देवर-देवरानी के सामने बहू से दुष्कर्म
फतेहपुर। रिश्तों को शर्मसार करने वाली एक घटना फतेहपुर में सामने आई। यहां बड़े भाई ने मझले भाई की पत्नी को हवस का शिकार बनाया। इसमें छोटे भाई व उसकी पत्नी ने भी उसका साथ दिया। उसके शोर मचाने पर पड़ोसी आ गए। इन्हें देख तीनों भाग निकले।
थाने पहुंची पीडिता ने पुलिस को बताया कि उसका पति फसल की कटाई के लिए खेत पर गया था। वह कमरा बंद करके सो रही थी। रात को उसकी देवरानी ने आवाज दी। उसने दरवाजा खोला तो सामने देवर और जेठ भी खड़े थे। वह कुछ समझ पाती,इससे पहले ही जेठ कमरे में घुस आया और उसके साथ दुष्कर्म किया। देवर-देवरानी उसकी इज्जत लुटने का तमाशा देखते रहे।
शनिवार, 4 मई 2013
हज यात्रा कराने के नाम पर ठगे 10 लाख
जयपुर: हज कराने के नाम पर कुछ लोगों ने एक व्यक्ति से 10 लाख रुपए ठग लिए। आरोपी उसे मुंबई से हज फ्लाइट होने की बात कहकर वहां ले गए और फिर उसे वापसी का रास्ता दिखा दिया। पीड़ित की ओर से रामगंज थाने में मामला दर्ज कराया गया है। जानकारी के अनुसार जे.पी. कालोनी शास्त्री नगर निवासी मो. वसीम हज यात्रा पर जाना चाहते थे।
इस दौरान उन्हें पता चला कि मदीना होटल घाटगेट बाजार में रुके कुछ लोग हज यात्रा करा सकते हैं। सितम्बर-अक्तूबर में होने वाली यात्रा के लिए वह मो. आरिफ, शकील सगीर, पूजा शर्मा व सैयद मेहराज से मिला। इन लोगों ने वसीम को बताया कि मुंबई से हज के लिए फ्लाइट जाएगी। यहां से मुंबई और फिर आगे भेजने का सारा इंतजाम कम्पनी करेगी।
एक व्यक्ति उसे मुंबई लेकर गया। उसने वसीम से करीब 10 लाख रुपए ले लिए और फ्लाइट नहीं होने की बात कहकर लौटा दिया। वसीम ने फिर सम्पर्क किया तो उनका पता नहीं चल सका।
इस दौरान उन्हें पता चला कि मदीना होटल घाटगेट बाजार में रुके कुछ लोग हज यात्रा करा सकते हैं। सितम्बर-अक्तूबर में होने वाली यात्रा के लिए वह मो. आरिफ, शकील सगीर, पूजा शर्मा व सैयद मेहराज से मिला। इन लोगों ने वसीम को बताया कि मुंबई से हज के लिए फ्लाइट जाएगी। यहां से मुंबई और फिर आगे भेजने का सारा इंतजाम कम्पनी करेगी।
एक व्यक्ति उसे मुंबई लेकर गया। उसने वसीम से करीब 10 लाख रुपए ले लिए और फ्लाइट नहीं होने की बात कहकर लौटा दिया। वसीम ने फिर सम्पर्क किया तो उनका पता नहीं चल सका।
सरबजीत पर हमलाः 3 जेल अधिकारी सस्पेंड
लाहौर।। भारतीय कैदी सरबजीत सिंह पर जानलेवा हमले के करीब एक हफ्ते बाद इस मामले में जेल के तीन सीनियर अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है। पंजाब के गृह सचिव ने कोट लखपत जेल में सरबजीत पर बर्बर हमले को लेकर तीन अधिकारियों को लापरवाही के आरोप में शुक्रवार को निलंबित कर दिया।
आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि निलंबित किए गए अधिकारियों में कोट लखपत जेल सूपरिंटेंडेंट मोहसिन रफीक, अडिशनल सूपरिंटेंडेंट इश्तिआक गिल और डिप्युटी सूपरिंटेंडेंट गुलाम सरवर सुमरा शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि निलंबित अधिकारियों के स्थान पर कामरान अंजुम को सुपरिंटेंडेंट, रजा महमूद जमन को अडिशनल सूपरिंटेंडेंट और नूर हसन को डिप्युटी सूपरिंटेंडेंट नियुक्त किया गया है।
भारतीय कैदी सरबजीत (49) पर 26 अप्रैल को जेल में बंद अन्य कैदियों ने बर्बर हमला किया था। इस संबंध में दो कैदियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है।
