गुरुवार, 29 नवंबर 2012

खबरां राजस्थानी में ...राजस्थान री खबर


  • स्कूलों में मिलेगा साइबर क्राइम रोकवा री सीख
    साइबर क्राइम (इंटरनेट के जरिये अपराध) कंट्रोल रे क्षेत्र में विशेषज्ञां री कमी ने देखता तका सरकार अबे बाळका ने इंटरनेट रे सुरक्षित इस्तेमाल रे बारे में जागरूक करवा जायरी है। इणरे रे लिए राज्य रा करीब 50 सरकारी स्कूलां में छठी सू 12वीं तक साइबर लिट्रेसी प्रोग्राम शुरू किया जायरिया है। बाळक या जानकारी रखेगा तो साइबर क्राइम में कमी आ सकेला। 10 जिला में पायलट प्रोजेक्ट री सफलता के केड़े संगळा जिला रे स्कूलां में यो प्रोग्राम लागू वेगा।
  • पेड़ काटिया तो २५ हजार जुर्मानो या ६ माह पार्क में काम करवा री सजा
    जयपुर। शहरी क्षेत्रा में यदि वना अनुमति पेड़ काटिया या नष्ट करिया तो अबे 25,000 रु. तक रो जुर्मानो भरणो पड़ सके है। जुर्माना नी देवा री सूरत में 6 महीने सार्वजनिक पार्क में काम करणो पड़ेला। राज्य सरकार अस्‍यो कानून लावा वाळी है। विधि विभाग री राय और कैबिनेट री मंजूरी रे बाद यो विधेयक विधानसभा में लायो जावेला।
  • सरकारी नौकरी रे लिए देणो पड़ेला तंबाकू नी खावा रो शपथ पत्र
    जयपुर। राज्य में सरकारी नौकरियों में नियुक्ति पावा वाळा ने अबे सेवा शुरू करवा सूं पेहले तंबाकू नी खावा री अंडरटेकिंग देणी पड़ला। इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर लियो गयो है। विण पे केवल मुहर लागणी बाकी है। अतिरिक्त मुख्य सचिव वी.एस. सिंह बतायो कि सरकार चावे है कि प्रदेश में तंबाकू रो सेवन पूरी तरह खत्म व्‍है जावे। अंडरटेकिंग रे मामले में जल्द ही अंतिम फैसला कर लियो जावेला।
  • राजस्‍थानी साहित्‍य में मिलेला तीन नवा पुरस्‍कार
    अकादमी रे अध्यक्ष श्याम महर्षि बतायो कि अणा पुरस्कारा रे अलावा इण वरस तीन नवा पुरस्कारा रो प्रस्ताव भी राज्य सरकार सूं अनुमोदित व्‍है गियो हैं। युवाओं और महिलाओं रे लिए भी व्‍हैला पुरस्कार अकादमी सचिव पृथ्वीराज रतनू बतायो कि महिला रचनाकारावां रे लिए 'महिला लेखन पुरस्कार, युवा रचनाधर्मियों रे 'युवा साहित्य पुरस्कार' एवं साहित्यिक पत्रकारिता रे क्षेत्र में उल्लेखनीय अवदान रे लिए 'साहित्यिक पत्रकारिता पुरस्कार' भी अणी वरस सूं प्रारंभ किया जावेला। पुरस्कारों रे लिए प्रविष्टियां जल्द ही आमंत्रित की जावेला।
  • सूर्यमल्ल मीसण शिखर पुरस्कार जैसलमेर के डॉआईदान सिंह को,

    बीकानेर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी वर्ष 2012-13 लिए पुरस्कारा री घोषणा कर दी है। इण वर्ष सूर्यमल्ल मीसण शिखर पुरस्कार जैसलमेर रे साहित्यकार डॉ. आईदान सिंह भाटी ने वारी काव्य पोथी 'आंख हियै रा हरियल सपना' रे लिए दियो गयो है। वांने 71 हजार रु.
  • राजस्‍थानी साहित्‍य में पुरस्‍कारा री वरखा
    पद्य विधा रो गणेशलाल व्यास उस्ताद पुरस्कार राजस्थानी साहित्यकार अजमेर निवासी विनोद सोमानी 'हंस' ने पोथी 'म्हैं अभिमन्यु' रे लिए दियो जावेला। शिवचंद भरतिया गद्य पुरस्कार जयपुर के डॉ. गोविंद शंकर शर्मा पौथी 'राजस्थानी भाषा शास्त्र' रे लिए दियो जावेला। मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा साहित्यकार पुरस्कार रे लिए बीकानेर रे कथाकार प्रमोद शर्मा री पौथी 'राम जाणै' रो चयन कियो गयो है । लेखक री पेली प्रकाशित कृति रे लिए दियो जावा वाळो 31 हजार रु. रा सांवर दइया पैली पोथी पुरस्कार जोधपुर री कवयित्री किरण राजपुरोहित 'नितिला' ने वांरी कृति 'ज्यूं सैणी तितली' रे लिए मिलेला। राजस्थानी बाल साहित्यकार पुरस्कार सलूम्बर (उदयपुर) री डॉ. विमला भंडारी ने वांरी बाल साहित्य री पौथी 'अनमोल भेंट' रे लिए दियो जावेला।

