरकार को सूध लेनी चाहिए,,, न्याय की उम्मीद को अमली जामा पहनाना चाहिए,,, क्यों कोई घर आंगन छोड़ कर प्रशासन के सामने सड़कों पर राते बिताने को मजबूर हो जाए... प्रशासन को इस परिवार पर दया आनी चाहिए,,, प्रशासन की आंखे भीगनी चाहिए,,, हजार आंसु दुख के यह परिवार रोया हैं,,, सहानुभूति के दो आंसु प्रशासन को भी बहाने चाहिए....।

सोमवार, 26 जून 2017

राजस्थान के रेगिस्तान में फिल्माई जा रही कन्नड़ की अदभुत फ़िल्म पारंगीपुर।।



राजस्थान के रेगिस्तान में फिल्माई जा रही कन्नड़ की अदभुत फ़िल्म पारंगीपुर।।




बाड़मेर स्पेसल इफेक्ट और नया ट्रीटमेंट लेकर कन्नड़ की फ़िल्म राजस्थान के रेगिस्तानी जिलो में फिल्माई जा रही हैं।।पारंगीपुर नामक यह फ़िल्म लीक से हट के बताई जा रही हैं।फ़िल्म के मुख्य कलाकार संचारी विजय का दमदार रोल इस फ़िल्म को खास बनाता हैं।




फ़िल्म के निर्देशक जोनी जनार्दन ने बताया कि फ़िल्म तीन कलाकारों और दो कारो के बीच की रोचक कहानी हैं।फ़िल्म का हीरो कार की तलाश में राजस्थान आता हैं।तलाश करते करते रेगिस्तानी इलाको में पहुंचता है।उसी से जुड़े घटनाक्रमो से फ़िल्म आगे बढ़ती हैं।।जैसलमेर के खूबसूरत फ़िल्म लोकेशन पर फिल्माई जा रही हैं।इस फ़िल्म को हिंदी,अंग्रेजी और कन्नड़ तमिल,और तेलगु भाषाओं में बनाया जा रहा हैं प्रिंसेज प्रोडक्शन के बैनर तले बन रही इस फ़िल्म में खास इफेक्ट डाले जा रहे है जो हॉलीवुड की फिल्मों को टक्कर देगी।साथ ही पहली बार जैसलमेर के रेगिस्तान और ग्रामीण जन जीवन को बड़ी खूबसूरती से फ़िल्म में उतारा जा रहा हैं।।फ़िल्म में थ्रिल,कार एक्शन विशेष है तो कार स्टंट दर्शकों को रोमांचित कर देगा।।उन्होंने बताया कि ऐसे कार स्टंट पहले कभी नही फिल्माएे गए।फ़िल्म में बाहुबली जेसा ग्राफिक दर्शकों को मिलेगा।।फ़िल्म में मुख्य कलाकार संचयी विजय के साथ दो नए कलाकार आगाज़ कर रहे है अपने कैरियर का।।

जयपुर बलात्कार के झूठे केस मे फंसाने की धमकी देकर पांच लाख रूपये की मांग करने वाली दिल्ली निवासी महिला गिरफ्तार