सरबजीत पर 1990 में पंजाब प्रांत में हुए बम विस्फोटों से जुड़े मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। उन विस्फोटों में 14 लोगों की मौत हो गई थी। सरबजीत के परिवार का दावा है कि वह गलत पहचान के शिकार हुए और नशे की हालत में गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे।
आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि निलंबित किए गए अधिकारियों में कोट लखपत जेल सूपरिंटेंडेंट मोहसिन रफीक, अडिशनल सूपरिंटेंडेंट इश्तिआक गिल और डिप्युटी सूपरिंटेंडेंट गुलाम सरवर सुमरा शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि निलंबित अधिकारियों के स्थान पर कामरान अंजुम को सुपरिंटेंडेंट, रजा महमूद जमन को अडिशनल सूपरिंटेंडेंट और नूर हसन को डिप्युटी सूपरिंटेंडेंट नियुक्त किया गया है।
भारतीय कैदी सरबजीत (49) पर 26 अप्रैल को जेल में बंद अन्य कैदियों ने बर्बर हमला किया था। इस संबंध में दो कैदियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है।
सरबजीत पर 1990 में पंजाब प्रांत में हुए बम विस्फोटों से जुड़े मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। उन विस्फोटों में 14 लोगों की मौत हो गई थी। सरबजीत के परिवार का दावा है कि वह गलत पहचान के शिकार हुए और नशे की हालत में गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे।
शव नहीं उठाया .सदर थाना अधिकारी लाइन हाज़िर
शव नहीं उठाया .सदर थाना अधिकारी लाइन हाज़िर
ताराराम बैरवा सदर थाना अधिकारी नियुक्त ......
बाड़मेर जिला पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने ताराराम बैरवा को सदर थाना अधिकारीनियुक्त किया हें ,बैरवा ने पदभार ग्रहण कर लिया .कप्तान ने वर्तमान सदर थाना अधिकारी लूण सिंह भाटी को लाइन हाज़िर कर दिया ,मीठडा में आज हुए हत्या काण्ड को लेकर यह कार्यवाही अमल में लाइ गयी हें ,कल देर रात सदर थाना क्षेत्र के मीथादा गाँव में हुए हत्याकांड को लेकर पुलिस द्वारा कोई गिरफ़्तारी नहीं करने तथा आरोपियों का पता नहीं लगाने पर राजपूत सनश के लोग बड़ी तादाद में एकत्रित हो रखे हें ,अभी तक मृतक गिरधर सिंह का शव नहीं उठाया हें ,राजपूत समाज के लोगो ने शाम छह बजे तक का समय पुलिस को दिया हें आरोपियों को गिरफ़्तारी का ,समाज के ल्प्गो ने ही सदर थाना अधिकारी को हटाने की मांग की थी .
ताराराम बैरवा सदर थाना अधिकारी नियुक्त ......
बाड़मेर जिला पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने ताराराम बैरवा को सदर थाना अधिकारीनियुक्त किया हें ,बैरवा ने पदभार ग्रहण कर लिया .कप्तान ने वर्तमान सदर थाना अधिकारी लूण सिंह भाटी को लाइन हाज़िर कर दिया ,मीठडा में आज हुए हत्या काण्ड को लेकर यह कार्यवाही अमल में लाइ गयी हें ,कल देर रात सदर थाना क्षेत्र के मीथादा गाँव में हुए हत्याकांड को लेकर पुलिस द्वारा कोई गिरफ़्तारी नहीं करने तथा आरोपियों का पता नहीं लगाने पर राजपूत सनश के लोग बड़ी तादाद में एकत्रित हो रखे हें ,अभी तक मृतक गिरधर सिंह का शव नहीं उठाया हें ,राजपूत समाज के लोगो ने शाम छह बजे तक का समय पुलिस को दिया हें आरोपियों को गिरफ़्तारी का ,समाज के ल्प्गो ने ही सदर थाना अधिकारी को हटाने की मांग की थी .
