रेवड़ी बन गया आयुक्त का पद?
बाड़मेर। नगर परिष्ाद बाड़मेर में आयुक्त का पद रेवड़ी बनकर रह गया है। इस पद पर आर ए एस अधिकारी व प्रथम श्रेणी अधिशासी अधिकारी की बजाय कर निर्घारक, राजस्व अधिकारी व अधिशासी अभियंता को दायित्व सौंपने की परम्परा बन गई है। इन अधिकारियों के यह किसी तोहफे से कम नहीं है क्योंकि उन्हें अपनी पात्रता से उच्च श्रेणी के पद पर काम करने का मौका जो मिल रहा है।
नगरपरिषद में आयुक्त के पद पर आर ए एस अधिकारियों का कार्यकाल कम ही रहा है। जबकि सरकार ने आयुक्त पद पर आर ए एस अधिकारी लगाने की व्यवस्था तय कर रखी है। इसके अलावा प्रथम श्रेणी अधिशासी अधिकारी को भी इस पद पर नियमित नियुक्ति देने का प्रावधान है। इसके अलावा इससे निचले स्तर के अधिकारियों को वैकल्पिक तौर पर आयुक्त का पदभार सौंपने की व्यवस्था है। हैरत की बात यह है कि नगरपरिषद बाड़मेर में आयुक्त पद पर वैकल्पिक व्यवस्था ही काम आई है।
फिलहाल स्थिति यह है कि पिछले बीस दिन से अधिशासी अभियंता के जिम्मे आयुक्त का पद है। इससे पहले करीब एक वर्ष तक आयुक्त का पद कर निर्घारक स्तर के अधिकारी के जिम्मे रहा। प्रथम श्रेणी के अधिशासी अधिकारी ने वर्ष 2011-12 में पांच माह तक आयुक्त का पदभार संभाला। इससे पहले तो राजस्व अधिकारी ने आयुक्त के पद पर कामकाज किया।
वैकल्पिक के सहारे चला अभियान
प्रशासन शहरों के संग अभियान में नगरपरिषद में आयुक्त का दायित्व कर निर्घारक बी एल सोनी के पास रहा। यह एक वैकल्पिक व्यवस्था थी, लेकिन पूरा अभियान ही निकल गया। इस अवधि में नगरपरिषद के दो कार्मिक रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए। स्वयं आयुक्त के खिलाफ भी थाने में मामले दर्ज हुए। हालांकि पट्टे देने के मामले में नगरपरिषद राज्य में अव्वल रही, लेकिन पट्टों में कई तरह की गड़बडियां उजागर हुई। ऎसे में जिस आयुक्त को राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया, उसे ही ए पी ओ करना पड़ा।
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