गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

ऐश्वर्य और सुख मिलता है गोवर्धन पूजा से


ऐश्वर्य और सुख मिलता है गोवर्धन पूजा से



दीपावली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है । शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाती के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की ।

जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।

गोवर्धन पूजा के सम्बन्ध में एक लोकगाथा प्रचलित है। कथा यह है कि देवराज इन्द्र को अभिमान हो गया था। इन्द्र का अभिमान चूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण जो स्वयं लीलाधारी श्री हरि विष्णु के अवतार हैं ने एक लीला रची। प्रभु की इस लीला में यूं हुआ कि एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे। श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मईया यशोदा से प्रश्न किया " मईया ये आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं" कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोली लल्ला हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं। मैया के ऐसा कहने पर श्री कृष्ण बोले मैया हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? मैईया ने कहा वह वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती है उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। भगवान श्री कृष्ण बोले हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं अत: ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।

लीलाधारी की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के बदले गोवर्घन पर्वत की पूजा की। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे कि, सब इनका कहा मानने से हुआ है। तब मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछडे़ समेत शरण लेने के लिए बुलाया। इन्द्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हुए फलत: वर्षा और तेज हो गयी। इन्द्र का मान मर्दन के लिए तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।

इन्द्र लगातार सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे तब उन्हे एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया। ब्रह्मा जी ने इन्द्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं और पूर्ण पुरूषोत्तम नारायण हैं । ब्रह्मा जी के मुंख से यह सुनकर इन्द्र अत्यंत लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। इसके पश्चात देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया ।

इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्घन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्घन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।



बुधवार, 26 अक्तूबर 2011

16 साल जेल में काट चुके आतंकी को दिल दे बैठी यह महिला अधिकारी और



श्रीनगर लगभग 25 कश्मीरी पंडितों की हत्या सहित आतंकवाद से जुड़े कई आरोपों के चलते जेल में 16 साल बिताने वाला एक पूर्व आतंकी 1 नवंबर को कश्मीर की ही एक प्रशासनिक अधिकारी के साथ निकाह की तैयारियों में व्यस्त है। इस निकाह के साथ-साथ पर्दे के पीछे की कहानी भी कम रोचक और रोमांचक नहीं है। एक पढ़ी-लिखी सरकारी नौकरी करने वाली लड़की का आतंकवाद से रिश्ता रखने वाले से निकाह न लड़की के परिवार को मंजूर था और न समाज को। दिक्कतें दोनों तरफ थीं। कैसे पाई उन्होंने मंजिल? कैसे जीता परिवार का दिल?दोनों की जुबानी पूरी कहानी..।


मैं अस्सबाह अर्जुमंद खान..। एक लड़की का सबसे बड़ा जेवर उसकी शर्म-हया, बुजुर्गो का लिहाज, तहजीब और सब्र होता है। मैं मगरिब की बेटी हूं और इस तरह अपने निकाह के जिमन (बारे) में गुफ्तगू करते हुए शर्म महसूस करती हूं। नारी का दूसरा नाम संवेदनशीलता, लज्जा और ममता है। यही मेरे संस्कार हैं और मुझे उम्मीद है एक लड़की होने की वजह से आप मेरे जज्बात व अहसास बखूबी समझेंगी..। जब अस्सबाह से उनकी शादी से जुड़े सवाल किए तो इस अंदाज में जवाब दिया। दोनों के घरों में शादी की तैयारियां जोरों पर हैं। मेहमान पहुंच चुके हैं। लेकिन इस शादी को अंजाम तक पहुंचाने के लिए असबाह को काफी संघर्ष करना पड़ा।



कौन है दुल्हन
अस्सबाह अर्जुमंद खान ने 1999 में कश्मीर यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में एमए किया। उसके बाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में नौकरी की। वहां 2003 से 2007 तक काम करने के साथ जर्मनी से पीस एंड कनफ्लिक्ट स्टडीज में कोर्स किया। 2009 में कश्मीर प्रशासनिक सेवा पास की। वर्तमान में जनरल एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट में बतौर ट्रेनी पदस्थ है।


कौन है दूल्हा
जम्म-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का नेता और आतंकी कमांडर रह चुका फारूक अहमद डार को बिट्टा कराटे के नाम से भी जाना जाता है। 1990 में गिरफ्तार होने के बाद 2006 में टाडा कोर्ट ने उसे रिहा किया था। 2008 में अमरनाथ विवाद के दौरान उसे दोबारा गिरफ्तार किया गया था।


इस तरह परवान चढ़ा दोनों का प्यार
अस्सबाह और फारूक तीन साल पहले एक दोस्त के घर मिले थे। 4-5 माह बाद फारूक ने प्रपोज किया। कुछ समय बाद अस्सबाह ने हां कर दी। डेढ़ साल पहले शादी का निर्णय लिया। जब अस्सबाह के घर वालों को यह पता चला तो हंगामा हो गया। वे नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी एक आतंकी से शादी करे। लेकिन अस्सबाह जिद पर अड़ी रही। इसी बीच फारूक के दोस्त और भाई-बहन ने अस्सबाह के परिवारवालों को मनाया। बेटी की जिद के आगे घरवालों को झुकना पड़ा। अस्सबाह कहती हैं, कश्मीर में हर घर में ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाएंगे। एक ही घर में बेटा अलगाववादी है और दूसरा सरकारी मुलाजिम। तो मैं किसी अलगाववादी से शादी कर रही हूं तो कुछ अजीब नहीं। हां, आतंकी से शादी करने पर मेरे परिवार को आपत्ति थी, जो जायज है। हम दोनों के बीच आकर्षण का जो सबसे कारण था वह एक जाति का होना था। फारूक की जिस बात ने मुझे प्रभावित किया वह उसकी निर्णय क्षमता थी। फारूक कहते हैं कि अस्सबाह की सादगी से वह पहली ही नजर में प्रभावित हुए थे। पूरे विश्व की राजनीति का उन्हें काफी अच्छा नॉलेज है।