जयपुर बलात्कार के झूठे केस मे फंसाने की धमकी देकर पांच लाख रूपये की मांग

करने वाली दिल्ली निवासी महिला गिरफ्तार


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पुलिस उपायुक्त जयपुर पूर्व श्री कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि दिनांक 23.06.2017 को परिवादी श्री संदीप गुप्ता श्री संदीप गुप्‍ता निवासी म. नं. 3/27 गणेश तालाब दादा बाडी थाना दादाबाडी कोटा ने उपस्थित थाना होकर दर्ज कराया कि मै टैक्‍स एडवोकेट के रूप में कार्य करता हूँ, इसके अतिरिक्‍त मैं अचल सम्‍पति के क्रय विक्रय हेतू अपने क्‍लांइटस के लिए कार्य करता हूं। मेरी लगभग 10 दिन पहले सपना नाम महिला से सोशल साइट पर मुलाकात हुई। जिसने सरकारी JOB में होना बताया तथा खुद का अचल सम्‍पति में निवेश आदि का कार्य करना बताया। बाद मे Whatsapp पर जरिये मैसेज एवं मोबाईल पर वार्ता होने लगी। मेरे द्वारा उनको जयपुर व कोटा स्थित सम्‍पतियों की जानकारी दी। उस महिला ने जयपुर स्थित सनराइज रिसोर्ट देखने के लिए आने पर मुझसे दिनांक 20/6/17 की Delhi से Jaipur की Flight Book करने को कहने पर मेरे द्वारा Flight के दो टिकिट Book करवा दिये गये। मैं दिनांक 20/6/17 को शाम लगभग 7 बजे जयपुर पहुंचा ऊर्फ अनिता चौधरी जो कि नाम उन्‍होंने Flight book करने हेतु बताया था से जरिये मोबाईल सम्पर्क किया तो उसके द्वारा मुझे होटल रमाडा राजापार्क के अन्दर कमरा बुक करवाने के लिए कहा। जिस पर मेरे द्वारा होटल मे दो बैड का एक रूम ऑन लाईन बुक करवा दिया गया। कुछ देर बाद ही अनिता चौधरी के रूम मे आने के बाद कहा कि मै बहुत थक गई है, Drinks लाए हो तो बनाओ। जो मुझे पहले ही Wine लाने को कह चुकी थी। अनिता चौधरी के साथ मैंने Drinks ली तथा Bed पर चले गए। मैंने इनसे किसी प्रकार भी शारिरिक सम्‍बन्‍ध नहीं बनाए सुबह जब अनिता चौधरी से रिसोर्ट देखने चलने के लिए कहा तो उसने मुझे Crime Branch से बताया तथा कहा मेरी Team नीचे है जो अभी आकर तुझे घसीटते हुए थाने ले जाएगें और धमकाते हुए पांच लाख रूपये की तथा 50000/- अतिरिक्‍त टीम के खर्चे के मांगे की। जिसने मुझसे तुरंत Online 10000/- रू. अपने अपने बैंक खाते में Transfer करा लिये और 5 लाख रूपये के लिए खाली स्‍टाम्‍प पर लिखवा लिया। मै पैसे लेकर आऩे की कहते हुये होटल से बाहर आ गया। वो महिला गलत तरीके से झूठे इल्‍जाम लगाने का कहकर ब्‍लेकमेल करते हुए मुझसे धमकी देकर पैसों की मांग् कर रही है। आदि पर अभियोग पंजीबद्द किया जाकर अनुसंधान प्रारम्भ किया गया।

प्रकरण हाजा मे वांछित महिला की तलाश हेतु अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त जयपुर पूर्व श्री हनुमान प्रसाद व सहायक पुलिस आयुक्त श्री मदन सिंह के निर्देशन मे श्री ब्रजभूषण अग्रवाल पु.नि. थानाधिकारी पुलिस थाना आदर्श नगर के नेतृत्व मे महिला की जयपुर शहर व आस पास तलाश करते हुये श्री रामानन्द शर्मा उ.नि., कानि. कैलाश चन्द नं. 9328, टेकचन्द नं. 11415 व महिला कानि. श्रीमती उर्मिला नं. 7977 की टीम गठित की जाकर महिला की तलाश हेतु टीम को गुडगांव व दिल्ली रवाना किया गया। महिला श्रीमती अनिता चौधरी को उसके सम्भावित स्थानों पर तलाश की जाकर बादशाहपुर (गुडगांव) से गिरफ्तार किया जाकर जयपुर लाया गया। महिला को सम्बन्धित न्यायालय मे पेश किया जकर 1 दिन का पी.सी. रिमाण्ड लिया गया है। मुलजिमा श्रीमती अनिता चौधरी से जयपुर शहर मे बढती हुई इस तरह की घटनाओं के मध्येनजर गहनता से पूछताछ व तफ्तीश जारी है।

