सोमवार, 30 दिसंबर 2013

और बदला वसुंधरा राजे का अंदाज

जयपुर। सीएम यानी चीफ मिनिस्टर नहीं "कॉमन मैन"। देश की राजधानी से यह संदेश देश भर में शनिवार से फैलना शुरू हुआ, जबकि प्रदेश की नई मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तो अपने नए कार्यकाल में लगातार इस तरह के फैसले और काम कर रही हैं, जिनकी उम्मीद प्रदेश में किसी ने नहीं की थी।

खासतौर पर राजे से किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि वे आम आदमी की तरह लालबत्ती पर रूकेंगी, अपना काफिला भी कम रखेंगी, सुरक्षाकर्मियों की फौज कम करेंगी और मुख्यमंत्री निवास में नहीं जाएंगी। उनके नजदीकियों का कहना है कि राजे मुख्यमंत्री के आभामंडल, लाव-लश्कर और शानो-शौकत से दूर रह कर एक साधारण इंसान की तरह काम करना चाहती हैं।

वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल में उनकी छवि भले ही एक हाई प्रोफाइल मुख्यमंत्री की रही हो, लेकिन नए कार्यकाल में उनका अंदाज एकदम बदला हुआ है। उनके शपथ ग्रहण समारोह में लगी बल्लियों के कारण एक आम आदमी हादसे का शिकार हुआ तो वे पता लगते ही उससे मिलने गई और अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऎसे हादसे आगे न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाए।

अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने निवास से निकलती हैं तो न रूट लाइनिंग की जाती है और न वायरलैस पर मैसेज चलते हैं। फिलहाल वे सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल भी नहीं कर रही हैं। वे आम आदमी की तरह निकलती हैं, काफिले में दो-तीन गाडियां जरूर रहती हैं।

लेकिन पहले जितना लम्बा काफिला नहीं होता है। रास्ते में लाल बत्ती मिलती है तो इनकी गाडियां भी अन्य लोगों की तरह रूकती हैं। इससे आम जनता को बहुत राहत मिली है। पहले सीएम का काफिला निकलता था तो लोगों को 20-25 मिनट तक इंतजार करना पड़ता था। अब ऎसा कोई इंतजार नहीं है।

सीईओ जैसा नेतृत्व
शपथ ग्रहण के बाद से राजे लगातार अफसरों के साथ बैठकें कर रही हैं। पहली बैठक में उन्होंने खुद को सीईओ की तरह प्रस्तुत किया। खुद प्रजेंटेशन दिया और अपनी सोच का खाका अफसरों व मंत्रियों के सामने रखा।

वे पिछली सरकार के कामकाज की जांच के लिए आयोग बनाने जैसा कदम उठाने की बजाए "विजन 2020" पर काम कर रही हैं। पिछले सप्ताह में उन्होंने जनता से जुड़े हर विभाग का प्रजेंटेशन देखा है और अब उम्मीद है कि एक जनवरी 2014 से सरकार की 60 दिवसीय कार्ययोजना पर काम शुरू हो जाएगा।

सीएम ने किए फैसले
लाल बत्ती पर रूकने का फैसला।
मुख्यमंत्री निवास में नहीं जाएंगी।
काफिला किया कम।
अपनी सिक्योरिटी कम करना।
सरकारी विमान से यात्रा बहुत जरूरी होने पर।
पिछली सरकार के खिलाफ माथुर आयोग की तरह कोई आयोग गठित नहीं करने (बदले की भावना से काम नहीं) का फैसला।

विमान नहीं, फ्लाइट
`मुख्यमंत्री राजे ने इस बार अहम फैसला यह किया है कि वे जरूरी कार्य के अलावा शेष्ा यात्राएं सरकारी विमान से नहींं, बल्कि नियमित फ्लाइट से करेंगी। इससे सरकार के पैसे भी बचते है। सरकारी विमान से दिल्ली आने-जाने में करीब 65 हजार रूपए का ईधन खर्च होता है, जबकि नियमित फ्लाइट से जाने पर सिर्फ 20 हजार रूपए खर्च होते हैं।

मुख्यमंत्री निवास में नहीं जाएंगी
प्रदेश के इतिहास में राजे पहली मुख्यमंत्री होंगी, जिन्होंने लगातार जनता से जुडे रहने के लिए मुख्यमंत्री निवास में नहीं जाने का फैसला किया है। अपने मौजूदा घर में रहने का फैसला दिल्ली के नए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी लिया है, लेकिन वसुंधरा तो उनसे पहले यह फैसला कर चुकी हैं। सूत्रों का कहना है कि इस निर्णय के पीछे भी राजे की सोच जनता से आसानी से जुडे रहने की है।

