बुधवार, 29 जून 2011

जिसने भी यह मातृप्रेम देखा, उसकी आंखें भर आईं




वढवाण। गुजरात में सुरेंद्रनगर जिले के वढवाण शहर में एक बंदर के बच्चे को बीते रविवार को कुत्तों ने मार दिया। इसी बात से गुस्साए बंदरों के झुंड ने पूरे इलाके में जमकर उत्पात मचा दिया और सैकड़ों बंदर सड़क पर उतर आए, जिससे इलाके में घंटों जाम की स्थिति बनी रही। इसके साथ ही बच्चे की मां उसे दो दिनों से सीने से लगाए घूम रही है। इस घटना की शहर भर में चर्चा है और जिसने भी यह मातृप्रेम देखा, उसकी आंखें भर आईं।

वढवाण शहर में दीवान साहब की दहली क्षेत्र में रविवार को छत पर से खेलते-खेलते यह बंदर का बच्चा नीचे गिर गया और इसी बीच वहां उपस्थित कुत्तों के झुंड ने उस पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया।

कुछ ही देर में बंदरों का झुंड भी यहां आ गया और उसने यह दृश्य देखकर उत्पात मचा दिया। बताया जाता है कि बच्चे की मौत से सारे बंदर इतने गुस्से में आ गए कि वे घंटों तक सड़क से हटे ही नहीं और इलाके में जाम की स्थिति बन गई।

इसी बीच मृत बच्चे की मां उसे सीने से लगाकर एक मकान की छत पर चढ़ गई। लोग बताते हैं कि वह पूरे समय बच्चे को सीने से लगाए रखती है और जहां भी जाती है बच्चे को साथ लेकर जाती है और अब वह बच्चे को अपने से अलग नहीं होने देना चाहती। बताते हैं कि शहर में जिसने भी यह दृश्य देखा, वह दुखी हुए बिना नहीं रह सका।

इलाके के लोग बताते हैं कि बच्चे की मौत के बाद से ही मां भूखी-प्यासी घूम रही है। उसे खाने की कई चीजें दी गईं लेकिन उसने कुछ भी नहीं खाया, बस हर थोड़ी-थोड़ी देर में वह अपने मृत बच्चे को निहारती रहती है।

प्रेमी संग मिलकर की बहन की हत्या

टीकमगढ़ ।। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में प्रेमी के साथ संदिग्धावस्था में पकड़ी गई एक युवती ने अपनी बहन की हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी युवती और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के अनुसार ओरछा थाने की राजघाट कॉलोनी में रहने वाली अमृता नाम की किशोरी की 27-28 जून की मध्यरात्रि में हत्या कर दी गई थी। पुलिस को संदिग्ध हालात में हुई इस हत्या का शक परिवार के ही किसी सदस्य पर था।

ओरछा थाने के प्रभारी संजीव नयन शर्मा के मुताबिक पुलिस को पूछताछ करने पर पता चला कि अमृता की हत्या उसकी विवाहित बहन अर्चना ने की है। अर्चना ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि अमृता ने उसे (अर्चना) प्रेमी प्रदीप के साथ संदिग्ध हालत में देख लिया था और वह परिजनों से इसकी शिकायत करने की बात कह रही थी। इसी के चलते उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर सोते समय अमृता के सिर पर हथौड़ा मारकर उसकी हत्या कर दी। ओरछा पुलिस ने दोनों आरोपियों अर्चना व उसके प्रेमी प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया है।

अब आपकी चव्वनी नहीं चलेगी

अब आपकी चव्वनी नहीं चलेगी 


मुम्बई। गुरुवार यानी 30 जून के बाद बाजार में 25 पैसे का सिक्का 'चवन्नी' नहीं दिखेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक-दो महीने पहले एक वक्तव्य जारी कर लोगों को सूचना दी थी कि 30 जून के बाद 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्कों का बाजार में प्रचलन कानूनी रूप से प्रतिबंधित होगा।
आरबीआई ने एक वक्तव्य में कहा है कि 30 जून के बाद 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्के वैध निविदा नहीं रहेंगे। एक जुलाई 2011 और इसके बाद से बैंकों में इन्हें देकर इनके स्थान पर अधिक मूल्य के सिक्के नहीं लिए जा सकेंगे। केंद्र सरकार ने सिक्का अधिनियम, 1906 की धारा 15ए का इस्तेमाल करते हुए 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्कों को बाजार से वापस लेने का निर्णय लिया है।
लंबे समय पहले ही सरकार ने 25 पैसे से कम मूल्य के सिक्कों को बाजार से वापस ले लिया था। इसकी वजह यह थी कि उनकी ढलाई में उन पर अंकित मूल्य से कहीं अधिक का खर्चा आता था। वैसे चवन्नी के इतने बुरे दिन कभी नहीं आए। बल्कि एक जमाने में तो जब चार आने हुआ करते थे तब चवन्नी की बाजार में बड़ी ताकत होती थी।
देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की तो सदस्यता भी मिल जाया करती थी। चवन्नी पर एक जमाने में अंग्रेजी हुकूमत की छाप हुआ करती थी। चवन्नी चांदी से बनती थी। अंग्रेजों के जाने के बाद भी बरसों तक ये छाप बनी रही। 1957 में 'इंडियन क्वाइंज एक्ट-1906' में बदलाव के बाद चवन्नी का देसीकरण हुआ। 25 पैसे के सिक्के ने चार आने की जगह ले ली। 1982 में एशियाड गेम्स हुए तो चवन्नी को उसका प्रतीक भी बनाया गया।

