बुधवार, 11 मार्च 2015

अब नौकरी से पहले भरना पड़ेगा 5 लाख का बॉन्ड



अब नौकरी से पहले राज्य सरकार 5 लाख रुपए और दो साल नौकरी की गारंटी का बांड भरवाएगी। राजस्थान विधानसभा में चिकित्सा राज्य मंत्री एवं संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने ये बात कही।



सदन में बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान विधायक मानिक चंद सुराणा ने प्रदेश में डॉक्टरों और एएनएम की भर्ती का मामला उठाया।




सुराणा ने पूछा कि मेरिट में चयनित होने के बावजूद प्रदेश में एनएनएम को नियमित नियुक्ति क्यों नहीं दी गई। जवाब में संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि जिन एएनएम को मेरिट के आधार पर चयन हुआ है उनका प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बाद उन्हें नियमित कर दिया जाएगा।




सुराणा ने पैरामेडिकल स्टाफ में रिक्तियां जाननी चाही और पूछा कि सरकार कब तक डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती करने वाली है। इसके जवाब में राठौड़ ने बताया कि प्रदेश में पैरामेडिकल के कुल 31686 पद खाली पड़े है। उन्होंने कहा कि 24 मार्च 2015 तक 20082 पदों पर नियुक्ति दे दी जाएगी।




राठौड़ ने बताया कि आजकल चिकित्सा सेवा का नहीं व्यवसाय का माध्यम हो गया है जिसके चलते डॉक्टर निजी सेक्टर में दिलचस्पी दिखा रहे है।




सरकारी नौकरी छोड़कर निजी अस्पताल जॉइन करने वाले डॉक्टरों पर मंत्री ने कहा कि सरकार अब डॉक्टरों से 2 साल नौकरी और 5 लाख रुपए का बॉन्ड भरवाएगी जिससे डॉक्टर नौकरी छोड़कर ना जा सकें। उन्होंने कहा कि सरकार डॉक्टरों को 2 साल का बॉन्ड भरकर देना होगा वहीं सरकारी सेवा में कार्यरत डॉक्टर जिन्हें पीजी करना है उन्हें भी बॉन्ड भरना होगा।




जैसलमेर विधायक छोटू सिंह ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में डॉक्टर जॉइन ही नहीं करते है। जिन डॉक्टरों ने जॉइन किया हुआ है वो भी यहां से छोड़कर जाना चाहते है।




सवाल के जवाब में चिकित्सामंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में डॉक्टरों के ठहराव के लिए उन्हें अलग से भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जैसलमेर सहित सीमावर्ती जिलों में तीन श्रेणियां बनाई गईं। सीमा के एकदम नजदीक बी 3 श्रेणी होगी। श्रेणी के हिसाब से डॉक्टरों को 25 हजार रुपए तक अधिक दिया जाएगा।

पति ने पत्नी व सास को कुल्हाड़ी से काट डाला



डूंगरपुर के धबोला थाना इलाके में मंगलवार देर रात एक व्यक्ति ने गृह क्लेश के चलते पहले अपनी पत्नी और फिर बीच बचाव करने आई सास को कुल्हाड़ी से काट डाला।




बाद में आस-पास के लोगों की सूचना पर पुलिस पहुंची और हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार मामला चौरासी कस्बा गडा बाटेश्वर गांव का है। पुलिस के अनुसार इलाके में रहने वाले रमेश कुमार का अपनी पत्नी हाजू देवी से काफी समय से मनमुटाव चल रहा था। सोमवार को भी दोनों में किसी बात को लेकर काफी विवाद हुआ था।




इस विवाद को शांत करने के लिए मंगलवार सवेरे हाजू देवी की मां वीलू देवी अपनी बेटी के घर पहुंची। मंगलवार शाम खाना खाने के बाद फिर से रमेश और हाजू में झगड़ा हो गया। उस समय तो दोनों सो गए।




बाद में देर रात दोनों मंे फिर से विवाद हुआ। रमेश ने हाजू की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी और बाद में सास वीलू देवी की भी हत्या कर दी। पुलिस ने घर से दोनों के खून से सने शव बरामद कर लिए हैं। कुल्हाड़ी को भी पुलिस ने बरामद कर लिया है।