सरहदी गांवों में पानी चोरी का डर .जहां तालों में कैद रहता हें पानी
सरहदी गांवों में पानी चोरी का डर .जहां तालों में कैद रहता हें पानी
बारी बारी पेयजल स्रोतों की करते हें पहरेदारी
चन्दन सिंह भाटी
बाड़मेर राजस्थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में गर्मी की दस्तक के साथ लोगो को पानी की समस्याओ से दो चार होना पद रहा हें ,भारत पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर जिले के सरहदी गाँवों में भीषण गर्मी की दस्तक के साथ विकत हो चुके हें ,छह छह माह से होदियो में पानी नहीं आने से गाँव वालो के हलक सूख गए हें ,जलदाय विभाग हर साल गर्मी के मौसम से ठीक पहले आपात योजना के तहत करोडो रुपयों का बजट पुरानी पेयजल योजनाओ के दुरुस्तीकरण के लिए खर्च करते हें .मगर सरहदी चौहटन उप खंड के गफन क्षेत्र के तेरह गाँवो के हालत कुछ और ही बयान कर रहे हें ,इस क्षेत्र के तेरह गाँव गफानो के गाँव कहे जाते हें यानी रेतीले धोरो के बीच के विषम गाँव जन्हा पानी क्या इंसान भी नहीं पहुँच पाते .रमजान की गफन ,आर बी की गफन ,तमाची की गफन ,लक्खे का तला ,भीलो का तला ,भुन्गारिया ,रासबानी ,आदी में लोग पानी की एक एक बूँद के लिए तरस रहे हें .
पाकिस्तान की सरहद से सटे राजस्थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में तापमान बढ़ने के साथ-साथ पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। सरहदी गांवों में ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। पानी की विकट समस्या के कारण गांवों में पलायन की स्थिति बन गई है। गांवों में पारंपरिक पेयजल स्रोत सूख गए हैं। लगातार छठे साल पड़े अकाल के कारण पारंपरिक कुएं, तालाब, बावडि़यों, बेरियों तथा टांकों का पानी सूख चुका है। हालात ये हैं कि जिले के लगभग 860 गांव पेयजल की किसी योजना से जुड़े नहीं हैं। इन कमीशंड, नॉन कमीशंड गांवों में प्रशासन द्वारा पानी के टेंकरों की व्यवस्था की गई है, मगर, यह महज खानापूर्ति तक ही सीमित है। गांवों में टैंकर पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। ऐसे में गांवों में लोगों ने पानी पर पहरेदारी शुरू कर दी है।
जिले के सीमावर्ती क्षेत्र चौहटन के विषम भोगोलिक परिस्थितियों में बसे गफनों के 1३ गांवों में पेयजल सबसे बडी त्रासदी है। इन 13 गांवों- रमजान की गफन, आरबी की गफन, तमाची की गफन, भोजारिया, भीलों का तला, मेघवालों का तला, रेगिस्तानी धोरों के बीच बसे हुए हैं। इन गांवों में पहुंचने के लिए कोई रास्ता तक नहीं है। ऐसे में ग्रामीण अपनी छोटी-छोटी पानी की बेरियों पर ताले लगा कर रखते हैं। तालों के साये में पानी रखना यहां की परम्परा और जरूरत है। इन गांवों के लोग पानी की एक-एक बूंद की कीमत और उपयोगिता जानते हैं।
