जयपुर। राहुल गांधी के जयपुर दौरे से संवरी नज़र आ रही है बिखरी-बिखरी सी कांग्रेस
जयपुर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा के बाद राजनीतिक सक्रियता और प्रचार में पिछड़ने का दबाव महसूस कर रही कांग्रेस में अब उत्साह नजर आने लगा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को प्रदेश में पार्टी के चुनाव अभियान का शंखनाद किया।
राहुल गांधी के दौरे से प्रदेश कांग्रेस को 'बूस्टअप' मिलने की उम्मीद है। यह उम्मीद इसलिए भी बढ़ी है, क्योंकि पिछले काफी समय से प्रदेश कांग्रेस में हताशा, 'मेरा बूथ मेरा गौरव' अभियान में शक्ति प्रदर्शन और फिर सीएम पद के चेहरे को लेकर उठे मतभेदों के बाद राहुल के दौरे के बहाने राज्य के सभी दिग्गज एक साथ एक सुर में है। सीएम पद के चेहरे को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच सार्वजनिक हुए मतभेदों से चिंतित कार्यकर्ताओं को शनिवार को उस समय राहत मिली जब दोनों नेता आपस में गले मिले।
राहुल गांधी के कहने पर पहले तो दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया और फिर गले मिले। उल्लेखनीय है कि गत विधानसभा चुनावों में हासिए पर चली गई कांग्रेस लगातार साढ़े चार साल तक वापस उठने का प्रयास तो करती रही, लेकिन उसे जितनी सफलता की उम्मीद थी, उतनी मिल नहीं पाई। इसकी बड़ी वजह पार्टी में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट खेमों में सही तालमेल नहीं होना रहा। इस बीच पार्टी को हल्का सा बूस्टअप उपचुनावों में मिला, जब उसने अलवर व अजमेर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा सीटें अपने पाले में कर ली। यह वह समय था जब पार्टी में उत्साह का संचार हुआ, लेकिन इसमें दबे स्वर में पार्टी में यह सुगबुगाहट जोर पकड़ गई कि इस जीत में पार्टी से ज्यादा सत्ता विरोधी लहर का योगदान रहा है।
बार-बार मायूस होता रहा कार्यकर्ता
हालांकि उप चुनाव में जीत का जोश कुछ समय ही बना रहा। उसके बाद पीसीसी की ओर से शुरू किए 'मेरा बूथ, मेरा गौरव' अभियान में पार्टी की कलह फिर खुलकर सामने आ गई। ये सम्मेलन टिकट की उम्मीद लगाए पार्टी नेताओं के लिए शक्ति प्रदर्शन के अखाड़े बन गए। इससे कार्यकर्ता एक बार फिर मायूस हुआ। यह अभियान अभी निपटा भी नहीं था कि उससे पहले ही प्रदेश कांग्रेस में सीएम फेस को लेकर विवाद गहरा गया। मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर गहलोत और पायलट खेमों से रह-रहकर विवादास्पद बयान सामने आने लगे, स्थिति यहां तक पहुंच गई कि खुद गहलोत और पायलट के शब्दों में एक दूसरे के प्रति तल्खियां जाहिर हुई ।
भाजपा की आक्रमकता से कांग्रेस कार्यकर्ता था निराश
इस बीच भाजपा प्रचार अभियान में लगातार आक्रामक होती गई। जयपुर में पीएम नरेंद्र मोदी के सफल लाभार्थी जनसंवाद कार्यक्रम और उसके बाद लगातार दो बार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दौरे से कांग्रेस कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी छटपटा उठे। इस दरम्यिान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान गौरव यात्रा में पूरे उदयपुर संभाग को नाप डाला। कांग्रेस में अंदरखाने इस बात की चर्चा रही कि...बस अब ज्यादा देरी ठीक नहीं,पार्टी प्रचार अभियान में भाजपा से पिछड़ गई।
ऐसे हालात में राहुल गांधी के दौरे ने पार्टी के लिए संजीवनी का काम किया। राहुल के दौरे से पहले बिखरी-बिखरी नजर आने वाली कांग्रेस सजी संवरी सी नजर आ रही है। राहुल गांधी के दौरे के बाद अब कार्यकर्ता को भी लग रहा है कि वह एक सही दिशा में मैदान में उतरकर प्रतिद्वंद्वी का मुकाबला कर पाएगा।
