बरामद नमूने जांच को एफएसएल भेजे
बाड़मेर के निम्बला साजीतड़ा में तीन चिंकारों के शिकार के बाद मांस पकाते पकड़े गए पांच आरोपी सैन्यकर्मी दूसरे दिन सोमवार को भी वन विभाग में पेश नहीं किए जा सके। क्षेत्र के उपवन संरक्षक बीआर भादू ने लेफ्टिनेंट कर्नल बीएस चंदेल को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा-50 के तहत समन जारी कर मंगलवार सुबह 10 बजे तक आरोपियों को पेश करने के लिए पाबंद किया है।
उधर सेना ने भी कोर्ट ऑफ इन्क्वारी के तहत दूसरी बार उपवन संरक्षक भादू को समन भेजकर शिकार मामले में एकत्रित सभी साक्ष्य, प्रपत्र, प्रथम सूचना रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट, सीजर मेमो तथा मौका पंचनामा मांगा है। लिखित जवाब में उपवन संरक्षक ने कहा कि शिकार प्रकरण की जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट सीधे न्यायालय में पेश कर दी जाएगी। इस बीच सोमवार शाम 4 बजे सेना अधिकारी अतुल्य बामजाई बिग्रेडियर के साथ उपवन संरक्षक कार्यालय पहुंचे। सैन्य अधिकारियों ने वन विभाग की जांच में पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया।
वनविभाग ने 25 नवम्बर को सैन्य युद्धभ्यास के दौरान इलेक्ट्रिकल मेकेनिकल इंजीनियरिंग विंग के 88 आम्र्ड आर्टलरी वर्कशाप यूनिट में बरामद तीन चिंकारों के सिरों के एकत्रित अलग-अलग विसरा, मामले में प्रयुक्त जिप्सी से मिला खून, बाल, मांस रखने के लिए प्रयुक्त रक्त से सने हुए पात्रों के सैम्पल मंडोर स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिए हैं।
आर्मी एक्ट में सख्त सजा का प्रावधान
इस बारे में सेना प्रवक्ता एस.डी. गोस्वामी का कहना है कि आर्मी एक्ट के तहत दोषी पाए जाने पर सात साल से भी कड़ी सजा का प्रावधान है। आर्मी एक्ट की धारा 69 के तहत हत्या व बलात्कार जैसे संगीन अपराध को छोड़ किसी भी प्रकरण को टेक ओवर कर सकती है। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी डीएफओ के बयान के अभाव में अटकी हुई है। इसमें दोषी पाए जाने पर सेना तुरन्त ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
आरोपी मिलिट्री कस्टडी में
संभागीय आयुक्त रमेश कुमार जैन की अध्यक्षता में उनके कक्ष में सोमवार को जोधपुर में थल सेना एवं वन विभाग के उच्च अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें सैन्य अधिकारियों ने बताया कि घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की जा रही है। आरोपियों को कस्टडी में ले लिया है। इधर, वन अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने भी आरोपियों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की गई है। बैठक में सेना के उच्चाधिकारियों के अलावा मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) सहित सेना के उच्च अधिकारी उपस्थित थे।
बाड़मेर के निम्बला साजीतड़ा में तीन चिंकारों के शिकार के बाद मांस पकाते पकड़े गए पांच आरोपी सैन्यकर्मी दूसरे दिन सोमवार को भी वन विभाग में पेश नहीं किए जा सके। क्षेत्र के उपवन संरक्षक बीआर भादू ने लेफ्टिनेंट कर्नल बीएस चंदेल को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा-50 के तहत समन जारी कर मंगलवार सुबह 10 बजे तक आरोपियों को पेश करने के लिए पाबंद किया है।
उधर सेना ने भी कोर्ट ऑफ इन्क्वारी के तहत दूसरी बार उपवन संरक्षक भादू को समन भेजकर शिकार मामले में एकत्रित सभी साक्ष्य, प्रपत्र, प्रथम सूचना रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट, सीजर मेमो तथा मौका पंचनामा मांगा है। लिखित जवाब में उपवन संरक्षक ने कहा कि शिकार प्रकरण की जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट सीधे न्यायालय में पेश कर दी जाएगी। इस बीच सोमवार शाम 4 बजे सेना अधिकारी अतुल्य बामजाई बिग्रेडियर के साथ उपवन संरक्षक कार्यालय पहुंचे। सैन्य अधिकारियों ने वन विभाग की जांच में पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया।
वनविभाग ने 25 नवम्बर को सैन्य युद्धभ्यास के दौरान इलेक्ट्रिकल मेकेनिकल इंजीनियरिंग विंग के 88 आम्र्ड आर्टलरी वर्कशाप यूनिट में बरामद तीन चिंकारों के सिरों के एकत्रित अलग-अलग विसरा, मामले में प्रयुक्त जिप्सी से मिला खून, बाल, मांस रखने के लिए प्रयुक्त रक्त से सने हुए पात्रों के सैम्पल मंडोर स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिए हैं।
आर्मी एक्ट में सख्त सजा का प्रावधान
इस बारे में सेना प्रवक्ता एस.डी. गोस्वामी का कहना है कि आर्मी एक्ट के तहत दोषी पाए जाने पर सात साल से भी कड़ी सजा का प्रावधान है। आर्मी एक्ट की धारा 69 के तहत हत्या व बलात्कार जैसे संगीन अपराध को छोड़ किसी भी प्रकरण को टेक ओवर कर सकती है। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी डीएफओ के बयान के अभाव में अटकी हुई है। इसमें दोषी पाए जाने पर सेना तुरन्त ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
आरोपी मिलिट्री कस्टडी में
संभागीय आयुक्त रमेश कुमार जैन की अध्यक्षता में उनके कक्ष में सोमवार को जोधपुर में थल सेना एवं वन विभाग के उच्च अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें सैन्य अधिकारियों ने बताया कि घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की जा रही है। आरोपियों को कस्टडी में ले लिया है। इधर, वन अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने भी आरोपियों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की गई है। बैठक में सेना के उच्चाधिकारियों के अलावा मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) सहित सेना के उच्च अधिकारी उपस्थित थे।