रविवार, 6 जनवरी 2013

छेड़छाड़ में 18 घंटे में एक और चालान पेश

छेड़छाड़ में 18 घंटे में एक और चालान पेश

जोधपुर। रेलवे स्टेशन रोड पर राह चलती युवती को अश्लील इशारे कर छेड़छाड़ करने के मामले में उदयमंदिर थाना पुलिस ने मात्र अठारह घंटे में जांच कर आरोपित युवक के खिलाफ शनिवार को कोर्ट में चालान पेश कर दिया। कोर्ट ने गिरफ्तार युवक को जमानत पर रिहा कर दिया। पुलिस ने छेड़छाड़ के दो अलग-अलग मामलों में गत दो दिन में मात्र बीस घंटे के भीतर चालान पेश करने की यह दूसरी मिसाल पेश की है।उप निरीक्षक सुमेर सिंह के अनुसार शुक्रवार देर रात रेलवे स्टेशन रोड पर मोटरसाइकिल का टायर पंक्चर होने के कारण पिता के साथ पैदल जा रही दो युवतियों को अंधेरे में खड़े एक युवक ने अश्लील इशारे किए।

पिता के टोकने पर शराब के नशे में युवक झगड़े पर उतारू हो गया। बाद में पुलिस ने छेड़छाड़ का मामला दर्ज कर आरोपित युवक मोहन नगर ए बीजेएस निवासी गजेन्द्र सिंह पुत्र सुमेरसिंह राठौड़ को गिरफ्तार किया। जांच अधिकारी सुमेरसिंह ने अटारह घंटे के अंदर मामले की जांच पूरी कर शनिवार अपराह्न चार बजे महानगर मजिस्ट्रेट संख्या-3 में आरोपित के साथ-साथ चार्जशीट भी पेश की। अदालत ने आरोपित को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए।

त्वरित जांच का दूसरा मामला: ब्यावर से जोधपुर आ रही रोडवेज की वोल्वो बस में महिला यात्री से छेड़छाड़ करने के मामले में गुरूवार शाम अहमदाबाद निवासी जायद कुरैशी को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में भी एसआई सुमेरसिंह ने मात्र बीस घंटे में मामले की जांच पूरी कर शुक्रवार को आरोपित के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी।

आईएएस अफसर ने मांगी रिश्वत में महिला

आईएएस अफसर ने मांगी रिश्वत में महिला

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मानक अग्रवाल ने शनिवार को आरोप लगाया है कि आईएएस अफसर आशीष उपाध्याय ने रिश्वत में पांच लाख रूपए और महिला उपलब्ध कराने की मांग की थी। यह मांग उन्होंने गुना जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग के संयोजक एलआर मीणा से पिछले साल 5 जनवरी को की थी।

अग्रवाल ने 25 अक्टूबर 2012 को अवर सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग कमला अजीतवार के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आदेश में कहा गया है कि एलआर मीणा ने विभाग को दिए लिखित कथन में कहा कि आयुक्त आदिवासी विकास आशीष उपाध्याय ने 5 जनवरी 2012 को शिवपुरी में उनसे पांच लाख रूपए और महिला उपलब्ध कराने की मांग की थी, जिसकी पूर्ति नहीं होने पर उनके द्वारा मीणा का स्थानांतरण और निलंबन करवाया गया। झूठी शिकायत बनाकर जाति प्रमाण-पत्र की जांच करवाई गई।

कांग्रेस ने आदेश की प्रति भी मीडिया को दी। इस मामले में अग्रवाल ने कहा कि इतना संगीन आरोप लगने के बाद भी सरकार ने उपाध्याय की जांच नहीं करवाई, जबकि ऎसे मामलों में अधिकारियों को बर्खास्त करने की कार्रवाई की जानी चाहिए थी। उधर, आशीष उपाध्याय ने कहा कि एलआर मीणा के खिलाफ चार जांचें विभाग में चल रही हैं। मीणा के जाति पमाण पत्र की भी जांच लंबित है। इन जांचों के चलते ही उन्होंने निराधार आरोप लगाए हैं।

उपाध्याय ने लिखा सीएस को पत्र
आशीष उपाध्याय ने अपनी सफाई में सीएस को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मीणा द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं। उपाध्याय ने पत्र में लिखा है कि मीणा की हर पदस्थापना के दौरान मुख्यालय को उनकी अनियमितताओं और कदाचरण की शिकायतें मिलती रही हैं। अनुसूचित जनजाति विकास निगम ने सिर्फ मीणा के कथनों के आधार पर एक पक्षीय आदेश जारी किया है।