foto..बाड़मेर की प्राचीन राजधानी जूना: जर्रा जर्रा इतिहास




बाड़मेर की प्राचीन राजधानी जूना: जर्रा जर्रा इतिहास



सरहदी जिले बाड़मेर पश्चिम  दिशा  में सिहाणी की अटल पहाड़ियो के मध्य कभी आबाद राह जूना गढ  आज इतिहास का साक्षी है। जिले के स्वर्णिम इतिहास को गौरव प्रदान करने वाला जूना का किला जो पूर्व बाहड़मेर था।

काले भूरे रंग की पहाड़ी नगरी में पाशाण ही पाशाण है। रेतीले टीलो की कतारे मन्दिरो से भरा पानी के सूखे तालाब, कंटिली झाड़ियो में कभी आबाद राह ऐतिहासिक जूना आज सूना है। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर दुर्गम काली पहाड़ियो को तीन किलोमीटर पैदल चलकर पार करने पर जूना का स्वरुप दिखाई देता है।

भग्नावोश किले की िल्पकला, अनायास ही अपनी ओर आकिशर्त करती है। सोलंकी सम्राटो की कभी राजधानी रही जूना के पाशाण आज सिसकारियों ले रहे है, मुगल सम्राटो के कोपभाजन का िकार 12 वी भाताब्दी में चौहान सामंत सिंह ने जूना का किला बनाया था जिस पर 16वीं भाताब्दि में सोलकी राजा भीमदेव का आधिपत्य था उनकी उदारता कर्तव्यनिश्ठा, वीरता आज भी जूना के पाशाणो में बोलती है। वीरता तथा पराक्रम का प्रतीक जूना जहां उनकी चमचमाती तलवारे चमकती थी शहनाई बजी युद्व के शंखनाद हुए मांगलिक गान की झंकार उठी, रात्री में आरती के थाल सजें।

इसका साक्षी पहाड़ी के चोटी पर वीरो की स्मृति में बना जूना दूर्ग है। जिसके भग्नावोश दस मील की परिधि में बिखरे पड़े है। कभी बाड़मेर नगरी रही जूना आज मानव जाति को तरस रहा है।

भग्नावोशों से स्पश्ट है कि जूना कभी समृद्व नगरी रही है। यहां स्थित भग्नावोश इमारतो से यहां व्यापार केन्द्र होने का आचर्य जनक तथ्य सामने आता है। यहां स्थित भग्न प्रसादो में समृद्वि की झलक दिखाई देती है। पहाड़ो की गोद में बिखलती जूना नगरी का जर्राजर्रा जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। 11वीं सदी के ऊंचे तोरण वाला मन्दिर स्वर्णिम इतिहास का साक्षी है। जूना में तीन मन्दिर है जो सम्भवतः सोमेवर मन्दिर है। मन्दिरो की िल्प कला नक्काी में उच्च श्रेणी की है।

मन्दिरो की दिवारो पर अंकित काम कलाकृतियों काम क्रीडाओ की जीता जागता उदाहरण है। मन्दिरो के गुम्बज पूर्णतः गिर चुके है। जगहजगह जूना का इतिहास बिखेरा पड़ा है। आवयकता समेटने वालो की है। सुरक्षित स्थान की सोच के साथ निर्मित हुआ यह किला मुगलो की दृश्टि से बच नही सका। चारो ओर काली भूरी पहाड़ियो के मध्य में भग्नावेोश मन्दिर यहां आक्रमण की कल्पना बेमानी सी लगती होगी मगर मुगलो की कुटिल नजरो से यह नगरी बच नही पाई। महानतम िल्प कला का उत्कृश्ट नमूना जूना दुर्ग भग्नावोश इतिहास बनकर रह गया है। इतिहास का अंतिम स्वर्णिम साक्षी जो गौरवाली है। भाूरवीरो की कर्म भूमि जहां मर्यादा स्वतः बोलती है। कणकण में लोक संस्कृति की झलक दिखाई देती है। 12वीं भाताब्दि का साक्षी जूना आज जर्जरावस्था में है।