शुक्रवार, 24 जनवरी 2020




जैसलमेर कुलधरा में अब नहीं हो सकेगी वाणिज्यिक गतिविधियां


जैसलमेर पुरा सम्पदा और ऐतिहासिक कुलधरा गांव में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चल रहे कार्यों को लेकर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस संबंध में सुनीला पालीवाल ने हाईकोर्ट जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने एएसआई की कमेटी गठित कर रिपोर्ट भी मांगी और उसके आधार पर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती व पुष्पेंद्रसिंह भाटी की बैंच ने इस मामले में राजस्थान पुरातत्व विभाग को निर्देश जारी किए हैं। जिसमें मुख्य रूप से कुलधरा ऐतिहासिक स्थल पर वाणिज्यिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है। कोर्ट ने कहा कि मॉन्युमेंट एरिया में किसी भी तरह की वाणिज्यिक गतिविधियां नहीं हो। यदि वहां इस तरह की गतिविधि करनी है तो बायीं तरफ खाली जमीन पर की जाए।

गौरतलब है कि 2015 में राज्य सरकार ने जिंदल स्टील के साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत कुलधरा के विकास कार्य शुरू किए थे। जिसके तहत वहां मॉडल हाउस, केफेटेरिया, गार्ड रूप आदि बनाए गए हैं। कोर्ट ने मॉडल हाउस की सराहना करते हुए उसे उचित ठहराया है। शेष कार्यों को लेकर एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर आपत्ति जताई है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में पुरातत्व विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे एंट्री फीस तय करने के साथ साथ अन्य शुल्क भी तय करें और इससे होने वाली आय को कुलधरा के विकास पर ही लगाए। गौरतलब है कि वर्तमान में जैसलमेर विकास समिति यहां पर प्रवेश शुल्क लेने के साथ साथ फिल्म शूटिंग आदि से शुल्क ले रही है। जिसका उपयोग कुलधरा में नहीं हो रहा है। कोर्ट ने अब पुरातत्व विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। ऐसे में अब जैसलमेर विकास समिति कुलधरा में किसी भी तरह का शुल्क नहीं ले सकेगी। कुलधरा में हुए विकास कार्यों के तहत 5 गार्ड रूम भी बनाए गए हैं। कोर्ट ने एएसअाई की रिपोर्ट के आधार पर इन गार्ड रूम को गैर जरूरी बताया।

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