जैसलमेर के चेलक गांव में रात को युवक का सर मुंड लिया अञातो ने

जैसलमेर के चेलक गांव में रात को युवक का सर मुंड लिया अञातो ने 



जैसलमेर के चेलक गांव में एक युवक का दावा की उसके सोते समय किसी अज्ञात ने बाल काट दिए।।युवक ने ग्रामीणों से बात की तो सकते में आ गए ।पुलिस को सूचित किया तो खुहड़ी पुलिस ने मौके पर पहुंच युवक से पूछताछ की।।जानकारी के अनुसार गर्ग जाती का यह युवक कल रात्रि नो बजे अपने ढाणी में सो गया ,सुबह जब उठा तो पड़ौसी ने ुआँसे बताया की तेरा सर क्यों मुंडवाया ,युवक आश्चर्यचकित रह गया ,वः सीधे गांव में आया तथा मोजिज   , ग्रामीणों ने उसे समझाया भी की अफवाह मत फैलाना नहीं तो पुलिस कार्यवाही    करेगी यूवक ने बताया की वः सही बोल रहा की उसके बाल किसी ने रात्रि को सोते वक़्त काट लिए ,उसकी किसी के साथ रंजिश भी नहीं नहीं किसी गाँव  शक ,ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी जिस पर खुहड़ी पुलिस मौके पे पहुंची ग्रामीणों के बीच युवक से पूछताछ की ,पुलिस भी असहाय नजर आई ,पुलिस  कहा की तफ्सीस करते हैं ,

राजस्थान पुलिस का नायाब हीरा है राहुल बारहट* आनंदपाल सिंह के एनकाउन्टर में जांबाजी का नया इतिहास लिखा स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज किया नाम।।*



राजस्थान पुलिस का नायाब हीरा है राहुल बारहट*

आनंदपाल सिंह के एनकाउन्टर में जांबाजी का नया इतिहास लिखा स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज किया नाम।।*

गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर ऑपरेशन में राजस्थान के एक पुलिस अधिकारी ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए राजस्थान पुलिस का सिर गर्व से उपर उठाया है। जी हॉं, हम बात कर रहे है चुरू के पुलिस अधीक्षक राहुल बारहठ की जिन्होंने अपनी जांबाजी का परिचय देते हुए राजस्थान के सबसे खूंखार गैंगस्टर का अंत किया। एसओजी के एसपी का फोन आते ही चूरू एस.पी. राहुल बारहठ ने पूरी तैयारी के साथ मालासर गावं के पास श्रवण सिंह की ढ़ाणी का घेराव करने का प्लान बनाया। जैसे ही एसओजी एवं हरियाण पुलिस मालासर गांव पहुंची, राहुल बारहठ अपनी पूरी टीम के साथ मौके पर पूरी तैयारी के साथ तैनात थे।




श्रवणसिंह की ढ़ाणी का घेराव करने साथ ही आनंदपाल की तरफ से फायरिंग शुरू हो गई। बारहठ ने बताया कि हमने आनंदपाल को सरेंडर करने को कहा लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा रहा और घर की महिलाओं की आड़ लेकर गोलीबारी करने लगा। जानकारी के लिए बता दें कि जैसे ही आनंदपाल दौड़कर घर की छत पर गया तब बहादुर एस.पी. राहुल बारहठ अपने कुछ कमांडोज के साथ घर में घुस गए। आनंदपाल को घर की महिलाओं का प्रतिरोध झेलने के बाद भी एसपी और कमांडोज ने आनंदपाल पर लगातार हमला जारी रखा। और दीवार पर शीशे की मदद से आनंदपाल का मुवमेंट देखा फिर आनंदपाल द्वारा की जा रही फायरिंग का जवाब दिया।