उनका भरोसा लाजवाब है और इसी बात पर वह फिदा हो गए।

भंवरीदेवी अपहरण मामले वीडियो पार्लर में सीडी की तलाश

वीडियो पार्लर में सीडी की तलाश

जोधपुर। भंवरीदेवी अपहरण मामले की जांच कर रही केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) नई दिल्ली की टीम ने बहुचर्चित सीडी की तलाश में मंगलवार को 7वीं पाल रोड स्थित एक वीडियो पार्लर खंगाला। अधिकारियों ने संचालक व राजस्थान फिल्म निदेशक से पूछताछ कर कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क कब्जे में ली। उधर, सीबीआई टीम रिमाण्ड पर चल रहे अपहरण के मुख्य सूत्रधार शहाबुद्दीन खां को आज हवाई मार्ग से नई दिल्ली स्थित मुख्यालय ले गई।

सूत्रों के अनुसार एनएम भंवरीदेवी कुछ राजस्थानी वीडियो एलबम में भी नृत्य व गीत का अभिनय कर चुकी है। इनमें से कुछ एलबम 7 वीं पाल रोड स्थित महावीर वीडियो विजन द्वारा भी बनाए गए। इनमें भंवरी ने बतौर अदाकारा नृत्य गीत पर अभिनय किया था। जांच के दौरान सीबीआई को बहुचर्चित सीडी की कुछ कॉपियां इसी वीडियो पार्लर से करवाए जाने की सूचना मिली थी। उन्होंने वहां लगे कम्प्यूटर, सीपीयू व हार्ड डिस्क की पड़ताल की। अधिकारियों ने राजस्थान फिल्म निदेशक रह चुके पार्लर संचालक राजेश फोफलिया के घर की तलाशी भी ली।

सर्किट हाउस में जांच
इससे पहले सीबीआई अधिकारी फिल्म निदेशक राजेश परिहार (फोफलिया) को सर्किट हाउस ले गई और करीब दो घंटे तक सीडी व भंवरी के बारे में पूछताछ की। उन्होंने भंवरी के अभिनय, एलबम व सीडी के बारे में भी जानकारी ली।

शहाबुद्दीन को दिल्ली ले गई सीबीआई
सीबीआई की एक टीम रिमाण्ड पर चल रहे मुख्य सूत्रधार शहाबुद्दीन को आज दोपहर हवाई मार्ग से नई दिल्ली स्थित मुख्यालय ले गई, जहां अधिकारियों द्वारा शहाबुद्दीन से कई घंटे तक गहन पूछताछ किए जाने की सूचना है। वहां से उसे अहमदाबाद (गुजरात) ले जाया जाएगा।

सहीराम विश्नोई के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
सीबीआई मामलात की अदालत ने बोरून्दा की एएनएम भंवरीदेवी नट के अपहरण की साजिश रचने वाले पूर्व उप जिला प्रमुख सहीराम विश्नोई के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। उधर, अपह्वत भंवरीदेवी का 55वें दिन भी पता नहीं चल पाया। भंवरीदेवी अपहरण मामले में केलनसर निवासी पूर्व उप जिला प्रमुख सहीराम विश्नोई फरार है। पुलिस अधिकारी उसकी गिरफ्तारी के लिए अनेक स्थानों पर हाथ पैर मार चुकी है। वहीं, सीबीआई टीम भी उसकी तलाश में लगी हुई है। परिजनों के माध्यम से भी दबाव बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बावजूद सहीराम के पकड़ में नहीं आने पर सीबीआई अधिकारियों ने सीबीआई मामलात की अदालत में गिरफ्तारी वारंट जारी करवाने का प्रार्थना पत्र पेश किया था। इस पर कोर्ट ने सहीराम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। (कासं)

कर्मो का फल भुगतना पड़ेगा: कुन्नर
हनुमानगढ. कृषि विपणन राज्यमंत्री गुरमीत सिंह कुन्नर ने भंवरी देवी प्रकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि सबको कर्मो का फल भुगतना पड़ता है। भंवरी देवी कांड में जो भी दोषी हैं, उन्हें इसकी सजा भुगतनी ही पड़ेगी। भले ही कोई कितना भी प्रभावशाली हो।

उन्होंने जंक्शन में मंगलवार को किसान भवन के लोकार्पण समारोह में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सीबीआई जांच का निर्णय सही है। कुन्नर ने कहा कि महिपाल मदेरणा को राज्य सरकार ने नैतिकता के आधार पर बर्खास्त किया है ताकि जांच निष्पक्ष हो सके। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असंतोष को पार्टी का अंदरूनी मामला बताया। कुन्नर ने कहा कि वह सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं।