खुद की अदालत लगाने वाले पंचों को ‘असली अदालत’ ने किया तलब तो बंध गई घिग्गी; हादसे के आरोपी पर लगाया था 28 लाख रु. दंड
जोधपुर.हाईकोर्ट में सिरोही की रेवदर तहसील के जीरावाला गांव के रबारी जाति के पंचाें काे तलब कर लिया गया। ये पंच गांव में खुद की अदालत लगाकर तुगलकी फरमान सुनाते हैं। शुक्रवार को इनका ‘असली अदालत’ से सामना हुआ।
मामला एक सड़क हादसे में अपनी जाति के युवक की मृत्यु हो जाने पर पंचायत बैठाकर आरोपी पर 28 लाख रुपए का जुर्माना लगाने का था। जिसकी सुनवाई के लिए ये सभी 16 पंच हाईकोर्ट में पेश हुए। सुनवाई से 20 मिनट पहले कॉरीडोर में बैठे पंच घबराए हुए थे। सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस विजय विश्नोई ने पूछा, आप में से कौन एक है, जो आगे आकर पूरी बात बता देगा। सबकी घिग्गी सी बंध गई, कोई आगे नहीं आया। जज ने एक पंच की ओर से इशारा करते हुए कहा- आप बताओ बा, उस दिन क्या हुआ था। जवाब मिला... मुझे नहीं पता। जज बोले, अरे पंचायती तो की थी, तो जवाब दिया, मैंने पंचायती नहीं की। जज ने पूछा, फिर किसने की, तो बोला- पंचायती तो ऊपर वाले ने की। यह सुनकर जज भी मुस्कुरा उठे और बोले कि यह ऑरिजनल पंच है, जो बात को कैसे घुमा देते है। फिर अपने निर्देश में उन्होंने कहा, इस तरह दंड लगाना गुनाह है, 18 सितंबर तक पैसा लौटाना होगा, वरना वसूली के आदेश दिए जाएंगे।पंचायत ने लिया था Rs.28 लाख का दंड, 16 पंच कोर्ट में पेश :शुक्रवार को जस्टिस विजय विश्नोई की बैंच के समक्ष 16 पंच हाजिर हुए। कोर्ट ने उन्हें सख्त हिदायत दी, कि जो पैसा दंड के नाम पर लिया है, वह 18 सितंबर तक चुका दें, अन्यथा उन्हें वसूली के लिए आदेश देना पड़ेगा। अगली सुनवाई 18 सितंबर को मुकर्रर की है। सिरोही जिले के रेवदर तहसील के जीरावाला गांव निवासी याचिकाकर्ता जीवाराम के वाहन से करीब दो साल पहले एक एक्सीडेंट हो गया था। जिसमें उसकी जाति के ही एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता रबारी जाति से ताल्लुक रखता है। जब यह घटना जाति के पंचों के सामने आई तो उन्होंने जाति पंचायत बुलाई आैर जीवाराम पर 28 लाख रुपए का दंड लगाया। जब तक यह राशि वसूली नहीं गई तब तक उसे बिरादरी से बाहर भी कर दिया गया। इसके अलावा समाज के 100 लोगों को हर रोज अपने घर पर भोजन कराने के लिए कहा गया।
जस्टिस विश्नोई ने मारवाड़ी भाषा में पंचों से बात की:इस संबंध में सिरोही जिले के रेवदर थाने में दर्ज मामले में निष्पक्ष कार्यवाही के लिए याचिका दायर होने पर गत 24 जुलाई को यह तथ्य हाईकोर्ट के सामने आया। कोर्ट ने सभी पंचों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। कोर्ट के समक्ष 16 पंच व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। जस्टिस विजय विश्नोई ने पंचों की ग्रामीण पृष्ठभूमि को देखते हुए उनसे मारवाड़ी में बात की। जस्टिस विश्नोई ने कहा, कि इस तरह दंड लगाकर पैसा लेना गुनाह है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तरह की पंचायती को अवैध मानते हुए रोक लगा रखी है, फिर कैसे पैसे ले लिए। क्या तुम लोगों को इस संबंध में कोई जानकारी है। कोर्ट ने कहा, कि पुलिस जांच में पुष्टि हुई है, कि पैसे तो लिए हैं। अगर पैसे लिए हैं तो उसे चुकाने की आखिरी मोहलत दी जाती है, अन्यथा आदेश करके वसूलने पड़ेंगे। याचिकाकर्ता की ओर से राजेश शाह तथा पुलिस की ओर से उप राजकीय अधिवक्ता विक्रमसिंह राजपुरोहित ने पैरवी की।
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