सुहागरात मना रहे दूल्हे की मौत
छपरा। बिहार के सारण जिले के एकमा थाना क्षेत्र में सोमवार की रात विवाह के बाद अपनी सुहागरात मना रहे दूल्हे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार रविवार की रात पछुआ गांव निवासी राहुल का विवाह बनियापुर थाना क्षेत्र निवासी शम्भु भगत की पुत्री हीरा कुमारी के साथ धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ था। राहुल सोमवार को दुल्हन की विदाई करा उसे अपने घर ले आया। रात को घर के सभी लोग छत पर सोने के लिए चले गए। मंगलवार की सुबह जब राहुल का शव उसके बिस्तर पर पड़ा मिला तब उसकी पत्नी ने सभी परिजनों को इसकी सूचना दी।
छपरा के पुलिस उपाधीक्षक कैलाश प्रसाद ने बताया कि मृतक के कंधे पर गोली लगने का निशान है, घाव से खून भी बहा है। उन्होंने कहा कि शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि युवक दिल्ली के एक अस्पताल में वाहन चालक का काम करता था और विवाह करने ही गांव आया था। पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है।
प्रसाद ने कहा कि पुलिस प्रत्येक बिंदु पर जांच कर रही है। पत्नी से पूछताछ की जा रही है। इस मामले की एक प्राथमिकी युवक के पिता ललन भगत के बयान के आधार पर सम्बंधित थाने में दर्ज करा दी गई है।
मिल गई बहादुर शाह जफर की कब्र
यंगून। भारत के अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर का शव 1991 तक एक अज्ञात कब्र में दफन पड़ा हुआ था। बाद में एक खुदाई के दौरान इस बादशाह के कब्र के बारे में पता चला।
बहादुर शाह जफर का मकबरा म्यांमार की पूर्व राजधानी यंगून में स्थित है। उनके चाहने वाले मकबरे के दर्शन के लिए आते रहते हैं। ब्रिटिश हुकूमत द्वारा निर्वासित किए जाने के बाद जफर का सात नवम्बर, 1862 को निधन हो गया था।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने बहादुर शाह जफर को देश से निष्कासित कर म्यांमार (तत्कालीन बर्मा) भेज दिया था। वहां रंगून (अब यंगून) में 87 वर्ष की अवस्था में उनका निधन हो गया था। 1857 के विद्रोह के बाद जफर दिल्ली में हुमायू के मकबरे में छिप गए थे, जहां से उन्हें पकड़ लिया गया था।
इस मकबरे पर आने वाले कई सारे पर्यटकों का मानना है कि बहादुर शाह जफर अपने अंतिम दिनों में संत बन गए थे। उनकी कब्र के बगल में उनकी पत्नी बेगम जीनत महल और बेटी रौनक जमानी बेगम की कब्र है।
वात्स्यायन के कामसूत्र को जहां आज के लाइफस्टाइल के हिसाब से लिखा गया है वही अब इसे महिलाओं के नजरिए से लिखने की कोशिश हो रही है।
यह पहल की है लेखिक के. आर. इंदिरा ने। इंदिरा का मानना है कि वात्स्यायन के कामसूत्र को पुरुष ने लिखा है इसलिए इसमें ज्यादातर पुरुषों की मानसिकता को बयां किया गया है।
इंदिरा का कहना है कि मैंने जब कामसूत्र को गंभीरता से पढ़ना शुरू किया तो पाया कि यह एक पुरुष की लिखी हुई किताब है, जिसमें बताया गया है कि महिलाओं का कैसे इस्तेमाल किया जाए। ' मेरा सोचना है कि महिलाओं को भी सेक्शुअल इंडिपेंडेंस चाहिए।
यह किताब काफी रिसर्च के बाद लिखा गया है।
महिलाओं को कामसूत्र का पाठ पढ़ाने वाली उनकी किताब जून के पहले हफ्ते में रिलीज़ होगी।
भरष्ट लेखाकार का तबादला निरस्त करने में जुटे स्थानीय मंत्री
