*बाडमेर जिला कलेक्टर की पहली प्रभावी कार्यवाही,चिकित्सालय की अब व्यवस्था सुधरेगी*
अस्पताल में चिकित्सक अस्सी फीसदी दवाईयां बाहर की लिखते है।।चिकित्सक दो प्रकार की पर्चियां काम मे लेते है।एक पर निशुल्क दवा और दूसरी पर बाहर की दवा लिखते है।।अस्पताल में केयर्न द्वारा डॉ ,सहयोगी स्टाफ और सफाईकर्मी एक संस्था के माध्यम से लगा रखे है जिसमे भरस्टाचार चरम पर है।।संस्था द्वारा बीस फीसदी सफाईकर्म उपलब्ध नही करवा रखे।।साथ ही कई सफाईकर्मियों के फर्जी नाम चल रहे है।।अस्पताल प्रशासन की निविदाओं में अनियमितताएं है ।।प्रति वर्ष निविदाएं करवाने की बजाय प्रति वर्ष एक्सटेंड कर लेते है।।इसकी भी जांच होनी चाहिए।।जिला कलेक्टर द्वारा की गई कार्यवाही निसंदेह चिकित्सा प्रणाली मे सुधार का कार्य करेगी।।अस्पताल में उपजे नर्सिंग माफियो का राज खत्म कर उन्हें फील्ड पोस्ट दिला कर नए कार्मिक नियुक्त कर ले । अस्पताल चमन हो जाएगा।।
*जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता का बाडमेर के राजकीय चिकित्सालय का आकस्मिक निरीक्षण भले ही कोई खास खबर नही हो मगर उनके द्वारा जिस परिचारिका के खिलाफ सख्त कार्यवाही की वो खास है।।इस कार्यवाही से चिकित्सालय में माफिया बन बैठे वर्षों से जमे नर्सिंगकर्मियों में जरूर ख़ौफ़ पैदा होगा।।बाडमेर का दुर्भाग्य है कि चिकित्सालय में नियुक्त अधिकांस नर्सिंगकर्मी राजनीति प्रभाव से न केवल सालों से जमे है बल्कि चिकित्सालय की व्यवस्थाओं को भी प्रभावित करते रहे है।इन लोगो पर प्रमुख चिकित्सा अधोकारी का भी अंकुश नही है।।राजनीतिक पहुंच रखने वाले नर्सिंग कर्मियों के ड्यूटी चार्ट देख ले तो सारी पोल खुल जाएगी।।रेंडमली डे नाईट की ड्यूटियां इन्ही को सुपुर्द की जाती है।।इनकी मनमर्जी से अस्पताल चलता है।।आज तक सेकड़ो निरीक्षण कलेक्टर,मंत्री,विधायक लेवल तक हुए मगर कोई प्रभावी तो दूर साधारण नोटिस की कार्यवाही नही हुई।।अस्पताल को भरस्टाचार का अड्डा बन रखा था।इन नर्सिंगकर्मियों की तगड़ी लॉबिंग है।।कलेक्टर साब के पास निलंबित परिचारिका के समर्थन में फोन आने शुरू हो गए होंगे।कलेक्टर की यह प्रभावी कार्यवाही है इसपे कायम रहेंगे तो अस्पताल की व्यवस्थाएं स्वतः सुधर जाएगी।।
अस्पताल में चिकित्सक अस्सी फीसदी दवाईयां बाहर की लिखते है।।चिकित्सक दो प्रकार की पर्चियां काम मे लेते है।एक पर निशुल्क दवा और दूसरी पर बाहर की दवा लिखते है।।अस्पताल में केयर्न द्वारा डॉ ,सहयोगी स्टाफ और सफाईकर्मी एक संस्था के माध्यम से लगा रखे है जिसमे भरस्टाचार चरम पर है।।संस्था द्वारा बीस फीसदी सफाईकर्म उपलब्ध नही करवा रखे।।साथ ही कई सफाईकर्मियों के फर्जी नाम चल रहे है।।अस्पताल प्रशासन की निविदाओं में अनियमितताएं है ।।प्रति वर्ष निविदाएं करवाने की बजाय प्रति वर्ष एक्सटेंड कर लेते है।।इसकी भी जांच होनी चाहिए।।जिला कलेक्टर द्वारा की गई कार्यवाही निसंदेह चिकित्सा प्रणाली मे सुधार का कार्य करेगी।।अस्पताल में उपजे नर्सिंग माफियो का राज खत्म कर उन्हें फील्ड पोस्ट दिला कर नए कार्मिक नियुक्त कर ले । अस्पताल चमन हो जाएगा।।
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