बुधवार, 27 अप्रैल 2011

बम मिलने से सनसनी बारूद के ढेर पर सीमा क्षैत्र


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बम मिलने से सनसनी बारूद के ढेर पर सीमा क्षैत्र
बाडमेर भारत पाकिस्तान सरहद पर बसा बाडमेर जिले का सरहदी थाना क्षैत्र गडरा रोड क्षैत्र बारूद के ढेर पर सांस ले रहा हैंभारत पाकिसतान के बीच इस क्षैत्र में हुऐ युद्धों के औरान बिना फटे सैकडौं जिन्दा बम रेतिलें क्षैत्रों में दबे पडे हैं।प्रति साल एक दर्जन से अधिक बिना ुटे बम विभिन्न क्ष्रैत्रों में निकल रहे हैंये बम वो हैं जो युद्ध के दौरान रेगिस्तानी धोरों में अब जाने से फटे नहीं थे।अब धीरे धीरे जहॉ जॅहा खुदाई होती हैं,वॅहा जिन्दा बम निकल रहे हैं।जिसके कारण इस क्षैत्र के लोग दहात में हैं।मंगलवार रात्री आठ बजे गडरा गांव में एक मकान की नींव खुदाई के औरान बम मिलने से सनसनी फैल गई।बम की सूचना मिलने पर पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसिया मोैके पर पहुॅची तथा बम को सुरक्षित रखवाया।तथा सेना के बम निरोधक दस्ते को बम नश्कि्रिय करने के लिया बुलाया गया हैं। मगलवार को रात में बाड़मेर जिले के गडरा गाव में एक सक्स अपने घर की खुदाई करावा रहा था इसी दोहरान करीब तीन फुट पर एक बम मिल गया इस पर घर के मालिक जुझार सिंह ने पुलिस  को सुचना दी जिस पर पुलिस ने  सीमा सुरक्षा बल और आर्मी के साथ मोके पर पहुची और मुआना किया गडरा इलाके के  थानाधिकारी लक्ष्मीनारायण के अनुसार यह बम 30 -४० साल पुराना है और इसका वजन करीब 5 किलो के आसपास है हमने अपने अधिकारियो को सूचित कर हमने बम निरोधक दस्ते को निष्क्रिय करने के लिए बुला लिया है  सीमा सुरक्षा बल और आर्मी के जानकारों के अनुसार यह जिंदा भी हो सकता है लिहाजा हमने अपनी एक टीम मोके पर तेनात कर दी है और लोगो से हमने कहा है कि वह इस जगह से दूर रहेने के लिए कहा गया है
लक्ष्मीनारायणथाना प्रभारी
 , गडरा थाना  बम 30 -४० साल पुराना है और इसका वजन करीब 5 किलो के आसपास है हमने अपने अधिकारियो को सूचित कर हमने बम निरोधक दस्ते को निष्क्रिय करने के लिए बुला लिया है सीमा सुरक्षा बल  और आर्मी के जानकारों के अनुसार यह जिंदा भी हो सकता है लिहाजा हमने अपनी एक टीम मोके पर तेनात कर दी है और लोगो से हमने कहा है कि वह इस जगह से दूर रहेने के लिए कहा गया है )
वोइस ओवर 2 बम निकलने से इलाके के लोगो में दहशत फेल गई है  गडरा निवासी  राजू  सिंह के अनुसारर यह तो गनीमत रही कि यह बम फटा नहीं नहीं तो बहुत बड़ा हादसा हो जाता इस इलाके में 1965  और1971 के भारत -पाक युद्ध के समय यह इलाका सेना के पास था और यह बम भी उसी समय का है ........ राजू  सिंह, निवासी,गडरा गाव(यह तो गनीमत रही कि यह बम फटा नहीं नहीं तो बहुत बड़ा हादसा हो जाता इस इलाके में 1965  और1971 के भारत -पाक युद्ध के समय यह इलाका सेना के पास था और यह बम भी उसी समय का है ........ इन इलाके में पिछले दो तीन सालो में कई बार इस तरह के बम मिल चुके है अब इन इलाके के लोग को डर लग रहा है कि कभी कोई बड़ा हादसा न हो जाए क्योकि दो साल पहले ही इस गाव पास ही बम निकला था और दो बच्चे जख्मी हो गए थे

बड़ाबाग़ जैसलमेर









बड़ाबाग़ जैसलमेर
जैसलमेर राजस्थान का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और जैसलमेर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है।बड़ाबाग़ जैसलमेर से 5 किलोमीटर दूर रामगढ़ रोड पर स्थित है।यह जैसलमेर के महारावलों के शमशानों पर बने कलात्मक छतरी स्मारकों के लिए विख्यात है।जैसलमेर के सांस्कृतिक इतिहास में यहाँ के स्थापत्य कला का अलग ही महत्त्व है। किसी भी स्थान विशेष पर पाए जाने वाले स्थापत्य से वहाँ रहने वालों के चिंतन, विचार, विश्वास एवं बौद्धिक कल्पनाशीलता का आभास होता है। जैसलमेर में स्थापत्य कला का क्रम राज्य की स्थापना के साथ दुर्ग निर्माण से आरंभ हुआ, जो निरंतर चलता रहा। यहाँ के स्थापत्य को राजकीय तथा व्यक्तिगत दोनो का सतत प्रश्रय मिलता रहा। इस क्षेत्र के स्थापत्य की अभिव्यक्ति यहाँ के क़िलों, गढियों, राजभवनों, मंदिरों, हवेलियों, जलाशयों, छतरियों व जन-साधारण के प्रयोग में लाये जाने वाले मकानों आदि से होती है। जैसलमेर नगर में हर 20-30 किलोमीटर के फासले पर छोटे-छोटे दुर्ग दृष्टिगोचर होते हैं, ये दुर्ग विगत 1000 वर्षो के इतिहास के मूक गवाह हैं। दुर्ग निर्माण में सुंदरता के स्थान पर मज़बूती तथा सुरक्षा को ध्यान में रखा जाता था। परंतु यहां के दुर्ग मज़बूती के साथ-साथ सुंदरता को भी ध्यान मं रखकर बनाये गये। दुर्गो में एक ही मुख्य द्वार रखने के परंपरा रही है। दुर्ग मुख्यतः पत्थरों द्वारा निर्मित हैं, परंतु किशनगढ़, शाहगढ़ आदि दुर्ग इसके अपवाद हैं। ये दुर्ग पक्की ईंटों के बने हैं। प्रत्येक दुर्ग में चार या इससे अधिक बुर्ज बनाए जाते थे। ये दुर्ग को मज़बूती, सुंदरता व सामरिक महत्त्व प्रदान करते थे।