दारा सिंह के पोते पर रेप का आरोप,गिरफ्तार

दारा सिंह के पोते पर रेप का आरोप,गिरफ्तार 
 

मेरठ। मशहूर पहलवान रहे फिल्म अभिनेता दारा सिंह के पौत्र विजय सिंह रंधावा और उसके साथियों को उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक होटल में मंगलवार रात एक युवती से दुष्कर्म का प्रयास करने के आरोप में गिरफतार किया गया। पुलिस के अनुसार होटल क्रिस्टल पैलेस के बेसमेंट में रात को सेना के एक मेजर की बेटी का विवाह समारोह था।

होटल में विजय और उसके तीन साथी शराब पी रहे थे। इस बीच मेजर की एक भांजी बाथरूम में गई तो उसके पीछे-पीछे विजय और उसके साथी भी चले गए। उन्होंने युवती को बाथरूम में दबोच कर बाथरूम की कुंडी बंद कर दी और दुष्कर्म का प्रयास किया जिसके बाद युवती ने शोर मचा दिया। पुलिस ने बताया कि शोर सुनकर बारात में आये लोगों ने किसी तरह बाथरूम का गेट खुलवाकर युवती को बाहर निकाला और तीनों युवकों की जमकर पिटाई भी की।बाद में पुलिस को बुलाकर तीनों को उसके हवाले कर दिया गया। 

मैं लोकपाल के दायरे में आने को तैयार: मनमोहन

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नई दिल्ली।। मनमोहन सिंह ने खुद को कमजोर प्रधानमंत्री करार दिए जाने को विपक्ष का चालाकी भरा दुष्प्रचार करार दिया है। प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे इसमें कोई एतराज नहीं है, लेकिन मंत्रिमंडल में मतभेद हैं। हालांकि जजों को लोकपाल के दायरे में लाए जाने के सवाल पर उन्होंने साफ-साफ कहा कि ऐसा करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ होगा।

प्रिंट मीडिया के कुछ चुनिंदा संपादकों के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ब्लैक मनी, टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सभी संभव उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन यह सब एक बार में ही नहीं हो सकता। उन्होंने रामदेव के समर्थकों पर रामलीला मैदान में हुई पुलिस कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण बताया लेकिन कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के ऑफिस में जासूसी पर किए गए सवाल के जवाब में मनमोहन ने कहा कि उन्होंने ऑफिस में संदिग्ध जासूसी की शिकायत की थी और मैंने इंटेलिजेंस ब्यूरो को जांच के आदेश दे दिए थे। अब यह अध्याय बंद हो चुका है।

उन्होंने कहा, हमें एक मजबूत लोकपाल की जरूरत है, लेकिन यह रामबाण नहीं है। हमने लोकपाल के मामले में एक रास्ता ढूंढ निकाला है और आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। मुझे अपने आप को लोकपाल विधेयक के दायरे में लाने में कोई हिचक नहीं है लेकिन मेरे मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य महसूस करते हैं कि प्रधानमंत्री के पद को लोकपाल के दायरे में लाने से अस्थिरता पैदा होगी। हालांकि प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने को तैयार मनमोहन सिंह जजों के सवाल पर अड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में नहीं लाया जा सकता। इससे बहुत सारी जटिलताएं पैदा हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि यह संविधान की भावना के खिलाफ होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सिविल सोसायटी के लोगों से बात करेगी लेकिन कोई भी समूह इस बात पर जोर नहीं दे सकता कि उनके विचार अंतिम हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में फेरबदल पर चर्चा जारी है लेकिन उन्होंने इस बात का खुलासा करने से इंकार कर दिया यह कब तक होगा।

उन्होंने मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि यह आरोप लगाने वाला, अभियोजक और जज' बन गया है। मनमोहन ने यह भी कहा कि मुझे सोनिया गांधी से भरपूर सहयोग मिला, वह कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में बेहतरीन ढंगसे काम कर रही है।