मंगलवार, 21 दिसंबर 2010
पीने के पानी का अधिकार दिया जाए
कांग्रेस के 83वें महाअधिवेशन में बाड़मेर जैसलमेर के सांसद हरीश चौधरी ने भी संबोधित किया। चौधरी ने अपने संबोधन में युवा विकास, पीने के पानी का अधिकार, सांप्रदायिक सद्भाव पर जोर दिया। सांसद चौधरी ने कहा कि देश के कई बड़े सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आज भी पीने का पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। कई शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल नहीं मिल रहा है। जबकि पीने का पानी हर व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है। आज भारत का स्थान दुनिया में बहुत उच्च है। कई विश्व शक्तियां हमें संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता के लिए समर्थन कर रही है। ऐसे में हमें जाति धर्म से उठकर भारत देश के विकास के लिए कार्य करना चाहिए। चौधरी ने कहा कि हमारे देश में जीडीपी रेट बढ़ गई है। प्रधानमंत्री की आर्थिक नीतियों से देश आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि बाड़मेर जिले में नरेगा योजना में पचास हजार से अधिक टांके बने हैं, जो लोगों के लिए पेयजल संचय का महत्त्वपूर्ण स्त्रोत है। चौधरी ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी क्रियान्वयन की बात रखी ताकि लोगों को अधिकाधिक फायदा मिल सके।
रविवार, 19 दिसंबर 2010
happy birth day parul
aaj meri pyari bitiya PARUL ka janm divas hai,dher sari shubh kamanae...badhai...today is birth day of my lovely daughter PARUL,
शनिवार, 18 दिसंबर 2010
barmernewstrack
अज्ञात व्यक्ति की लाश खेत में दबी मिली
बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले के सदर थाना क्षैत्र के खेतसिंह की प्याउ गांव की सरहद पर एक खेत में आात व्यक्ति की लाश मिलने से क्षैत्र में सनसनी फैल गइ्र हैं।घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस दल सहित पुलिस अधीक्षक मौके पर पहॅच गऐं हैंपुलिस सुत्रों नें बताया कि शनिवार प्रात खेतसिंह की प्याद निवासी भूराराम नें सदर पुलिस को सूचित किया कि दसके क्षेत में एक लाश गडी होने का अन्देशा हैं।खेत के आसपास खून बिखरा पडा हैं।इस सूचना पर पुलिस दल ने मौके पर पहूॅच कर खेत में सें लाया को बाहर निकाला ।लाश एक सिख व्यक्ति की हैं।पुलिस ने ाव बरामद कर जॉच आरम्भ कर दी हैं।सूत्रों ने बताया कि कोई 24 घण्टों पहले ही दक्त व्यक्ति की हत्या कर लाश को जमीन में गाड दिया गया था।पुलिस मामले की जॉच में जुट गइ हेै।बाडमेर जिला मुख्यालय सें राष्ट्रिय राजमार्ग 15 धोरीमन्ना रोड पर 20 किलोमीटर दूर एक खेत में यह घटना हुई।पुलिस को मौके पर कई स्थानों पर खून के निशान मिले हैं।समाचार लिखे जाने तक पुलिस दल मौके पर कार्यवाही में जुटा थ।
बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले के सदर थाना क्षैत्र के खेतसिंह की प्याउ गांव की सरहद पर एक खेत में आात व्यक्ति की लाश मिलने से क्षैत्र में सनसनी फैल गइ्र हैं।घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस दल सहित पुलिस अधीक्षक मौके पर पहॅच गऐं हैंपुलिस सुत्रों नें बताया कि शनिवार प्रात खेतसिंह की प्याद निवासी भूराराम नें सदर पुलिस को सूचित किया कि दसके क्षेत में एक लाश गडी होने का अन्देशा हैं।खेत के आसपास खून बिखरा पडा हैं।इस सूचना पर पुलिस दल ने मौके पर पहूॅच कर खेत में सें लाया को बाहर निकाला ।लाश एक सिख व्यक्ति की हैं।पुलिस ने ाव बरामद कर जॉच आरम्भ कर दी हैं।सूत्रों ने बताया कि कोई 24 घण्टों पहले ही दक्त व्यक्ति की हत्या कर लाश को जमीन में गाड दिया गया था।पुलिस मामले की जॉच में जुट गइ हेै।बाडमेर जिला मुख्यालय सें राष्ट्रिय राजमार्ग 15 धोरीमन्ना रोड पर 20 किलोमीटर दूर एक खेत में यह घटना हुई।पुलिस को मौके पर कई स्थानों पर खून के निशान मिले हैं।समाचार लिखे जाने तक पुलिस दल मौके पर कार्यवाही में जुटा थ।
बुधवार, 15 दिसंबर 2010
जब सीमावर्ती लोगों ने पाक के इरादे नाकाम किये
लेबल:photo
उतरलाई स्टेशन,
तृतीय युद्ध 1971,
बाड़मेर,
भारत पाक,
सीमावर्ती गांवो,
india pak war 1971,
vijay divas
सोमवार, 13 दिसंबर 2010
खड़ताल का जादुगर सदीक खान
बाड़मेर पिश्चमी सीमावर्ती बाड़मेर जिले की लोक गायिकी ने थार की थळी के इस क्षैत्र की ख्याति सात समुन्द्र पार पहुचांई है।थार की थळी के लाल मांगणियार जाति के लोक गायको ने अपनी सुर साधनां के लिए ऐसे पारम्परिक वाद्य यत्रों का प्रयोग किया है जो अनुठेपन के कारण कला साधको को रोमांचित कर देते हैं।लोक गायकी के सरताज सदीक खान ने ऐसे पारम्परिक वाद्य यंत्र खड़ताल का आविश्कार कर अपने फन की विश्व भर में धूम मचा दी थी।खड़ताल का जादू संगीत प्रेमियो के सिर च कर बोला। खड़ताल ने सदीक की ख्याति में चार चॉद लगा दिए ं।खड़ताल ने सदीक को तथा सदीक ने खड़ताल को अमर कर दियां।
बाड़मेर जिले के शिव तहसील के झॉपली में जन्में सदीक ने अपने बचपन में लोक गययिकी में महारत हासिल कर ली थी।उन्होने लोक सगींत को गली कुच्चो से उठाकर सात समुन्द्र पार पंहुचाया ।सदीक का परिवार सदियो से गांव के उच्च घरानो में लोक गीतसंगीत की महफिले सजा कर जीवन निर्वाहन करते। यजमानी के साथसाथ शादी विवाह सगाई एवं अन्य समारोह में लोक गीत संगीत के जरिए दो वक्त की रोटी परिवार को मुहैया कराते थे।मंगत की बैशाखी पर लोक गायकी टिकी थी।
बचपन से ही सदीक अपने पिता के साथ झॉपली एवं शिव के विभिन्न ठिकानो पर गा बजा कर लोक गायिकी तथा वादय में दक्षता हासिल कींउनके पिता की सारंगी,तन्दुरा,कमायचा,और खड़ताल बजाने में ख्याति क्षैत्र में अर्जित की थी।अपने पूर्वजो की इस विरासत को सदीक ने जिस मनोयोग ,साधना,और समर्पित भाव से अंगीकार किया उसके परिणामस्वरुप उनकी खास पहचान बनी।सदीक अनप अवश्य था मगर लोक गीत ,संगीत ओैर वाद्य के ज्ञान का समृद्ध भण्डार था।
ोलकक,सारंगी,तन्दुरा,कमायचा ,रावणहत्था, तथा खड़ताल बजाने के फन में माहिर थे।साथ ही सैकड़ो लोक गीत कंठस्थ थे वहीं सैकड़ो लोक गीतो के रचयिता थे जिसमें उनके द्घारा रचे लोक गीत नीम्बुड़ानिम्बुड़ा ने कई कीर्तिमान स्थापित किए।
