रविवार, 16 जून 2019

अलवर ,मासूम से दुष्कर्म का आरोप सिद्ध होने पर मामा को हुई आजीवन कारावास की सजा

 अलवर ,मासूम से दुष्कर्म का आरोप सिद्ध होने पर मामा को हुई आजीवन कारावास की सजा
मासूम से दुष्कर्म का आरोप सिद्ध होने पर मामा को हुई आजीवन कारावास की सजा
अलवर के भिवाडी में एक 6 साल की मासूम से सगे मामा द्वारा दुष्कर्म किये जाने के मामले में पॉक्सो कोर्ट नम्बर 4 की न्यायाधीश अलका शर्मा ने आरोपी मामा को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. आरोपी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. अपर लोक अभियोजक सतेंद्र चौधरी ने बताया कि भिवाडी में सगे मामा ने दुष्कर्म किया था. इस मामले में आज कोर्ट ने धारा 376(A),(B) 5(M)/ 6 , 5 (आई) 6 पॉक्सो एक्ट में आरोपी को दोषी मानते हुए उसे उम्र कैद की सजा सुनाई है. अब दोषी को अपना शेष जीवन जेल में ही बिताना पड़ेगा.

प्रत्यक्षदर्शी ने कराई थी रिपोर्ट दर्ज
अपर लोक अभियोजक ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शी परिवादी नितिन कौशिक ने 22 मई 2018 को भिवाड़ी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि आशियाना आर्केड के बाहर थड़ी पर जब वह दोस्तों के साथ बैठा था तब शाम को करीब 7 बजे 20-22 साल का एक युवक टेम्पो से 6 साल की बच्ची को लेकर आया. वह उस बच्ची को सामने बंद पड़ी फैक्ट्री में लेकर गया था. आरोपी पर उसे जब शक हुआ तब उसने आरोपी का पीछा किया. उसने बताया कि आरोपी ने नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म किया था. इसके बाद उसने आरोपी की पिटाई करते हुए उसे पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था. साथ ही उसने इस मामले की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करवाई. उसने नाबालिग को अस्पताल में भर्ती कराया. इस मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश कर दिया था.उन्होंने कहा कि इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई और बहस के बाद सभी गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर आज आरोपी को दोषी मानते हुए सजा सुना दी. पॉक्सो कोर्ट 4 की अदालत के न्यायाधीश अलका शर्मा ने आरोपी को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और 10000 का जुर्माना लगाया. इस मामले में पीड़िता के माता-पिता भी पक्ष द्रोही घोषित किए गए हैं. माता-पिता के पीड़िता के साथ खड़े नहीं होने पर कोर्ट ने चिंता जाहिर की. कोर्ट ने टिप्पणी की है कि आरोपी सगा मामा होने के बावजूद एक अबोध बालिका से जो कृत्य किया है, वह समाज के लिए घातक है. इसलिए आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. पीड़िता के माता पिता पक्षरोधी घोषित हुए हैं. इसलिए पीड़िता को प्रतिकर योजना का लाभ देने की अनुशंसा नहीं की गई.

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