बाड़मेर में मनरेगा में एक भ्रष्ट लेखाकार की मुख्यमंत्री हाउस से जाँच के बाद ट्रांसफर जयपुर किया भ्रष्ट लेखाकार तबादला निरस्त करने जयपुर स्थानीय मंत्रीजी के पास हें ऐसे भ्रष्ट लोगो का तबादला निरस्त न हो बाड़मेर में कई सालो से जमा हे लेखाकार .उसे सजा दे जिस व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए उसे भ्रष्ट नेता शाह देकर तबादला निरस्त कराने में जुटे हें ऐसे भरष्ट नेताओं को ज्ञात रहे इस बार विधान सभा चुनावों में भरष्टाचार और भारश्ताचारियो को शाह देने वालो को नंगा किया जाएगा ..जनता जवाब मांगेगी ...आखिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भरष्टाचार हटाने का नारा खोखला नज़र आ रहा हें ..जिस व्यक्ति को पोल खोल नंगा किया उसे सरकार पनाह दे रही हे क्या करे
नई दिल्ली.पुणे के एक पिता ने दिल्ली की बदनाम गली जीबी रोड से एक एनजीओ की मदद से अपनी नाबालिग बेटी को छुड़वाया। उनकी बेटी ने कर्नाटक के एक युवक से शादी की थी जिसने उसे जीबी रोड के एक कोठे पर बेच दिया।
सोमवार रात को पुलिस ने एनजीओ शक्तिवाहिनी और रेस्क्यू फाउंडेशन की मदद से जीबी रोड के दो कोठों पर छापा मारकर 6 लड़कियों को मुक्त कराया। कोठे से छुड़ाई गई सभी लड़कियों की उम्र 16-18 के बीच हैं। इन्हें शादी का झांसा देकर लाए प्रेमियों ने तीस-चालीस हजार रुपए के बदले दिल्ली के कोठों पर बेच दिया था। सभी लड़कियों को पिछले आठ महीनों के भीतर ही कोठों पर बेचा गया था।
पुलिस के मुताबिक एनजीओ से सूचना मिलने के बाद कमला नगर थाना पुलिस ने सोमवार देर रात कोठा नंबर 40 और 5211 पर छापा मारकर लड़कियों को मुक्त कराया। इन लड़कियों को तहखाने में रखा गया था और इनसे जबरदस्ती देह व्यापार करवाया जाता था।
सेक्स के बाजार से आजाद करवाई गई इन लड़कियों में चार पश्चिम बंगाल, एक नेपाल और एक महाराष्ट्र के पुणे की हैं। पुणे की लड़की के पिता के मुताबिक उनकी बेटी कर्नाटक के एक युवक से शादी करने के बाद से ही गायब हो गई थी। तलाश करने के दौरान उन्हें बेटी के जीबी रोड के कोठे पर होने का पता चला। उन्होंने एनजीओ की मदद ली जिसके बाद उनकी बेटी को आजाद कराया गया।
मास्को. एक ऐसे साइबर वायरस का पता चला है जो कंप्यूटर पर हमला करके उसे जासूस बना देता है और बिना पकड़ में आए तमाम जानकारियां चुरा लेता है। यह बेहद खतरनाक वायरस पिछले दो साल से साइबर स्पेस में मौजूद था लेकिन इसे हाल ही में पकड़ा गया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह वायरस अब तक के सबसे चर्चित कंप्यूटर वायरस 'स्टक्सनेट' और 'डूकू' से भी खतरनाक है। इस वायरस को सबसे पहले मास्को स्थित केस्परस्काई लैब के सुरक्षा विशेषज्ञों ने पकड़ा है।
माना जा रहा है कि इस बेहद खतरनाक वायरस को किसी देश ने बनाया है। केस्परस्काई के विशेषज्ञ एलेक्सेंडर गोस्तोव ने अपने केस्परस्काई की वेबसाइट पर ब्लॉग पर लिखा, 'डूकू और स्टक्सनेट ने मिडिल इस्ट में चल रहे साइबर युद्ध को और भीषण कर दिया था लेकिन अब हमें साइबर स्पेस का सबसे खतरनाक वायरस मिला है।'
मास्को में स्थित केस्परस्काई लैब, ईरान की मेहर कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम को आर्डिनेशन सेंटर और हंगरी की बुडापेस्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इकोनॉमिक्स की क्रिप्टोग्रॉफी एंड सिस्टम सिक्यूरिटी लैब ने साइबर हमलों के अध्ययन के दौरान इस ट्रोजन को पकड़ा।