ज्यादातर मामलों में पुलिस के बड़े अधिकारी मोनिटरिंग का काम करते है लेकिन एसपी राहुल बारहठ ने खुद को मोनिटरिंग के साथ ऑपरेशन में पूर्ण रूप से शामिल कर लिया और ए.के. 47 लेकर कमांडोज के साथ श्रवणसिंह के घर में उस समय घुसे जब आनंदपाल की तरफ से लगातार गोलियों की बारिश हो रही थी।चुरू एसपी ने अपने गनमैन के साथ घर के अंदर जाकर आनंदपाल की बादशाहत हमेशा के समाप्त कर दी और राजस्थान में स्वयंभू बन बैठे एक गिरोह के मुखिया को ढ़ेर कर दिया।




इससे पहले भी कई मामलों में पुस्कृत हो चुके है आई.पी.एस. बारहठ

पुलिस मुख्यालय की तरफ से होने वाली पुलिस मूल्यांकन प्रणाली में भी चूरू पुलिस अव्वल रही है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी राहुल बारहठ के नेतृत्व में काम करने वाली चूरू पुलिस की तारीफ की थी।




गौरतलब है कि पुलिस मुख्यालय द्वारा शुरू की गई मूल्यांकन प्रणाली में किसी भी जिला पुलिस को उसके द्वारा की गई बड़ी कार्रवाई जैसे हत्या लूट आदि संगीन वारदातों में आरोपियों को शीघ्र पकड़ कर बरामदगी करना, बड़ी चोरी, नकबजनी आदि का शीघ्र पटाक्षेप कर माल बरामदगी, स्थाई, गिरफ्तारी वारंटियों की धरपकड़, असामाजिक तत्वों पर प्रभावी कार्रवाई कर संभावित बडी घटनाओं की प्रभावी रोकथाम, समय पर सीएलजी बैठकें, पुलिस अधिकारियों द्वारा समय, समय पर पुलिस थानों क्षेत्रों का औचक निरीक्षण करना, कानून व्यवस्था को नियंत्रण में रखना आदि पर अंक दिए जाकर रैंक तैयार की जाती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिन्धिया ने इस पुलिस कार्य मूल्याकंन पद्धति की तारीफ भी कर चुके है।




खेल-खेल में बनाए 3000 पुलिस मित्र

खाकी वर्दी में रौबदार पर्सनालिटी, लम्बी-चौड़ी कदकाठी और अपराधियों में भय पैदा करने वाले इस अफसर की तुलना ‘सिंघम’ से नहीं बल्कि ‘सबसे बड़े खिलाड़ी’ से होती है। दरअसल, इस आईपीएस ऑफिसर ने क्राइम कंट्रोल के लिए खेल-खेल में ऐसा अनूठा प्रयोग किया जिसमें महज छह महीनों में 3000 से अधिक युवा ‘पुलिस मित्र’ बन गए।




स्वयं एसपी बारहठ ने अपने स्तर पर ‘पुलिस कब्बडी लीग’ शुरू की। इस लीग के जरिए चूरू पुलिस से शहर, गांव और कस्बों के तीन हजार युवा जुड़े और ‘पुलिस मित्र’ बन गए। आमजन में विश्वास एवं अपराधियों में भय बना रहे इसके लिए पुलिस नित नए प्रयास करती है लेकिन जो पहल बारहट ने की है वो अनूठी व सराहनीय है।




बता दें कि युवाओं में पुलिस की छवि सुधारने के उद्देश्य से चूरू जिला पुलिस की कबड्डी लीग सार्थक साबित हुई। पुलिस मित्र के जरिए गांव-गांव तक मुखबिर तंत्र तैयार हो गया। इस नवाचार को प्रदेश स्तर पर ना केवल सराहा गया अपितु राज्य के अन्य जिलों की पुलिस ने भी प्रेरणा लेते हुए इस नवाचार को अपनाना शुरू कर दिया है।




एक और अनूठी पहल

आपणी पाठशाला में पढऩे वाले झुग्गी-झौंपडें के बच्चों के लिए खुश खबर है कि वे अब शहर की एक निजी शिक्षण संस्थान में पढ़कर अपना भविष्य संवार सकेंगे। इन बच्चों की फीस पाठयपुस्तके, परिवहन व गणवेश तक का खर्चा जयपुर रोड़़ स्थित डॉ. जाकिर हुसैन सीनियर सैकेण्डरी शिक्षण संस्थान उठाएगी। इस पर एसपी राहुल बारहट ने बताया कि सिपाही धर्मवीर की ओर से शुरू की गई आपणी पाठशाला का प्रयास सफल हो रहा है। करीब 80 बच्चों को निजी स्कूल में प्रवेश दिलाया जा रहा है। यह बच्चे अब अच्छी स्कूल में पढ़कर अपना भविष्य संवार सकेंगे। समय-समय पर मॉनीटरिंग कर संसथान में पढऩे वाले बच्चों पर ध्यान दिया जाएगा।

एक्सक्लूसिव : इस शख्स को कैसे पता था कि दो घंटे बाद होगा आनंदपाल का एनकाउंटर ?



एक्सक्लूसिव : इस शख्स को कैसे पता था कि दो घंटे बाद होगा आनंदपाल का एनकाउंटर ?




राजस्थान के गृह मंत्री ने गुलाबचंद कटारिया ने आनंदपाल एनकाउंटर को लेकर बयान दिया था कि मुझे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रात में फोन कर बधाई दी तब पता चला की कुख्यात अपराधी आनंदपाल पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया है.

जब जनता को आनंदपाल एनकाउंटर का पता चला तो चर्चा चली की आनंदपाल पुलिस मुठभेड़ में नही मारा गया बल्कि पुलिस ने आत्मसमर्पण के बाद मार दिया है. हालाँकि पुलिस ने कहा आनंदपाल को आत्मसमर्पण के लिए कहा गया लेकिन उसने आत्मसमर्पण करने की बजाय पुलिस पर गोलियां चलने लगा. तब आत्मरक्षा में चलाई गई गोलियों से आनंदपाल मारा गया.




राजस्थान में एक शख्स को इस घटना से पहले ही पता की आज आनंदपाल या तो पकड़ा जाएगा या मारा जाएगा. मशहूर सोशल साईट फेसबुक में एक शख्स ने 24 जून को रात 8:57pm को पोस्ट डाली कि ‘आज हो सकती है आनन्दपाल की गिरफ्तारी। या एनकाउंटर!’




राजस्थान पुलिस कह रही है कि 9:30 बजे SOG ने चुरू पुलिस अधीक्षक को सूचना दी इसके बाद वो राहुल बारोट, संजीव भटनागर व करण शर्मा के नेतृत्व में तीन टीमें बनाई गई व मालासर की तरफ रवाना हुई.




इसी वीर इंद्र सारण नाम के आदमी ने रात 10:22 पर पोस्ट डाली कुछ ही देर में होगा आनंदपाल खाक।

तैयारीया पूरी। पुलिस का भी दावा है कि साढ़े दस बजे आनंदपाल मारा गया.


जब एक आम आदमी को इस ऑपरेशन की इतनी जानकारी थी और गृहमंत्री कह रहे है कि उनको मुख्यमंत्री ने इस एनकाउंटर की सूचना दी. अगर वाकई ऐसा है तो कटारिया को खुद को आत्ममंथन करना चाहिए कि वो राजस्थान के गृह मंत्री के लायक है?

तीखी बात लालकृष्ण आडवानी भारतीय राजनीति में असफल क्यों हुए!



तीखी बात

लालकृष्ण आडवानी भारतीय राजनीति में असफल क्यों हुए!



-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

भारत के राजनीतिक गगन पर विगत तीन दशकों से सितारे की तरह चमकते हुए लालकृष्ण आडवानी वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री की कुर्सी प्राप्त नहीं कर सके तथा 2017 में राष्ट्रपति की कुर्सी भी उनकी पहुंच से बहुत दूर सिद्ध हुई। ये वही लालकृष्ण आडवानी हैं जिन्हें भाजपा का लौहपुरुष कहा जाता था। ये वही लालकृष्ण आडवानी हैं जिन्होंने 1984 के आमसभा चुनावों में भाजपा को केवल 2 सीटें प्राप्त होने के बाद अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान संभाली और 1989 के आम चुनावों में बीजेपी को लोकसभा में 86 सीटें दिलवाने में सफल रहे। 1984 की 2 सीटों वाली पार्टी 1989 में वीपी सिंह की सरकार को समर्थन देकर केन्द्र में गैर-कांग्रेसी सरकार बनवाने में सफल रही। 1990 में आडवानी ने रामरथ यात्रा का आयोजन करके बीजेपी को आम हिन्दू की पार्टी बनाया और वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस खींच लिया। 1990 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 120 सीटें जीतीं और उत्तर प्रदेश की विधान सभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया।