इस मंदिर में मंत्र के साथ गूंजती हैं कुरआन की आयतें



धर्म और धार्मिक मान्यताओं के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि लोग आज इसके असल मकसद को भूलते जा रहे हैं और अपने चारों ओर ऐसी दीवारें खड़ी कर ली हैं, जिनकी वजह से एक इंसान दूसरे इंसान को भूल रहा है।



दुनिया में धर्म के आधार पर नफरत के बीज बोने वालों की भी कमी नहीं रही है, लेकिन विवेकशील लोग ऐसी हरकतों को कभी उचित नहीं ठहराते। समाज में ऐसे लोग भी हैं जो खुद की धार्मिक मान्यताओं का पालन तो करते ही हैं। इसके अलावा दूसरों की मान्यताओं-परंपराओं का सम्मान भी करते हैं।




पंजाब में बरनाला जिले के भदौर शहर में स्थित एक शिव मंदिर भगवान भोले की भक्ति के साथ ही सर्वधर्म समभाव और एकता की मिसाल भी पेश कर रहा है। इस मंदिर में सिर्फ हिंदुओं को ही नहीं बल्कि मुसलमान, सिख और ईसाइयों को भी अपनी आस्था के अनुसार पूजा-इबादत की जगह दे रखी है।




यहां एक ही छत के नीचे आप पवित्र कुरआन की आयतें, महामृत्युंजय मंत्र, गुरु ग्रंथ साहब के वचन और पवित्र बाइबल की प्रार्थना सुन सकते हैं। यहां के लोग एक दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का पूरा सम्मान करते हैं।




उन्हें इस बात पर गर्व है कि एक धरती और एक आकाश के नीचे हम सब एक ही ईश्वर की प्रार्थना करते हैं। भले ही हमारे तरीके और रास्ते अलग हैं लेकिन मकसद एक है और इसमें कभी फर्क नहीं आ सकता।




स्थानीय लोगों को इस बात पर भी गर्व है कि उनका इलाका इस मंदिर की वजह से जाना जाता है। दूसरों के लिए यह मंदिर किसी आश्चर्य से कम नहीं है लेकिन यहां के लोगों के लिए यह जिंदगी से जुड़ी एक ऐसी सच्चाई जो अब उन्हें बहुत चिर-परिचित लगती है।




1990 के बाद से मंदिर के प्रबंधकों ने दूसरे धर्मावलंबियों को भी यहां बुलाने की पहल शुरू की जो अब एक मुहिम बन चुकी है और यह सिलसिला आज तक जारी है। मंदिर के प्रबंधक और स्थानीय लोगों का कहना है कि वे इसे हमेशा जारी रखेंगे।

शिव के इस वरदान से प्रकट हुआ था नंदी



नंदी भगवान शिव का वाहन है। यह भोलेनाथ को सभी लोकों की यात्रा कराता है। आमतौर पर शिव के साथ उनके परिवार की प्रतिमाएं होती हैं। यूं तो नंदी भी उनके परिवार का एक सदस्य है लेकिन वह मंदिर से बाहर या शिव से कुछ दूरी पर बैठा रहता है। क्या आप जानते हैं इसका कारण क्या है?



शिलाद मुनि ने मांगा था शिव से ये वरदान

यह कथा शिलाद मुनि से जुड़ी है जो बहुत बड़े तपस्वी और ब्रह्मचारी थे। उनके पितृ देवों को आशंका हुई कि संभवतः उनका वंश आगे नहीं बढ़ेगा क्योंकि शिलाद मुनि गृहस्थ आश्रम नहीं अपनाना चाहते थे।




मुनि ने इंद्र देव की तपस्या की और उनसे वरदान में ऐसा पुत्र मांगा जो जन्म और मृत्यु से हीन हो। इंद्र ने ऐसा वरदान देने से असमर्थता जताई और बोले, ऐसा वरदान देना मेरी शक्ति से बाहर है। आप भगवान शिव को प्रसन्न कीजिए। अगर शिव चाहें तो कुछ भी असंभव नहीं।




शिलाद मुनि ने शिव की तपस्या की। शिव प्रसन्न हुए और स्वयं शिलाद के पुत्र रूप में प्रकट होने का वरदान दिया। वरदान के फलस्वरूप नंदी का प्राकट्य हुआ। शिव के वरदान से नंदी भी जन्म-मृत्यु से परे हैं।




शिव के कहने पर मां पार्वती, गणपति और समस्त गणों ने नंदी का अभिषेक किया। शिव ने नंदी को वरदान दिया कि जहां नंदी का वास होगा वहां स्वयं महादेव निवास करेंगे।




नंदी में हैं ये बड़े गुण

नंदी के दर्शन से मन को प्रसन्नता प्राप्त होगी है। नंदी के नेत्र, चरण, गले की घंटी बहुत सुंदर हैं। नंदी के नेत्र सदैव भगवान शिव की ओर देखते रहते हैं। वह सदा अपने प्रभु का स्मरण करता है। शिव के मंदिर जाएं तो नंदी के दर्शन जरूर करें और दर्शन-प्रणाम के बाद उसके सींगों को स्पर्श कर अपने मस्तक से लगाएं।




नंदी के सींग ज्ञान और विवेक के प्रतीक हैं। इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। नंदी के गले की घंटी भगवान की धुन में रमे रहने की प्रतीक है। नंदी को प्रणाम के दौरान अपनी मनोकामना उसके कान में जरूर कहें। ऐसा करने से वह बहुत शीघ्र भगवान शिव तक पहुंचती है और नंदी की बात शिव सदा स्वीकार करते हैं।

मंगलवार, 10 मार्च 2015

झुकी मुफ्ती सरकार, अब नहीं होगी राजनीतिक कैदियों की रिहाई



अलगाववादी मसर्रत आलम की रिहाई के बाद केंद्र सरकार के सख्त रुख का असर दिखने लगा है। केंद्र राजनीतिक कैदियों की रिहाई रोकने के लिए मुफ्ती मुहम्मद सईद सरकार पर दबाव बनाने में सफल रहा है। जम्मू-कश्मीर के गृह सचिव सुरेश कुमार ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि आगे से किसी आतंकी या राजनीतिक कैदी को रिहा नहीं किया जाएगा।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मसर्रत की रिहाई की फाइल राज्यपाल तक नहीं पहुंची थी और न ही इस संबंध में केंद्र को सूचित किया गया था। मसर्रत के बाद दूसरे कई आतंकी व राजनीतिक कैदियों की रिहाई की अटकलों के बीच पूरे दिन गृह मंत्रालय में बैठकों का दौर जारी रहा। मंत्रालय के अधिकारी जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों को घाटी की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव को समझाने में लगे रहे।

राजनाथ की सख्त चेतावनी

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सार्वजनिक रूप से कहा कि गठबंधन और सरकार उनकी प्राथमिकता नहीं है। अ‌र्द्धसैनिक बल सीआइएसएफ के मंच से राजनाथ ने कहा, 'हमारी प्राथमिकता गठबंधन बचाना नहीं, देश की सुरक्षा है। हर किसी को हमारी इस मंशा का अहसास हो जाना चाहिए।'

राजनाथ ने इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने मसर्रत की रिहाई के बारे में उनसे बात की थी। 'दैनिक जागरण' ने सोमवार को ही जानकारी दी थी कि मसर्रत की रिहाई से खफा केंद्र सरकार और भाजपा मुफ्ती को आगाह करेगी कि इस तरह के फैसलों से राज्य सरकार पर मुश्किलें आ सकती हैं।

उप मुख्यमंत्री दिल्ली तलब

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद को आगाह कर दिया कि साझा कार्यक्रम से भटकने की कोशिश हुई तो मुश्किलें खड़ी होंगी। शाह ने अपने उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह को भी दिल्ली बुलाकर सरकार के कामकाज पर नजर रखने का निर्देश दे दिया है।

भाजपा के मुताबिक, गठबंधन सरकार चलानी है तो इसकी बड़ी जिम्मेदारी पीडीपी और मुफ्ती को निभानी होगी। मंगलवार की शाम शाह ने निर्मल सिंह और जम्मू-कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष जुगल किशोर समेत कुछ नेताओं की बैठक बुलाई। बताते हैं कि शाह ने भी उन्हें स्पष्ट कर दिया कि राज्य में भाजपा दबाव में नहीं दिखनी चाहिए। बल्कि मुफ्ती पर यह दबाव बरकरार रखना चाहिए कि वह साझा कार्यक्रमों पर काम शुरू करें।

वक्त देना चाहती है भाजपा

भाजपा गठबंधन सरकार को थोड़ा वक्त देना चाहती है। दरअसल कोशिश यह है कि विवादों से हटकर कश्मीरी पंडितों को पुनर्वास, शरणार्थियों के कश्मीर में बसने के अधिकार, परिसीमन आयोग के गठन जैसे काम को आगे बढ़ाया जाए। विकास की योजनाएं परवान चढ़े ताकि भाजपा पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद को तर्कसंगत रूप से सही ठहरा सके।

चितौड़गढ़ नशे में धुत तोतों ने गांव में मचाया कोहराम



इंसानों को नशा करते हुए आपने जरूर सुना होगा पर राजस्थान के एक गांव में तोतों की नशाखोरी ने गांव में आफत मचा रखी है। मामला है राजस्थान के चितौड़गढ़ जिले की। यहां अफीम की खेती कर रहे किसानों को एक खास तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अफीम के फसलों की कटाई के बाद उससे विशेष प्रकार का तरल पदार्थ निकलता है। जिसे चूसने के लिए बड़ी संख्या में तोते खेतों में आते हैं।

किसानों के मुताबिक तोते इसे नशीले पदार्थ को चूसने के बाद पेड़ों पर बैठ जाते हैं और घंटों वहां सोए रहते हैं। कई पक्षियों को झुंड में चक्कर लगाते देखा जाता है और अत्यधिक अफीम का सेवन कर लेने के कारण वे पेड़ों से गिर भी जाते हैं। कई तोते नीचे मृत भी पाए गए हैं, कुछ को अन्य पक्षी मार देते हैं। किसानों का कहना है कि इलाके में और भी प्रजाति के पक्षी हैं, लेकिन लगता है कि तोते नशीली चीजों की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं।

इन नशेड़ी तोतों के कारण गांव के किसान परेशान हो चुके हैं। पर इन तोतों की इस लत से कैसे पार पाया जाए यह समझ नहीं पा रहे हैं।

बाड़मेर मिलिए लखपति-करोड़पति कबूतरों से


साभार 




राजस्थान के बहुत से हिस्सों में कबूतरों को दाना-चुग्गा डालने की परंपरा है लेकिन मारवाड़ के कबूतर कई लोगों के लिए रहने-खाने का इंतज़ाम करते हैं.कबूतर भारत
यहां कबूतरों के नाम ज़मीन, बैंक बैलेंस, मकान, दुकान हैं और इनके बाकायदा पैन नंबर भी हैं. कबूतरों के किराएदार भी हैं और उनके किराए और ज़मीन की आय से धर्म-कर्म से जुड़े कार्य होते हैं.

तो क्या है इन लखपति-करोड़पति कबूतरों की कहानी.

'कबूतरों का व्हाइट हाउस'
कबूतर भारत
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जोधपुर से 90 किलोमीटर दूर असोप में कबूतरों का बैंक बैलेंस करीब 30 लाख है और उनके नाम है 364 बीघा ज़मीन.

इस ज़मीन पर खेती के लिए बोली लगती है और आमदनी कबूतरों के खाते में जाती है.
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उधर सरहदी शहर बाड़मेर के कबूतरों की संपत्ति भी कुछ कम नहीं. उनके नाम दस दुकानें और एक करोड़ कीमत की तिमंजिला इमारत 'व्हाइट हाउस' है. बैंक में करीब 10-12 लाख के फिक्स्ड डिपाज़िट भी हैं.

असोप में इन मूक पंछियों की ओर से काम करती है 100 साल से भी ज्यादा पुरानी कबूतरान कमेटी. इसके अध्यक्ष नन्द किशोर कसाट ने बीबीसी को बताया कि कस्बे में 21 चबूतरे हैं जहां असंख्य कबूतर दाना चुगते हैं.

समिति के 21 मनोनीत सदस्य हैं जो अलग-अलग चबूतरों पर दाना डालने के लिए ज़रूरत के हिसाब से ज्वार-बाजरे की बोरी कमेटी से ले जाते हैं.

पुराने भामाशाहों द्वारा यह ज़मीन दान दी गई थीं. उनका कहना है कि कबूतर भोला पक्षी है, हिंसक नहीं है इसलिए लोग कबूतरों के लिए दान करना पुण्य मानते हैं.

बिना कबूतर के कबूतरखाना
कबूतर भारत
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बाड़मेर के कबूतर धर्मार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष मदन सिंघल ने बीबीसी को बताया कि पुराने समय में गांव की पंचायतों द्वारा दोषी व्यक्तियों को आर्थिक दंड के रूप में कबूतरों के लिए दो बोरी-पांच बोरी चुग्गा डालने की सजा दी जाती थी.