फ्लेम, फ्लेमर या स्काईवाइपर नाम का यह ट्रोजन हमला करके किसी भी कंप्यूटर को जासूसी मशीन में बदल सकता है।
यह मशीन पर हमला करके उसके नेटवर्किंग ट्रैफिक पर नजर रख सकता है, स्क्रीनशॉट लेकर उन्हें अपने कमांड सेंटर भेज सकता है, कंप्यूटर के माइक्रोफोन के जरिए इसे इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की आवाज रिकार्ड कर सकता है, पासवर्ड चुरा सकता है, कीबोर्ड पर कौन से बटन दबाए जा रहे हैं उन्हें पहचान सकता है, ब्लूटूथ के जरिये कंप्यूटर से अन्य डिवाइस को जोड़कर उनका डाटा डिलीट कर सकता है।
इस वायरस के अभी तक सबसे ज्यादा हमले मध्यपूर्व एशिया और अफ्रीका में हुए हैं। ईरान में इसके अब तक 168 हमले हुए हैं।
मेपिंग माइन्ड प्लेन्स ’’असाधारण सोच वाली कृति
बाड़मेर 29 मई, ॔॔किसी भी इंसान की सोच उस अनन्त संसार की तरह है जिसमें हर तरह के खयालात और भावात्मक विचार चलते रहते है। आज जहॉ तेजी से दुनिया ने विकास के पथ पर अपने कदम बाये है वैसा ही विकास इंसानी सोच में हुआ है और आज की आवश्यकता इंसानी सोच ओर समझ को सकारात्मक कराना है।’’ यह बात राजस्थान के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत ने बाड़मेर जिला रसद अधिकारी उम्मेदसिंह पूनिया की किताब ॔॔मेपिंग माइन्ड प्लेन्स’’ के विमोचन के अवसर पर कही। सोमवार की रोज मुख्य मंत्री आवास पर ॔॔मेपिंग माइन्ड प्लेन्स’’ के विमोचन के अवसर पर मुख्य मंत्री गहलोत ने पूनिया की इस किताब के बारे बधाई देते हुए कहा कि यकिनी तौर पर यह पुस्तक असाधारण सोच की कृति है। उम्मेदसिंह पूनिया की यह पुस्तक 7 अध्यायों में विभक्त है, जिसमें प्रथम भाग में महापुरूषों के हर कसोटी में खरा उतरने की बात को बड़े ही मार्मीक तरीके से लिखा गया है। 286 पेंज की अग्रेजी भाषा में लिखी गई यह पुस्तक उम्मेदसिंह पूनिया की पहली कृति है जिसकी हिन्दी संस्करण प्रस्तावित है। अपनी किताब के बारे में बताते हुए जिला रसद अधिकारी उम्मेदसिंह पूनिया ने बताया कि यह पुस्तक उन्हें राजसमन्द की पहाड़ियों की एकजुटता और वहां पर मानव के जेहन की तरह विशालता को देखते हुए प्रेरणा मिली और बीते 3 साल का अनवरत्त लेखन इस किताब को पूरा करने मे लगा। अपने विभागीय और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए अपने अनुभवों को इस किताब में सकारात्मक तरीके से लिखा गया है। श्री पूनिया के मुताबिक यह पुस्तक मानव के जेहन की गहराईयों को नापती नजर आती है और यह पुस्तक एक इंसान की जिज्ञासा को शांत करती है साथ ही यह पाठक को सृजनात्मक बनाते हुए गर्व से जीने का अहसास कराती है। पुस्तक का आधार अन्तःकरण से उठने वाली विचार उर्जा की नाजुक तंरगे है। पुस्तक की सबसे बड़ी विशोषता यह है कि इसमें मानव मस्तिष्क की समझने की क्षमता को असीमित होने का दावा किया है। मानव मस्तिष्क की गहराइयों उसके दैनिक निर्णयों व जीवन की गुणात्मकता को किस प्रकार प्रभावित करती है, यह बखूबी ंग से रेखांकित किया है साथ ही यह भी बताया गया है कि विचार शक्ति से ही ईश्वर इस दुनिया को नियंत्रित करता है और एक इंसान के लिए सफल व असफल होना वैचारिक शक्ति का ही नतीजा है। विचार की उर्जा इस दुनिया की सबसे प्रभावशाली और असीमित उर्जा है। ॔॔मेपिंग माइन्ड प्लेन्स’’ के विमोचन के अवसर पर वरिष्ठ आर.ए.एस. अधिकारी गौरव बजाज, देवाराम सैनी और डी.पी.आर. जयपुर के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।