आडवानी का रामरथ और आगे बढ़ा तथा 1992 में लालकृष्ण आडवाणी की उपस्थिति में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद 1996 में हुए आम चुनावों में बीजेपी 161 सीटें लेकर लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई। पहली बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने क्योंकि भाजपा को समर्थन देने वाली अन्य पार्टियों ने वाजपेयी को हिन्दुत्व का मुलायम चेहरा और आडवानी को हिन्दुत्व का सख्त चेहरा माना। यह सरकार केवल 16 दिन चली। बीजेपी ने 1998 का मध्यावधि चुनाव एनडीए के बैनर तले लड़ा और फिर से अटलबिहारी वाजपेई के नेतृत्व में बीजीपी की सरकार बनी क्योंकि एनडीए के घटकों को हार्ड लाइनर आडवानी की जगह सॉफ्ट लाइनर वाजपेयी अधिक अनुकूल जान पड़े। मई 1999 में जयललिता के समर्थन वापस लेने से बीजेपी की यह सरकार भी गिर गई। अक्टूबर 1999 के लोकसभा चुनावों में एनडीए ने जयललिता के बिना ही 303 सीटें जीतीं जिनमें से बीजेपी की 183 सीटें थीं। एनडीए के घटकों ने एक बार फिर अटलबिहारी वाजपेयी का नेतृत्व स्वीकार किया और आडवानी प्रधानमंत्री की कुर्सी से वंचित रह गए। उन्हें उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री पद से संतोष करना पड़ा।

लालकृष्ण आडवानी का रामरथ केन्द्र में तीन बार भाजपा की सरकार बनाने में सफल रहा किंतु आडवानी को प्रधानमंत्री नहीं बना सका। एनडीए के घटक भले ही वाजपेयी को पसंद करते रहे किंतु जनता, अटल बिहारी वाजपेयी की सॉफ्ट लाइनर छवि से शीघ्र ही ऊब गई और 2004 में भाजपा को 10 साल के लिए सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया। लालकृष्ण आडवानी के सख्त हिन्दुत्व चेहरे की वजह से पार्टी तो आगे बढ़ी किंतु आडवानी को उसका लाभ मिलने की बजाय नुक्सान हुआ। वाजपेयी के सॉफ्ट लाइनर चेहरे की वजह से उन्हें खुद को तो लाभ हुआ किंतु पार्टी को नुक्सान हुआ। 2009 का लोकसभा चुनाव लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में हुआ तथा पार्टी द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री पद का स्वाभाविक दावेदार बताया गया किंतु भाजपा एक बार फिर चुनाव हार गई।

वाजपेयी सरकार में रहते हुए ही आडवानी ने अपनी लौह पुरुष वाली छवि को तोड़ने वाले उपाय आरम्भ कर दिए ताकि एनडीए के घटक वाजपेयी की जगह आडवाणी को पसंद करने लगें। उन्होंने वक्तव्य दिया कि धर्म के आधार पर जम्मू-कश्मीर के टुकड़े नहीं होंगे। जबकि हिन्दुत्ववादियों का आरम्भ से यही दृष्टिकोण रहा है कि घाटी को लद्दाख और जम्मू से अलग किया जाए। कश्मीरी पण्डितों के मुद्दे पर भी गृहमंत्री आडवाणी के रुख को कभी पसंद नहीं किया गया। जम्मू में उनका इतना विरोध हुआ कि उनके समर्थकों ने ही आडवाणी को धक्का देकर नीचे गिरा दिया।

