राजपूत समाज के खिलाफ अब पुलिस ने मोर्चा संभाला। आनंदपाल का एनकाउंटर उसके दो भाईयों और परिवार से जुड़े छह जनों के सामने हुआ।
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16 जुलाई को जयपुर में एडीजी (क्राइम) पीके सिंह ने गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर की विस्तार से जानकारी दी। सिंह ने जिस तरह से तथ्यों को रखा, उससे प्रतीत हो रहा था कि राजपूत समाज के खिलाफ अब पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया है। समाज के अनेक लोग आनंदपाल के एनकाउंटर को फर्जी बताकर सरकार की नियत पर शक कर रहे हैं, इसलिए एनकाउंटर की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग के लिए आंदोलन किया जा रहा है। चूंकि 22 जुलाई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के जयपुर आगमन पर करणी सेना ने भी राजपूतों को जयपुर आने का आह्वान किया है, इसलिए 16 जुलाई को पुलिस ने आनंदपाल से जुड़े इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। एडीजी सिंह ने महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि 24 जून को चुरू के मालासर में जब आनंदपाल से सामना हुआ, तब उसके दो भाई और परिवार से जुड़े 6 अन्य लोग भी मौजूद थे। सभी ने आनंदपाल से सरेण्डर करने की अपील की, लेकिन आनंदपाल पर अपील का कोई असर नहीं हुआ, उलटे उसने पुलिस पर ही फायरिंग शुरू कर दी। भाईयों और मौजूद परिजनों को भी पता है कि पुलिस को किन हालातों में आनंदपाल को मारना पड़ा। इसे पुलिस की रणनीति और ईश्वरीय कृपा ही कहा जाएगा कि आनंदपाल की ओर से की गई फायरिंग में पुलिस को बड़ा नुकसान नहीं हुआ। हमने सब परिजनों के बयान दर्ज किए हैं, जिनकी उपस्थिति में आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ।
लाडनू में टार्चर फार्म :
एडीजी सिंह ने बताया कि नागौर के लाडनू में आनंदपाल का टार्चर फार्म बना हुआ है। यहां फिरौती वसूलने के लिए लोगों को रखा जाता था। फिरौती नहीं मिलने पर बेरहमी से पिटाई की जाती है। नानू सिंह नाम के एक व्यक्ति को तो टुकड़े-टुकड़े कर मारा गया। सिंह ने पत्रकारों से भी आग्रह किया कि वे लाडनू जाकर आनंदपाल का टार्चर फार्म देखे। कुछ लोग आनंदपाल की उजली तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं। जबकि आनंदपाल की कोई जाति नही थी। उसकी गैंग में सभी जातियों के बदमाश शामिल थे। उसने सभी जातियों के लोगों को भी बेरहमी से मारा था। ऐसे कुख्यात अपराधी का महिमामंडन किसी भी सभ्य समाज के लिए उचित नहीं है। सिंह ने सरकार द्वारा आनंदपाल की जप्त की गई सम्पत्तियों को भी उचित बताया। अधिकांश सम्पत्ति उसके यहां काम करने वाले धर्मेन्द्र की पत्नी के नाम है। इस महिला ने पुलिस को बयान दिए हैं कि उसने कभी कोई सम्पत्ति नहीं खरीदी। जो लोग आनंदपाल को गरीबों का हमदर्द बता रहे हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि आनंदपाल के पास करोड़ों रुपए की सम्पत्तियां थी। आनंदपाल कितना खतरनाक अपराधी था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसकी गैंग के संबंध पंजाब, यूपी, हरियाणा और एमपी के कुख्यात अपराधियों से थे। सिंह ने सवाल उठाया कि यदि पुलिस का एनकाउंटर गलत था तो आनंदपाल के समर्थक अब तक कोर्ट क्यों नहीं गए? उन्होंने कहा कि पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देंशों के अनुरूप ही आनंदपाल का एनकाउंटर किया है। आनंदपाल पर सब कुल 50 मुकदमें दर्ज हैं।
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