इसीलिए संभवतः किसी जागीरदार ने एक चबूतरा और कुछ दुकानें बनवाईं जहां कबूतरों को दाना डाला जा सके.

करीब 15 साल पहले कुछ लोगों ने सहयोग कर तीन मंज़िला इमारत बनवा दी जिसे कम आय वाले लोगों को किराए पर दिया जाता है.

अब यह संस्था रजिस्टर्ड है और संस्थान को प्राप्त आय से गरीबों की सहायता, नेत्र चिकित्सा शिविर जैसे काम करवाए जाते हैं. कबूतरों के नियमित दाने की व्यवस्था के लिए अनाज भंडार है.

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स्थानीय नागरिक पारस मेहता बताते हैं कि कबूतरों को धान बाजरा डालने की परंपरा तो बहुत पुरानी है लेकिन कबूतरों के नाम से इकट्ठा हुई राशि का निस्वार्थ भाव से सदुपयोग करना, ख़ास बात है.

पर राज्य के कुछ स्थान ऐसे भी हैं जिनकी पहचान तो कबूतरों से है पर अब कबूतरों की गुंटर-गूं से महरूम हैं. जैसे जोधपुर शहर का 'कबूतरों का चौक' और शेखावाटी के चिड़ावा का 'कबूतरखाना'.

इसके विपरीत जयपुर के अल्बर्ट हॉल म्यूजियम के पते में कबूतरों का कोई जिक्र तो नहीं पर फिर भी इसकी खूबसूरती कबूतरों के बिना अधूरी है.

बाड़मेर अवैध शराब बरामद ,आरोपी फरार

बाड़मेर अवैध शराब बरामद ,आरोपी फरार 


बाड़मेर शहर में आबकारी की कार्यवाही - गेंहू रोड़ पर तन सिंह सरकार से आगे जय माजीसा किराणा दुकान से जालम सिंह पुत्र शयाम सिंह राजपूत के कब्जे से 68 बोतल व 233 पवे अवैध अंग्रेजी शराब (11 कारटन) तथा 27 बोतल अवैध बीयर बरामद। जालम सिंह मौके से फरार । आबकारी निरीक्षक अजय जैन ने की कार्यवाही।

डर्टी पॉलिटिक्स फिल्म की विधानसभा में गूंज


डर्टी पॉलिटिक्स फिल्म की विधानसभा में गूंज

सत्ता पक्ष विधायक ने जत्ताई आपत्ति, कार्यवाही की मांग

पटना व हैदराबाद हाईकोर्ट ने भी जत्ताया था एतराज


जयपुर/ राजस्थान की राजनीति और बहुचर्चित भंवरी देवी काण्ड को लेकर फिल्म निर्माता निर्देशक के सी बोकाडिया द्वारा बॉलीवुड की हॉट और बोल्ड एक्ट्रेस मल्लिका शेरावत को लेकर बनाई गई फिल्म डर्टी पॉलिटिक्स एक बार फिर विवादों में आ गई है । आज विधानसभा में भाजपा के विधायक रामलाल शर्मा ने सदन मे मामला उठाया की फिल्म में विधानसभा भवन का चित्रण किया गया है जो गलत कानंन समत नही है । इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष और सरकार से कोई अनुमति नहीं ली गई है । विधायक ने उक्त चित्रण और दृश्य हटाने तथा निर्माता निर्देशक के खिलाफ कार्रवाई की माग की शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने भी विधायक शर्मा की बात व मांग का सर्मथन किया इस पर संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड ने व्यक्तव्यक्तव्य दिया की इस बात की जानकारी नहीं थी फिल्म देखकर निर्णय लिया जाएगा अगर ऐसा हे तो निश्चित रूप से कार्रवाई होगी । विदित है की इस फिल्म की मुश्किलें इन दिनों थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं।आपको बता दें कि पटना हाई कोर्ट ने फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' की रिलीज पर रोक लगा दी है।दरअसल पटना हाई कोर्ट में दायर की गई एक याचिका में फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' के उस सीन परआपत्ति जताई गई है,जिसमें मल्लिका शेरावत ने अपने शरीर को तिरंगे से लपेट रखा है । इससे पहले भी हैदराबाद में कोर्ट के आदेश पर राष्ट्रध्वज का कथित रूप से अपमान करने का मामला दर्ज किया गया था ।.