वर्ष 2005 में आडवानी पाकिस्तान गए और जिन्ना की मजार पर जाकर जिन्ना के गुणगान करते हुए उसे धर्म निरपेक्ष बता आए। इस वक्त्वय से भाजपा के भीतर हाय-तौबा मच गई। मदनलाल खुराना सहित अनेक वरिष्ठ नेताओं ने आडवाणी के वक्तव्य का विरोध करते हुए उनसे लोकसभा में नेता विपक्ष का पद एवं पार्टी के अध्यक्ष का पद छोड़ने की मांग की। मुरली मनोहर जोशी एवं उमा भारती भी उनके विरोध में आ गए। यह स्वाभाविक ही था क्योंकि भारत की आजादी के समय से ही हिन्दुत्ववादियों ने भारत की साम्प्रदायिक समस्याओं के लिए कांग्रेस तथा जिन्ना दोनों को बराबर का जिम्मेदार ठहराया है। इस प्रकरण में आडवाणी ने त्यागपत्र नहीं दिया तथा आगे की तिथियां देते रहे।

आडवाणी के जिन्ना प्रकरण का हिन्दुत्वावादी जनता पर बहुत बुरा असर हुआ किंतु आडवाणी ने इससे कोई सीख नहीं ली तथा अपनी छवि को सॉफ्ट बनाने की तरफ आगे बढ़ते रहे। आडवाणी ने अल्पसंख्यक मतदाताओं को खुश करने के लिए वक्तव्य दिया कि जब पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी एक हो सकते हैं तो भारत और पाकिस्तान एक क्यों नहीं हो सकते! यह तर्क आम हिन्दू के गले नहीं उतरा क्योंकि पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के नागरिक एक नस्ल, एक जाति और एक ही धर्म के थे जिन्हें एक ओर इंग्लैण्ड और उसके मित्रों ने तथा दूसरी ओर रूस ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बलपूर्वक बन्दर-बांट करके अलग किया था जबकि भारत और पाकिस्तान की जनता धर्म के नाम पर पांच लाख लोगों को खून बहाकर और पांच करोड़ लोगों को बेघर करके अलग हुई थी।

बाबरी मस्जिद ध्वंस मुकदमे में आडवाणी ने न्यायालय में वक्तव्य दिया कि मैं बाबरी मस्जिद को तोड़ने नहीं अपितु बचाने गया था। वे स्वयं उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री रहते हुए इस मुकदमे से साफ बाहर निकल आए किंतु उनके साथी मुरली मनोहर जोशी आदि इसमें फंसे रह गए। इस घटना से हिन्दुत्वादियों की दृष्टि में आडवाणी की छवि और ज्यादा खराब हुई। जब हिन्दुत्ववादी चिंतकों ने देश में बढ़ते हुए आतंकवादी हमलों के प्ररिप्रेक्ष्य में इस्लामिक आतंकवाद की बात कही तो आडवाणी ने वक्तव्य दिया कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। हिन्दुत्ववादियों ने आडवाणी की इस बात को भी पसंद नहीं किया। क्योंकि कांग्रेस ने मालेगांव बम विस्फोट तथा अजमेर दरगाह बम विस्फोट के बाद हिन्दुत्वादियों पर भगवा आतंकवाद का आरोप लगाया था किंतु चौतरफा विरोध होने पर कांग्रेस ने बयान बदलते हुए कहा था कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। जब यही बात आडवाणी ने दोहराई तो हिन्दुत्वादियों को पसंद नहीं आई।

मनमोहनसिंह सरकार के समय आडवाणी ने मांग की कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए क्योंकि उन्हें लगता था कि दिल्ली से भाजपा का राज्य कभी जा ही नहीं सकता। इसलिए भले ही केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रहे किंतु दिल्ली की राज्य सरकार भाजपा के पास रहेगी जबकि भारत की जनता अच्छी तरह जानती थी कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना देश के लिए बहुत घातक सिद्ध हो सकता है। जिस नगर में देश क राजधानी हो, उस नगर की पुलिस दूसरे दल की सरकार के हाथों में होने से कई तरह की गंभीर समस्याएं खड़ी हो सकती है!