जयपुर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा के बाद राजनीतिक सक्रियता और प्रचार में पिछड़ने का दबाव महसूस कर रही कांग्रेस में अब उत्साह नजर आने लगा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को प्रदेश में पार्टी के चुनाव अभियान का शंखनाद किया।
राहुल गांधी के दौरे से प्रदेश कांग्रेस को 'बूस्टअप' मिलने की उम्मीद है। यह उम्मीद इसलिए भी बढ़ी है, क्योंकि पिछले काफी समय से प्रदेश कांग्रेस में हताशा, 'मेरा बूथ मेरा गौरव' अभियान में शक्ति प्रदर्शन और फिर सीएम पद के चेहरे को लेकर उठे मतभेदों के बाद राहुल के दौरे के बहाने राज्य के सभी दिग्गज एक साथ एक सुर में है। सीएम पद के चेहरे को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच सार्वजनिक हुए मतभेदों से चिंतित कार्यकर्ताओं को शनिवार को उस समय राहत मिली जब दोनों नेता आपस में गले मिले।
राहुल गांधी के कहने पर पहले तो दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया और फिर गले मिले। उल्लेखनीय है कि गत विधानसभा चुनावों में हासिए पर चली गई कांग्रेस लगातार साढ़े चार साल तक वापस उठने का प्रयास तो करती रही, लेकिन उसे जितनी सफलता की उम्मीद थी, उतनी मिल नहीं पाई। इसकी बड़ी वजह पार्टी में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट खेमों में सही तालमेल नहीं होना रहा। इस बीच पार्टी को हल्का सा बूस्टअप उपचुनावों में मिला, जब उसने अलवर व अजमेर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा सीटें अपने पाले में कर ली। यह वह समय था जब पार्टी में उत्साह का संचार हुआ, लेकिन इसमें दबे स्वर में पार्टी में यह सुगबुगाहट जोर पकड़ गई कि इस जीत में पार्टी से ज्यादा सत्ता विरोधी लहर का योगदान रहा है।
बार-बार मायूस होता रहा कार्यकर्ता
हालांकि उप चुनाव में जीत का जोश कुछ समय ही बना रहा। उसके बाद पीसीसी की ओर से शुरू किए 'मेरा बूथ, मेरा गौरव' अभियान में पार्टी की कलह फिर खुलकर सामने आ गई। ये सम्मेलन टिकट की उम्मीद लगाए पार्टी नेताओं के लिए शक्ति प्रदर्शन के अखाड़े बन गए। इससे कार्यकर्ता एक बार फिर मायूस हुआ। यह अभियान अभी निपटा भी नहीं था कि उससे पहले ही प्रदेश कांग्रेस में सीएम फेस को लेकर विवाद गहरा गया। मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर गहलोत और पायलट खेमों से रह-रहकर विवादास्पद बयान सामने आने लगे, स्थिति यहां तक पहुंच गई कि खुद गहलोत और पायलट के शब्दों में एक दूसरे के प्रति तल्खियां जाहिर हुई ।
भाजपा की आक्रमकता से कांग्रेस कार्यकर्ता था निराश
इस बीच भाजपा प्रचार अभियान में लगातार आक्रामक होती गई। जयपुर में पीएम नरेंद्र मोदी के सफल लाभार्थी जनसंवाद कार्यक्रम और उसके बाद लगातार दो बार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दौरे से कांग्रेस कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी छटपटा उठे। इस दरम्यिान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान गौरव यात्रा में पूरे उदयपुर संभाग को नाप डाला। कांग्रेस में अंदरखाने इस बात की चर्चा रही कि...बस अब ज्यादा देरी ठीक नहीं,पार्टी प्रचार अभियान में भाजपा से पिछड़ गई।
ऐसे हालात में राहुल गांधी के दौरे ने पार्टी के लिए संजीवनी का काम किया। राहुल के दौरे से पहले बिखरी-बिखरी नजर आने वाली कांग्रेस सजी संवरी सी नजर आ रही है। राहुल गांधी के दौरे के बाद अब कार्यकर्ता को भी लग रहा है कि वह एक सही दिशा में मैदान में उतरकर प्रतिद्वंद्वी का मुकाबला कर पाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें