*बाडमेर न उन्होंने किया ,न ये करना चाहते है,एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ेंगे पांच साल तक*
*सरहदी जिलो में पेयजल को लेकर मारामारी,लोग तनाव में*
*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक के लिए चन्दन सिंह भाटी*
सरहदी जिले बाडमेर जेसलमेर की आग उगलती धरती ने ग्रामीणों को पेशोपेश में डाल दिया।।ग्रामीण लम्बे समय से पेयजल समस्या को लेकर तनाव में है।।सरकार किसी की आये जनता की समस्या पर कोई कार्य करने के पक्ष में नही है।।पिछली सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में एक भी पेयजल योजना इन दो जिलो में नही दी।।उल्टा पुरानी चार बड़ी परियोजनाओं के बजट और रोक दिए।।साथ ही परंपरागत पेयजल स्रोतों को लेकर कोई कार्य नही हुआ।नरेगा के तहत नाड़ी खुदाई के कार्यो पर भी पूर्णरूप से अघोषित प्रतिबंध सा था।।नर्मदा नहर और इंदिरा गांधी नहर योजना पर कोई कार्य नही हुआ।।नर्मदा नहर के लिए मामला टेंडर से आगे नही बढ़ा।।जनप्रतिनिधियों ने पांच साल जनता को टेंडर निकल गए बता बता कर बेवकूफ बनाते गए।।इस साल हालात कठिनतम हो गए।जनवरी माह से पेयजल समस्या मुंह फाड़े थी।मगर जिम्मेदारों ने ध्यान नही दिया।पहले विधानसभा चुनाव फिर लोकसभा चुनाव।।ब्यूरोक्रेसी और नेता इसी में उलझे रहे।अब मुक्त हुए तो आपसी झगड़ो में उलझ गए।।अब विपक्ष में बैठी भाजपा वर्तमान सरकार पर हमला बोल रही।।कांग्रेस सरकार भी अपने गठन के छह माह में कुछ नही कर पाई।।पेयजल की समस्या इतिनि विकराल है कि आने वाले समय मे इस सरहदी क्षेत्रो में आत्महत्याए हो जाये तो कोई बड़ी बात नही होगी।पेयजल योजनाओं को लेकर सरकार,प्रशासन और जलदाय विभाग के पास कोई ठोस कार्ययोजना नही है।।जनता को आज़ादी के सत्तर साल बाद भी पीने के पानी के लिए जंग लड़नी पड़ रही।।आज भी ग्रामीण पेयजल स्रोतों पर ताले लगाते है ताकि पानी चोरी न हो।इतना ही नही महिलाएं बच्चे आज भी दस बारह किलोमीटर पैदल चल पेयजल परिवहन कर लाती है पशुधन अकाल की भेंट चढ़ रहे।।जब इंसान को पानी नही मिल रहा तो पशुधन की चिंता कौन करे।।प्रशासन पेयजल के टैंकर भेज अपने फर्ज की इति श्री कर लेते है ये टैंकर कहाँ खाली होते है कहने की जरूरत नही।।अब सत्तासीन जन प्रायिनिधियो को नया जुमला मिल गया।ग्रामीण पानी बिजली मांगते है तो जन प्रतिनिधि सीधे सीधे नरेंद्र मोदी से बात करने को कह देते है।।राजनीति में वोट जरूरी है इसको सरंक्षित रखना भी मगर देश के संविधान ने जनता को बिजली पानी सड़क जैसी मूलभूत सुविधाते उसके अधिकार में दिए है ।जनता को उनका अधिकार कब मिलेगा यह कोई नही बता सकता।।पानी पानी करते कई लोग जीवन लीला छोड़ बसे उनकी जिन्दगि में पेयजल का सपना साकार नही हुआ अब भी नही लगता कि यह सपना सरहद वासियो का पूरा होगा।।पचास डिग्री तापमान में जनता को पेयजल की किस हद तक जरूरत है यह कोई समझने को तैयार नही।।जन प्रतिनिधियों को आरोप प्रत्यारोप छोड़ जनहित में पेयजल योजनाओं को क्रियान्वित करवा बजट आवंटन करा जनता को राहत देने की पहल करनी चाहिए।।पानी,मीठा पानी से सत्तर साल राजनीतिज्ञ चुनाव लड़ते और जीतते हारते आये मगर इस मूल समस्या का समाधान शायद किसी के पास नही।।
*सरहदी जिलो में पेयजल को लेकर मारामारी,लोग तनाव में*
*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक के लिए चन्दन सिंह भाटी*
सरहदी जिले बाडमेर जेसलमेर की आग उगलती धरती ने ग्रामीणों को पेशोपेश में डाल दिया।।ग्रामीण लम्बे समय से पेयजल समस्या को लेकर तनाव में है।।सरकार किसी की आये जनता की समस्या पर कोई कार्य करने के पक्ष में नही है।।पिछली सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में एक भी पेयजल योजना इन दो जिलो में नही दी।।उल्टा पुरानी चार बड़ी परियोजनाओं के बजट और रोक दिए।।साथ ही परंपरागत पेयजल स्रोतों को लेकर कोई कार्य नही हुआ।नरेगा के तहत नाड़ी खुदाई के कार्यो पर भी पूर्णरूप से अघोषित प्रतिबंध सा था।।नर्मदा नहर और इंदिरा गांधी नहर योजना पर कोई कार्य नही हुआ।।नर्मदा नहर के लिए मामला टेंडर से आगे नही बढ़ा।।जनप्रतिनिधियों ने पांच साल जनता को टेंडर निकल गए बता बता कर बेवकूफ बनाते गए।।इस साल हालात कठिनतम हो गए।जनवरी माह से पेयजल समस्या मुंह फाड़े थी।मगर जिम्मेदारों ने ध्यान नही दिया।पहले विधानसभा चुनाव फिर लोकसभा चुनाव।।ब्यूरोक्रेसी और नेता इसी में उलझे रहे।अब मुक्त हुए तो आपसी झगड़ो में उलझ गए।।अब विपक्ष में बैठी भाजपा वर्तमान सरकार पर हमला बोल रही।।कांग्रेस सरकार भी अपने गठन के छह माह में कुछ नही कर पाई।।पेयजल की समस्या इतिनि विकराल है कि आने वाले समय मे इस सरहदी क्षेत्रो में आत्महत्याए हो जाये तो कोई बड़ी बात नही होगी।पेयजल योजनाओं को लेकर सरकार,प्रशासन और जलदाय विभाग के पास कोई ठोस कार्ययोजना नही है।।जनता को आज़ादी के सत्तर साल बाद भी पीने के पानी के लिए जंग लड़नी पड़ रही।।आज भी ग्रामीण पेयजल स्रोतों पर ताले लगाते है ताकि पानी चोरी न हो।इतना ही नही महिलाएं बच्चे आज भी दस बारह किलोमीटर पैदल चल पेयजल परिवहन कर लाती है पशुधन अकाल की भेंट चढ़ रहे।।जब इंसान को पानी नही मिल रहा तो पशुधन की चिंता कौन करे।।प्रशासन पेयजल के टैंकर भेज अपने फर्ज की इति श्री कर लेते है ये टैंकर कहाँ खाली होते है कहने की जरूरत नही।।अब सत्तासीन जन प्रायिनिधियो को नया जुमला मिल गया।ग्रामीण पानी बिजली मांगते है तो जन प्रतिनिधि सीधे सीधे नरेंद्र मोदी से बात करने को कह देते है।।राजनीति में वोट जरूरी है इसको सरंक्षित रखना भी मगर देश के संविधान ने जनता को बिजली पानी सड़क जैसी मूलभूत सुविधाते उसके अधिकार में दिए है ।जनता को उनका अधिकार कब मिलेगा यह कोई नही बता सकता।।पानी पानी करते कई लोग जीवन लीला छोड़ बसे उनकी जिन्दगि में पेयजल का सपना साकार नही हुआ अब भी नही लगता कि यह सपना सरहद वासियो का पूरा होगा।।पचास डिग्री तापमान में जनता को पेयजल की किस हद तक जरूरत है यह कोई समझने को तैयार नही।।जन प्रतिनिधियों को आरोप प्रत्यारोप छोड़ जनहित में पेयजल योजनाओं को क्रियान्वित करवा बजट आवंटन करा जनता को राहत देने की पहल करनी चाहिए।।पानी,मीठा पानी से सत्तर साल राजनीतिज्ञ चुनाव लड़ते और जीतते हारते आये मगर इस मूल समस्या का समाधान शायद किसी के पास नही।।
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