मुख्यमंत्री निवास में जनता से मिलने में कठिनाई होती है, क्योंकि आमजन को कई जांचों और औपचारिकताओं से गुजर कर वहां जाना पड़ता है। बिजली की खपत भी वहां बहुत ज्यादा होती है। हर माह करीब 3 लाख रूपए का बिजली का बिल सरकार को भुगतना पड़ता है। सरकारी कर्मचारी भी ज्यादा तैनात रहते हैं।

राजे चाहती हैं कि मुख्यमंत्री निवास पर सुरक्षा में लगा सैकड़ों पुलिसकर्मियों का लवाजमा कम होकर जनता के काम आए। मंत्रियों को मिलने वाले जिस आवास में मुख्यमंत्री अभी रह रही हैं, वह मुख्यमंत्री निवास "8-सिविल लाइन्स" के मुकाबले बहुत छोटा है। मुख्यमंत्री निवास जहां करीब 3.21 लाख वर्गफीट में बना हुआ है, वहीं वहीं राजे के मौजूदा सरकारी निवास का क्षेत्रफल करीब 1.46 लाख वर्गफीट ही है। यानी आधे से भी कम।

शिकार विवाद को लेकर लाठी भाटा जंग, एक की हत्या

बिलाड़ा।जिले की बिलाड़ा तहसील के कापरड़ा कस्बे में खरगोश के शिकार को लेकर उपजे विवाद में रविवार देर शाम दो पक्षों में लाठी-भाटा जंग हो गई। हमले में घायल एक व्यक्ति की मौत व आधा दर्जन के घायल होने से गुस्साए लोगों ने जोधपुर-जयपुर राजमार्ग पर डेढ़ घंटे तक जाम लगा दिया।

पुलिस व ग्रामीणों के अनुसार कस्बे में चौकीदार (बावरी) समाज के कुछ लोग शिकार कर मौके से भाग निकले। केरियों की ढाणी में रहने वाले विश्Aोई समाज के कुछ लोगों ने पीछा कर दो बच्चों को पकड़ लिया। मृत खरगोश भी मिल गया। खरगोश के शिकार का आरोप लगाते हुए दूसरे पक्ष के लोगों ने बच्चों व मृत खरगोश को लेकर बालासती फांटे पर बिठा दिया। इसका पता चलने पर बच्चों के परिजन व अन्य लोग छुड़ाने के लिए वहां पहुंचे। इनके हाथों में लाठियां देखकर दूसरे पक्ष के लोग उद्वेलित हो गए और उन्होंने हमला बोल दिया।


जिसमें कापरड़ा निवासी बहादुर बावरी (45) , भाखरराम (30) पुत्र मूलाराम बावरी, पुखाराम (60) पुत्र राणाराम, गंगाराम (60) पुत्र मेहराम मेघवाल, कोजाराम बावरी, नाथूराम व ओंकारराम घायल हो गए। भाखरराम, पुखाराम व गंगाराम को प्राथमिक उपचार के बाद महात्मा गांधी अस्पताल रेफर किया गया। थानाधिकारी पुष्पेन्द्र वर्मा का कहना है कि घायल बदूकराम की मृत्यु हुई है। शव को मोर्चरी में रखा गया है।


सुखड़ी पत्नी हुकमाराम चौकीदार की रिपोर्ट पर आरोपियों के खिलाफ हत्या, जानलेवा हमला व एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है। रिपोर्ट में केरियों की ढाणी निवासी मोहनलाल, सोनाराम, मांगीलाल पुत्र रामसुखलाल, मांगीलाल पुत्र किशनाराम, भानाराम, बाबूलाल व सूरजाराम को नामजद किया गया है। हमले में दूसरे पक्ष के कुछ लोगों को भी चोटें आई हैं।

हमले के विरोध में डेढ़ घंटे हाईवे जाम


बच्चों को छुड़ाने आ रहे परिजनों व लोगों पर हमले के विरोध में लोगों ने सीनियर स्कूल के सामने जोधपुर-जयपुर हाइवे पर जाम लगा दिया। उन्होंने सड़क पर अवरोधक डाल दिए तथा टायर जलाए। वृत्ताधिकारी (बिलाड़ा) रिछपाल जाखड़ व थानाधिकारी पुष्पेन्द्र वर्मा ने उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर मार्ग खुलवाया। जाम के कारण जोधपुर व भावी की तरफ कई किमी तक वाहनों की कतारें लग गई।