आडवाणी ने अपनी पुस्तक माई कण्ट्री माई लाइफ तथा अपने ब्लॉग लेखन से भी हिन्दुत्ववादियों को नाराज किया और पार्टी के भीतर आडवाणी की खुलकर आलोचना होने लगी। आडवाणी ने नाराज होकर 11 जून 2013 को पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया किंतु पार्टी ने यह कहकर उन्हें पार्टी के समस्त पदों पर बने रहने के लिए सहमत कर लिया कि पार्टी में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। 2014 के लोकसभा चुनावों के आते-आते आम जन में कांग्रेस की नीतियों का विरोध चरम पर पहुंच गया और मोदी का हिन्दुत्व आम जन के सिर चढ़कर बोलने लगा तब भी आडवाणी जनता की नब्ज नहीं पकड़ पाए। उन्होंने हार्ड लाइनर माने वाले नरेन्द्र मोदी का इतना विरोध किया कि आडवाणी, पार्टी के भीतर ही नकार दिए गए। उन्हें न केवल प्रधानमंत्री की कुर्सी से वंचित रहना पड़ा अपितु 2017 में पार्टी ने उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तक घोषित नहीं किया। इस प्रकार आडवाणी को अटलबिहारी वाजपेयी के समय में हार्ड लाइनर होने का और मोदी के समय में सॉफ्टलाइनर होने का नुक्सान हुआ और वे प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति की कुर्सियों के बहुत नजदीक पहुंचकर भी उनसे वंचित रह गए।

यद्यपि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की कुर्सियां सफलता का पैमाना नहीं हैं तथापि जब राजनीतिक व्यक्ति को उसके विचारों के लिए उसके ही अनुयाइयों, समर्थकों एवं मित्रों द्वारा अस्वीकृत कर दिया जाए तो उसे राजनीतिक विफलता माना जाना चाहिए। आडवाणी के पास आज अनुयाई, समर्थक और मित्र, तीनों का ही लगभग अभाव है। यही उनकी राजनीतिक विफलता है। आडवाणी यह बात समझने में विफल रहे कि देश को उनकी आवश्यकता एक दृढ़ हिन्दू नेता के रूप में थी न कि धर्मनिरपेक्ष वादी हिन्दू नेता के रूप में। उनकी राजनीतिक विफलता का सबसे बड़ा कारण भी यही प्रतीत होता है।

गृहमंत्री का कहना है कि सरेंडर करने के लिए आनंदपाल के सामने हमने भी हाथ जोड़े थे।

गृहमंत्री का कहना है कि सरेंडर करने के लिए आनंदपाल के सामने हमने भी हाथ जोड़े थे। 

आनंदपाल एनकाउंटर के बाद सरकार और उसके परिजन अब आमने—सामने हो चुके है।आनंदपाल की मां की ओर से उठाए सवालों के जबाव में राज्य के गृहमंत्री का कहना है कि सरेंडर करने के लिए आनंदपाल के सामने हमने भी हाथ जोड़े थे।

गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने सोमवार को उदयपुर में मीडिया से कहा कि दो साल से फरार चल रहे आनंदपाल को सरेंडर करने के लिए हमने कई बार कहा। हाथ भी जोड़े, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। एनकाउंटर से पहले भी पुलिस टीम ने उसे पूरा मौका दिया, लेकिन उसने फायर खोल दिया।




उन्होंने परिजनों से आनंदपाल का दाह संस्कार होने देने की अपील की। कटारिया ने कहा कि हिन्दू धर्म मरने के बाद शव को पवित्र मानने की परम्परा है और आनंदपाल के शव का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करवाना चाहते है। इसके लिए हमने परिजनों और समाज के लोगों से आग्रह किया है कि वे आनंदपाल का अंतिम संस्कार होने दे। अगर वो नहीं कर रहे है तो उस शव के साथ अन्याय कर रहे है।