गुरुवार, 31 मई 2012

मंगनियार लोक गायकी का मसीहा गाजी खान 

मंगनियार लोक गायकी का मसीहा गाजी खान 

नीम्बुड़ा नीम्बुड़ा गाजी खान  


लोक गायकों में गाजी खान नें मांगणियार शैली की गायकी को नया स्वरुप गाजी खान ने प्रदान किया।नये लोक गीतों की सरंचना और उसे मांगणियार शैली में ढ़लना गाजी खान को बखूबी आता था।अपनी माता  पिता को अपना गुरु मानने वाले गाजी ने गायकी की शिक्षा अपनी माता से ली,उनकी माता बहुत अच्छी गायक थी।गाजी के पिता परम्परागत लोक गायक थै।संजय लीला भंसाली की फिल्म हम दिल दे चुके सनम का लोक प्रिय गीत नीम्बुड़ा नीम्बुड़ा ने लोक प्रियता के नये आयाम छुए।इस लोक गीत के रचयिता गाजी खान ही थै।जिसे चोरी से भंसाली ने अपनी फिल्म में इस्तेमाल किया।गाजी खान ने बाद में भंसाली पर आरोप भी लगाए थे।गाजी खान की गायकी वरदान हैं।गाजी के दल में उनके बड़े भाई हाकिम खान जो बेहतरीन कमायचा वादक हैं,खड़ताल वादक देउ खान,ढ़ोलक पर कुटला खान संगत करते हैं।गाजी कई देशो में लोक गायकी का परचम फहरा चुके हैं।वहीं गुलजार की बहुचर्चित फिल्म लेकिन में गाजी खान लोक गीतों के स्वर बिखेर चुके है।गाजी का गाया कानूड़ा लोक गीत ने देशविदेशों में धूम मचा चुका हैं।कानूड़ा में भगवान कृश्ण के जन्म से लेकर सम्पूर्ण जीवन की गाथा हैं,जिसको गाजी ने लोक गायकी में बेहद सुरीले अन्दाज में गाया हैं। 

दादा का पोता भी बना दादा

jaipurबाड़मेर। जीवन के 104 बसंत देख चुके हाजी अब्दुल गनी खां का पोता हाजी रमजान खां भी दादा बन गया है। रमजान उसके पिता हाजी अब्दुल गफूर कहते हैं कि यह खुदा की नेमत है। अल्लाह का लाख-लाख शुक्र है कि वह हमारे कुनबे पर इस कदर मेहरबान है। 

बाड़मेर शहर के तेलियों का वास (वीर दुर्गादास मार्ग) में रहने वाले हाजी अब्दुल गनी खां के कुनबे में तीन दिन पहले बिटिया के रूप में आई नए मेहमान के जन्म पर मिठाइयां बंटी और खुदा का शुक्राना किया गया। नए मेहमान का नाम आमना खातून रखा गया है। आमना के पिता 22 वर्षीय सलीम ने अभी तक अपनी पुत्री का ठीक से दीदार भी नहीं किया। परिवार में दादा, परदादा, दादियां, परदादियां, बुआएं, नाना, नानियां इतने हैं कि सलीम की बारी ही नहीं आती। फिर उसे सबके सामने अपनी बिटिया का दीदार करने में संकोच भी होता है।


पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार


हाजी अब्दुल गनीखां (104) के पुत्र हाजी अब्दुल गफूर की उम्र 70 वष्ाü है। गफूर का पुत्र रमजान खां 42 का और रमजान का पुत्र सलीम 22 बारावफात का गवाह है। सलीम की पुत्री आमना तीन दिन की हो गई है। हाजी अब्दुल गनीखां के परिवार में कुल मिलाकर 120 से भी अघिक सदस्य हैं। चालीस वर्ष से अघिक उम्र के सदस्य हज कर चुके हैं और पूरा परिवार स्वस्थ व खुशहाल है।


दूध, दही व बाजरे की रोटी


परिवार के मुखिया हाजी अब्दुल गनी खां के दीर्घायु व स्वस्थ होने का एक ही राज है कि वे नशा नहीं करते। पूरे परिवार मे कोई चाय तक नहीं पीता। इस उम्र में भी गनी मस्जिद जाकर दिन में पांच बार नमाज अदा करते हैं और दूध, दही और बाजरे की रोटी खाते हैं। परिवार के अन्य सदस्य उनका अनुकरण करते हैं। मुस्लिम समाज के पूर्व सदर अशरफ अली कहते हैं कि यह परिवार वाकई खुशनसीब है और समाज के कामकाज में भी इनकी अग्रणी भूमिका रहती है। शायद इसी वजह से खुदा इतना मेहरबान है।