पानी के कारण गांवों में होने वाले झगडों के कारण ग्रामीण मजबूरी में पानी को सुरक्षित रखने के लिए ताले लगा कर रखते हैं ताकि पानी चोरी ना हो जाए। मगर, इस बार पानी की जानलेवा किल्लत ने ग्रामीणों को पानी की सुरक्षा के लिए पहरेदारी का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया। गांव के सलाया खान निवासी तमाची की गफन ने संवाददाता को बताया कि टांकों पर ताले जड़ने के बाद भी पानी चोरी हो जाता है। पानी की समस्या इस कदर है कि ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डाल कर पानी चोरी कर ले जाते हैं। चोरों का पता लगाने का प्रयास भी किया मगर सफलता नहीं मिली, तो ग्रामीणों ने पंचायत बुलाकर निर्णय लिया कि परंपरागत रूप से बनी पानी की बेरियो पर बारी बारी पहरेदारी की जाए ,इन गाँवों में जातिगत हिसाब से मोहला वाइज़ पानी की बेरिया बनी हें।सभी बेरियो पर लोगो ने अपने अपने ताले जड़ रखे हें ,रासबानी के जुम्मा खान के अनुसार पानी की भयंकर किल्लत हें ,सरकारियो पेयजल योजनाओ से पानी सप्लाई हुए वर्षो बीत ,गए निजी टेंकरों की कीमत प्रति टेंकर हज़ार रुपये हें जिसे देने की स्थति में हम नहीं हें ,प्रशासन को कई बार लिखित और मौखिक रूप से पानी की समस्या के बारे में बता चुके हें मगर कोई समाधान नहीं निकल रहा .पानी की होदियो में पानी कभी आया ही नहीं ,जनप्रतिनिधि गूंगे बहरे हें ,
रमजान की गफन के अली मोहम्मद ने बताया की पानी की सुरक्षा की इससे बेहतर व्यवस्था नहीं हो सकती।प्रत्येक परिवार अपनी बेरी के साथ अन्य बेरियो की पहरेदारी करता हें ताकि पानी चोरी ना हो . उन्होंने बताया कि चालीस किलोमीटर के दायरे में पेयजल का कोई स्रोत नहीं है। पानी का एक टैंकर टांके में डलवाते हैं, तो प्रति टैंकर एक हज़ार रूपए का खर्चा आता है। ऐसे में पानी चोरी होने से आर्थिक नुकसान के साथ पानी की समस्या भी खड़ी हो जाती है। हालांकि, इस समस्या और ग्रामीणों द्वारा की जा रही सुरक्षा व्यवस्था पर कोई प्रशासनिक अधिकारी बोलने को तैयार नहीं। मगर, यह सच है कि रेगिस्तानी इलाकों में प्रशासनिक लापरवाही और उपेक्षा के चलते ग्रामीणों को पानी की सुरक्षा के लिए पहल करनी पडी । यह है भारत के लोकतंत्र का नजारा। बाड़मेर जिले के गांवों में पानी की समस्या कोई नई बात नहीं है। मगर, प्रशासनिक लापरवाही के चलते हालात इतने विकट होंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था।
पाकिस्तान की सरहद से सटे राजस्थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में तापमान बढ़ने के साथ-साथ पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। सरहदी गांवों में ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। पानी की विकट समस्या के कारण गांवों में पलायन की स्थिति बन गई है। गांवों में पारंपरिक पेयजल स्रोत सूख गए हैं। लगातार छठे साल पड़े अकाल के कारण पारंपरिक कुएं, तालाब, बावडि़यों, बेरियों तथा टांकों का पानी सूख चुका है। हालात ये हैं कि जिले के लगभग 860 गांव पेयजल की किसी योजना से जुड़े नहीं हैं। इन कमीशंड, नॉन कमीशंड गांवों में प्रशासन द्वारा पानी के टेंकरों की व्यवस्था की गई है, मगर, यह महज खानापूर्ति तक ही सीमित है। गांवों में टैंकर पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। ऐसे में गांवों में लोगों ने पानी पर पहरेदारी शुरू कर दी है।
