मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

जयपुर। पंचायतों में महिलाओं को दोबारा उसी सीट से चुनाव लड़ने का प्रावधान होगा, लॉटरी सिस्टम बदलेगा

जयपुर। पंचायतों में महिलाओं को दोबारा उसी सीट से चुनाव लड़ने का प्रावधान होगा, लॉटरी सिस्टम बदलेगा


— केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने की घोषणा
— महिला दुबारा उसी सीट से लड़ सकेगी, बजट सत्र में संशोधन बिल लाया जा रहा
— हर पंचायत का वार्षिक प्लान बनेगा
— 28 फरवरी को केरल से लॉन्च होगा रर्बन योजना
— रर्बन योजना में 25 से 50 हजार की आबादी के 20 गांवों के कलस्टर बनेंगे
— रर्बन कलस्टर के गावों में शहरों के समान सुविधाएं विकसित की जाएंगी
— तीन साल में 300 कलस्टर बनेंगे, इस साल 100 कलस्टर
— नरेगा को पहले राष्ट्रीय शर्म और अब राष्ट्रीय गौरव बताने के फर्स्ट इंडिया के सवाल पर कहा
— एनडीए सरकार ने नरेगा की कमियों को दूर किया, 60 फीसदी किसानों का काम करने का प्रावधान किया
— राजस्थान सरकार को ग्रामीण पेयजल योजनाओं में पूरा सहयोग करेगा केंद्र



जयपुर। पंचायतीराज संस्थाओं में अच्छा प्रदर्शन करने वाली महिला जनप्रतिनिधियों को अब दुबारा उसी सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। इसके लिए लॉटरी व्यवस्था के प्रावधान में बदलाव होगा। केंद्र सरकार बजट सत्र में पंचायतीराज काननू में संशोधन का बिल लेकर आ रही है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने एडीटर्स कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की। चौधरी वीरेंद्र ने कहा कि हर पचांयत का वार्षिक प्लान बनेगा। 28 फरवरी से केरल से रर्बन योजना लॉन्च होगी, इस योजना के तहत 25 से 50 हजार की आबादी वाले 20 गावों को मिलाकर एक कलस्टर बनाया जाएगा। कलस्टर में शामिल गांवों में शहरोंं के समान सुविधाएं, इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार के साधन विकसित किए जाएंगे।

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पीएम मोदी ने राज में आते ही जिस नरेगा को यूपीए सरकार की राष्ट्रीय शर्म करार दिया आज वही सरकार इसे राष्ट्रीय गौरव बता रही है। फर्स्ट इंडिया संवाददाता ने चौधरी वीरेंद्र से नरेगा के प्रति सरकार के रुख में बदलाव पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने नरेगा के खड्डों को भरने का काम किया है। नरेगा की जो कमियां थीं उनमें सुधार किया है। नरेगा में किसानों के काम हो सकने का प्रावधान किया है। नरेगा में भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए डाइरेक्ट फंड ट्रासफर का प्रावधान किया है।

जयपुर। अवाप्त भूमि का बाजार भाव से मुआवजा देने के आदेश

जयपुर।  अवाप्त भूमि का बाजार भाव से मुआवजा देने के आदेश

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने रिंग रोड भूमि अवाप्ति प्रकरण में 24 याचिकाकर्ता को आंशिक राहत देते हुए शेष 62 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि इन 24 याचिकाकर्ताओं को जमीन का कब्जा लेने की तारीख के दिन प्रचलित बाजार दर से मुआवजा दिया जाए। अदालत ने कहा कि प्रभावित यदि 27 अक्टूबर 2005 के परिपत्र के अनुसार 25 फीसदी विकसित भूमि लेना चाहते हैं तो पन्द्रह दिन में इसका विकल्प पेश कर दें। न्यायाधीश बेला एम. त्रिवेदी की एकलपीठ ने यह आदेश वीरेन्द्रसिंह कटेवा व 85 अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। 24 याचिकाकर्ता उस श्रेणी में हैं जिनका अवार्ड 1 जनवरी 2009 से पहले जारी हो गया था, लेकिन भूमि का कब्जा नए भूमि अवाप्ति कानून के बाद लिया गया।

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अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार प्राजेक्ट को पूरा करने के लिए करोडों रुपए के कॉन्ट्रेक्ट कर चुकी है और भूमि का कब्जा लेकर मुआवजा भी जारी हो चुका है। रिंग रोड प्रोजेक्ट का उद्देश्य जनहितकारी है। ऐसे में अवाप्ति प्रक्रिया को समाप्त करना उचित नहीं है।
प्रकरण के अनुसार अदालत में पूर्व में 34 याचिकाएं दायर हुई थी। जिस पर एकलपीठ ने 24 सितंबर 2014 को राहत देने से इंकार कर दिया था। वहीं 29 अक्टूबर 2014 को खंडपीठ ने प्रकरण में यथा स्थिति बनाए रखते हुए मामला एकलपीठ में भेजा था। इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय से एसएलपी भी खारिज हो गई थी।



गौरतलब है कि रिंग रोड के लिए 15 जुलाई 2005 को भूमि अवाप्ति की अधिसूचना जारी हुई थी। आगरा रोड से अजमेर रोड तक इस योजना में 47 गांवों की 1578.95 हैक्टेयर भूमि आ रही है। याचिकाओं में कहा गया था कि रिंग रोड के लिए 90 मीटर चौडी सड़क प्रस्तावित है, लेकिन किसानों से 360 मीटर चौडाई में भूमि अवाप्त की जा रही है। वहीं नए भूमि अवाप्ति कानून के तहत यदि पांच साल पूर्व अवार्ड होने के बाद आगे की कार्रवाई नहीं की गई तो अवाप्ति अवैध हो जाती है।