गुरुवार, 30 मई 2013

पहली बार मां-बेटी ने मिलकर दिया पोर्न फिल्म में सीन, बाप-बेटे की जोड़ी के लिए चल रहा ऑडिशन

अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत की पोर्न स्टार मां और बेटी अपनी फिल्म के लिए बाप-बेटों का ऑडिशन ले रहे हैं। मां-बेटी एक ऐसी पोर्न फिल्म बनाना चाहती हैं जिसमें वे और कोई बाप-बेटे एक साथ काम करें। पोर्न फिल्मों के इतिहास में अब तक ऐसा नहीं हुआ है कि किसी पोर्न फिल्म में एक ही परिवार के सदस्यों ने एक साथ काम किया हो। मां-बेटी जेसिका सेक्सटन (56) और उसकी बेटी मोनिका (22) दोनों करीब डेढ़ साल से अपने नाम की वेबसाइट चलाती हैं। इसमें वे कुछ मिनट के पोर्न वीडियो अपलोड करती हैं। कई वीडियो में तो दोनों ने काम किया है। मां-बेटी के द्वारा देश भर के लोगों से लिए जा रहे ऑडिशन फादर्स डे (16 जून) तक चलेंगे। उनका कहना है कि अगर उन्हें अपनी पोर्न फिल्म में काम करने के लिए कोई पार्टनर (बाप-बेटे) नहीं मिले तो वे फिल्म नहीं बनाएंगी।
पहली बार मां-बेटी ने मिलकर दिया पोर्न फिल्म में सीन, बाप-बेटे की जोड़ी के लिए चल रहा ऑडिशन
मां जेसिका बताती हैं कि उन्होंने और उनकी बेटी ने बाप-बेटों के साथ कभी भी एक रियल लाइफ या रील लाइफ में रोमांस नहीं किया है। हालांकि एक बार करीब दो साल के लिए उन्होंने दो भाइयों के साथ डेटिंग की थी लेकिन वे दोनों मोनिका की उम्र के थे। हालांकि मोनिका ने अपनी फिल्म के लिए एक सीन भी दिमाग में तैयार किया है। उनके मुताबिक अगर उनके बच्चे पहले मिलते हैं तो लड़का अपने पिता से कहेगा, पापा मेरी गर्लफ्रेंड की मॉम बहुत हॉट है। हालांकि ज्यादा संभावना इस बात की है कि फिल्म में पहले मां और बाप की मुलाकात होगी और इसके बाद वे अपने बच्चों को एक-दूसरे से मिलाएंगे। कुछ दिनों पहले उन्होंने एक बाप और बेटे के साथ कुछ सीन शूट भी किए थे लेकिन वे सीन अच्छे नहीं बन सके। इसकी एक वजह यह भी थी कि फिल्म में जो बाप था उसकी शक्ल काफी हद तक 'मेन इन ब्लैक' के 'कॉक्रोच' की तरह थी। इस के बाद मां-बेटी ने बड़े स्तर पर कास्टिंग करने का फैसला किया और देश भर में बाप-बेटे को ढूंढने का अभियान छेड़ दि

रेवड़ी बन गया आयुक्त का पद?

रेवड़ी बन गया आयुक्त का पद?

बाड़मेर। नगर परिष्ाद बाड़मेर में आयुक्त का पद रेवड़ी बनकर रह गया है। इस पद पर आर ए एस अधिकारी व प्रथम श्रेणी अधिशासी अधिकारी की बजाय कर निर्घारक, राजस्व अधिकारी व अधिशासी अभियंता को दायित्व सौंपने की परम्परा बन गई है। इन अधिकारियों के यह किसी तोहफे से कम नहीं है क्योंकि उन्हें अपनी पात्रता से उच्च श्रेणी के पद पर काम करने का मौका जो मिल रहा है।

नगरपरिषद में आयुक्त के पद पर आर ए एस अधिकारियों का कार्यकाल कम ही रहा है। जबकि सरकार ने आयुक्त पद पर आर ए एस अधिकारी लगाने की व्यवस्था तय कर रखी है। इसके अलावा प्रथम श्रेणी अधिशासी अधिकारी को भी इस पद पर नियमित नियुक्ति देने का प्रावधान है। इसके अलावा इससे निचले स्तर के अधिकारियों को वैकल्पिक तौर पर आयुक्त का पदभार सौंपने की व्यवस्था है। हैरत की बात यह है कि नगरपरिषद बाड़मेर में आयुक्त पद पर वैकल्पिक व्यवस्था ही काम आई है।

फिलहाल स्थिति यह है कि पिछले बीस दिन से अधिशासी अभियंता के जिम्मे आयुक्त का पद है। इससे पहले करीब एक वर्ष तक आयुक्त का पद कर निर्घारक स्तर के अधिकारी के जिम्मे रहा। प्रथम श्रेणी के अधिशासी अधिकारी ने वर्ष 2011-12 में पांच माह तक आयुक्त का पदभार संभाला। इससे पहले तो राजस्व अधिकारी ने आयुक्त के पद पर कामकाज किया।

वैकल्पिक के सहारे चला अभियान
प्रशासन शहरों के संग अभियान में नगरपरिषद में आयुक्त का दायित्व कर निर्घारक बी एल सोनी के पास रहा। यह एक वैकल्पिक व्यवस्था थी, लेकिन पूरा अभियान ही निकल गया। इस अवधि में नगरपरिषद के दो कार्मिक रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए। स्वयं आयुक्त के खिलाफ भी थाने में मामले दर्ज हुए। हालांकि पट्टे देने के मामले में नगरपरिषद राज्य में अव्वल रही, लेकिन पट्टों में कई तरह की गड़बडियां उजागर हुई। ऎसे में जिस आयुक्त को राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया, उसे ही ए पी ओ करना पड़ा।