जिले के सीमावर्ती क्षेत्र चौहटन के विषम भोगोलिक परिस्थितियों में बसे गफनों के 1३ गांवों में पेयजल सबसे बडी त्रासदी है। इन 13 गांवों- रमजान की गफन, आरबी की गफन, तमाची की गफन, भोजारिया, भीलों का तला, मेघवालों का तला, रेगिस्तानी धोरों के बीच बसे हुए हैं। इन गांवों में पहुंचने के लिए कोई रास्ता तक नहीं है। ऐसे में ग्रामीण अपनी छोटी-छोटी पानी की बेरियों पर ताले लगा कर रखते हैं। तालों के साये में पानी रखना यहां की परम्परा और जरूरत है। इन गांवों के लोग पानी की एक-एक बूंद की कीमत और उपयोगिता जानते हैं।
पानी के कारण गांवों में होने वाले झगडों के कारण ग्रामीण मजबूरी में पानी को सुरक्षित रखने के लिए ताले लगा कर रखते हैं ताकि पानी चोरी ना हो जाए। मगर, इस बार पानी की जानलेवा किल्लत ने ग्रामीणों को पानी की सुरक्षा के लिए पहरेदारी का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया। गांव के सलाया खान निवासी तमाची की गफन ने संवाददाता को बताया कि टांकों पर ताले जड़ने के बाद भी पानी चोरी हो जाता है। पानी की समस्या इस कदर है कि ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डाल कर पानी चोरी कर ले जाते हैं। चोरों का पता लगाने का प्रयास भी किया मगर सफलता नहीं मिली, तो ग्रामीणों ने पंचायत बुलाकर निर्णय लिया कि परंपरागत रूप से बनी पानी की बेरियो पर बारी बारी पहरेदारी की जाए ,इन गाँवों में जातिगत हिसाब से मोहला वाइज़ पानी की बेरिया बनी हें।सभी बेरियो पर लोगो ने अपने अपने ताले जड़ रखे हें ,रासबानी के जुम्मा खान के अनुसार पानी की भयंकर किल्लत हें ,सरकारियो पेयजल योजनाओ से पानी सप्लाई हुए वर्षो बीत ,गए निजी टेंकरों की कीमत प्रति टेंकर हज़ार रुपये हें जिसे देने की स्थति में हम नहीं हें ,प्रशासन को कई बार लिखित और मौखिक रूप से पानी की समस्या के बारे में बता चुके हें मगर कोई समाधान नहीं निकल रहा .पानी की होदियो में पानी कभी आया ही नहीं ,जनप्रतिनिधि गूंगे बहरे हें ,
रमजान की गफन के अली मोहम्मद ने बताया की पानी की सुरक्षा की इससे बेहतर व्यवस्था नहीं हो सकती।प्रत्येक परिवार अपनी बेरी के साथ अन्य बेरियो की पहरेदारी करता हें ताकि पानी चोरी ना हो . उन्होंने बताया कि चालीस किलोमीटर के दायरे में पेयजल का कोई स्रोत नहीं है। पानी का एक टैंकर टांके में डलवाते हैं, तो प्रति टैंकर एक हज़ार रूपए का खर्चा आता है। ऐसे में पानी चोरी होने से आर्थिक नुकसान के साथ पानी की समस्या भी खड़ी हो जाती है। हालांकि, इस समस्या और ग्रामीणों द्वारा की जा रही सुरक्षा व्यवस्था पर कोई प्रशासनिक अधिकारी बोलने को तैयार नहीं। मगर, यह सच है कि रेगिस्तानी इलाकों में प्रशासनिक लापरवाही और उपेक्षा के चलते ग्रामीणों को पानी की सुरक्षा के लिए पहल करनी पडी । यह है भारत के लोकतंत्र का नजारा। बाड़मेर जिले के गांवों में पानी की समस्या कोई नई बात नहीं है। मगर, प्रशासनिक लापरवाही के चलते हालात इतने विकट होंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था।
लेबल:photo
तालों में कैद,
पानी चोरी,
बाड़मेर,
हलक सूख गए
सदस्यता लें
संदेश (Atom)