शनिवार, 23 नवंबर 2019

बाड़मेर के बाछड़ाऊ गांव के 30 वर्षीय लाल पीराराम शहीद

बाड़मेर के बाछड़ाऊ गांव के 30 वर्षीय लाल पीराराम शहीद 



जम्मू-कश्मीर के तंगधार इलाके में तैनात बाड़मेर के बाछड़ाऊ गांव के 30 वर्षीय लाल पीराराम शहीद हो गए। 8 जाट रेजिमेंट में तैनात पीराराम ने वर्ष 2010 में सेना ज्वाइन की थी और फिलहाल कश्मीर के तंगधार में एलओसी पर पोस्टिंग थी। पिछले एक माह से तंगधार सहित उत्तरी ग्लेशियर इलाके में जबरदस्त बर्फबारी हो रही है। बताया जा रहा है कि इस दौरान भारी हिमस्खलन से पीराराम शहीद हो गए। हालांकि इसको लेकर विभागीय स्तर पर कोई पुष्टि नहीं हुई है। परिजनों का कहना है कि शनिवार शाम या रविवार सुबह तक शहीद की पार्थिव देह बाड़मेर पहुंचेगी।

एक ओर जहां पूरा देश चैन की नींद सोता है, वहीं दूसरी ओर भारतीय सेना के जवान सियाचिन, ग्लेशियर जैसी खतरनाक बर्फीले पहाड़ों की जगहों पर मुश्तैदी से तैनात हैं। पारा माइनस 20 से 40 डिग्री से कम है। बाड़मेर के बाछड़ाऊ निवासी 30 वर्षीय जांबाज भी देश की रक्षा करते हुए तंगधार में शहीद हो गए। हालांकि पीराराम के परिजनों को शुक्रवार रात तक यह सूचना नहीं थी कि हंसते-हंसते घर से विदा किया लाल अब इस दुनिया में नहीं है। माता-पिता, पत्नी और बच्चों को अन्य रिश्तेदारों ने शहीद होने की सूचना नहीं दी है। बाड़मेर के बाछड़ाऊ गांव के पीराराम पुत्र बगताराम थोरी (30) 8 जाट रेजिमेंट बरेली से है। फिलहाल दो साल से तंगधार जम्मू-कश्मीर के तंगधार इलाके में ड्यूटी थी।

चार भाइयों में दो सेना में, आठ साल पहले सेना में भर्ती हुए थे पीराराम

2010 में पीराराम ने देश रक्षा के लिए सेना में नौकरी प्राप्त की। 2011 में पीराराम की शादी हो गई। दो बच्चे हैं, इनके नाम मनोज व पौरुष है। पीराराम ने 12 वीं तक की शिक्षा राउमावि. सनावड़ा से 2008 में की थी। पीराराम की शादी हीराराम पुत्र चीमाराम जाखड़ की पुत्री भंवरी के साथ हुई थी। भंवरी 10वीं पास है और फिलहाल गृहिणी है। पीराराम के पिता बगताराम रिटायर्ड बैंक कर्मचारी है। पीराराम समेत कुल चार भाई है। बड़ा भाई हनुमान भी सेना में भी है।
: बर्फ में ऐसे ड्यूटी करते हैं हमारे देश के जाबांज
बर्फीले इलाकों में हजारों जवान शारीरिक, मानसिक यातनाओं को झेलते हुए डटे रहकर देश की सुरक्षा करते हैं। सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात जवान विकट परिस्थितियों में अपना फर्ज निभाते हैं। माइनस के तापमान में जहां ऑक्सीजन भी ठीक से नहीं मिलती है ऐसी विषम परिस्थितियों में जवान यहां तैनात हैं। सियाचिन में जवानों को नहाने के लिए 90 दिनों का इंतजार करना पड़ता है। इस ग्लेशियर के एक तरफ चीन है और दूसरी तरफ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर है। यहां तीन हजार जवान हर समय तैनात रहे हैं, जिन पर हर दिन 5 करोड़ रुपए खर्च होते हैं।
कारगिल के बाद बाड़मेर के ये जवान शहीद
तारीख शहीद गांव
15 मई 1999 भीखाराम पतासर
31 जनवरी 2000 पहाड़सिंह बसरा
31 जुलाई 2000 उगमसिंह ढूंढा
16 अक्टूबर 2000 भंवरसिंह मेवानगर
3 सितंबर 2006 खेताराम उण्डू काश्मीर
25 मई 2015 धर्माराम तारातरा
8 नवंबर 2016 प्रेमसिंह बायतु
22 नवंबर 2019 पीराराम बाछड़ाऊ

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