सदीक और खड़ताल एक दूसरे के पर्याय थे। खड़ताल बजाने में उनका कोई सानी ना था।खड़ताल बजाने में उनको उच्च कोटि की दक्षता हासिल थी।लोक संगीत की महफिलें सदीक के बिना अधूरी लगती थी।खास अंदाज में खड़ताल बजाने की दक्षता के कारण वे कई अन्तराश्टिृय समारोहो की शान बनकर थार को ख्याति दिलाइ्रं।जल्द सदीक खड़ताल के जादुगर के रुप में चर्चित और ख्यातिनाम हो गए।खड़ताल से इन्हे लोकप्रियता और सम्मान मिला।
छः से आठ ईंच लम्बी और डेदो ईंच चौड़ी साधरण सी दिखने वाली लकड़ी की दो पटियां जब सदीक के हाथो से बजती संगीत प्रेमी झूम उठतेंसदीक जब हाथ के अंुठे के आन्तरिक भाग एवं दूसरी चारों अंगुलियों में हथेली के बीच खड़ताल रखकर अंगुलियों के बल अधखड़ा हो कर झूमता हुआ खड़ताल बजाता तो वह सब कुछ भूल कर उसी में खो जाते थे।सुर और गीतों के स्वर जितने तेजी से साथी गायको के कण्ठ से निकलते उससे कहीं तेज गति से सदीक के हाथो से खड़ताल बजतीं। सुरीले मनमोहक लोक गीतों को जब सदीक की खड़ताल का साथ मिलता संगीत प्रेमी झूम उठतें।
सदीक ने खड़ताल का जादु सात समुन्द्र पार अमेरिका,अजे्रटिना,आस्टेृलिया,जापान, रुस सहित कई देशो में लोक गीत संगीत की स्वर लहरियॉ बिखेर कर परचम लहराया।पिश्चमी राजस्थान के लोक गीत संगीत को नई उॅचाईयां देने वाले सदीक को केन्द्रिय संगीत नाटक अकादमी ने दस हजार रुपये का नकद पुरस्कार देकर उनकी साधना को सम्मान दिया।वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने तुलसी सम्मान से 1989 -90 में सम्मानित किया।
प्रदेश स्तर पर कई र्मतबा सम्मानित हुए हैं सदीक खान।मंगत की बैशाखी पर टिकी लोक गायिकी तथा खड़ताल की स्वर लहरियों को विश्व भर में नई पहचान देने वाले सदीक के फ.न को उनके कई शार्गिद इागे बा रहे हैं। केसरिया बालम पधारो म्हारे देस,निम्बुडानिम्बूडा चिड़कली,कुरजां,गोरबधं जेसे सैकड़ों गीत जो सदीक ने गाए आज भी संगीत प्रेमियों के बीच खासे लोक प्रिय हैं सिदिक खान के गाए लोक गीतों की कैसेट सीडीयों की मांग बराबर बनी हुई हैं।
सदीक खान की जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में एक कार्यक्रम के दौरान तबीयत बिगड़ने से मार्च 2002 में मौत हो गई थीं।राजस्थानी लोक गीत संगीत को सादिक खान ने ना केवल नई उॅचाईयां प्रदान की बल्कि लोक गायिकी में दक्ष शार्गिद तैयार कर दिए।उनके शार्गिद अनवर खान,फकीरा खान,गाजी खान, साकर खान, परम्परागत लोक गायिकी को अन्तरराश्टिृय स्तर पर नई उॅचाईयां प्रदान कर रहे हैं।
सदीक खान के पुत्र समुन्द्र खान और शाकर खान लोक गायकी के जीते जागते उदाहरण हैं,खड़ताल बजाने में दक्ष समुन्द्र खान और ाकर खान लोक कला के सरक्षण के लिए स्वयं सेवी संस्था के माध्यम से पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।समुन्द्र खान स्थानिय लोक कलाकारो के लिये विदेशो में कार्यक्रम तय कर उन्हें अवसर प्रदान कर रहे हैं।सादिक खान का पूरा परिवार लोक कला के संरक्षण में जुटा ह
सदस्यता लें
संदेश (Atom)