जोधपर। राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए यूं भरी हुंकार,भाषाविद दिल्ली में करेंगे आंदोलन
जोधपुर। पंडितसूर्यकरण पारीक की जयंती पर मेहरानगढ़ स्थित महाराजा मानसिंह पुस्तक शोध प्रकाशन केंद्र में शुक्रवार को राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।गोष्ठी के मुख्य वक्ता इतिहासविद प्रो. जहूर खान मेहर थे, कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. आईदान सिंह भाटी ने की।
जोधपुर। पंडितसूर्यकरण पारीक की जयंती पर मेहरानगढ़ स्थित महाराजा मानसिंह पुस्तक शोध प्रकाशन केंद्र में शुक्रवार को राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।गोष्ठी के मुख्य वक्ता इतिहासविद प्रो. जहूर खान मेहर थे, कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. आईदान सिंह भाटी ने की।
प्रो. मेहर ने कहा कि राजस्थानी भाषा और साहित्य बहुत रिच है, इसमें परंपरा संस्कृति का जो खजाना है वह अन्य किसी भाषा में शायद उतना नहीं। इसकी मान्यता को लेकर लंबे समय से किए जा रहे प्रयासों के बावजूद इसकी मान्यता पर बार बार प्रश्नचिन्ह लग रहा है। भाषाविद ने लंबे समय तक इंतजार कर लिया अब दिल्ली में एक आरपार वाले बड़े आंदोलन की जरूरत है। आमजन के साथ जनप्रतिनिधियों की दृढ़ इच्छा शक्ति से ही इसकी मान्यता का रास्ता खुल सकता है। उन्होंने कहा कि पंडित पारीक ने राजस्थानी भाषा के लिए केवल कार्यक्रम ही नहीं बल्कि कई प्रदेशों में बड़े अधिवेशन भी आयोजित किए थे। विश्व में पंडित पारीक ही ऐसे आलोचक थे, जिन्होंने महान लेखक टॉलस्टॉय की रचनाओं की आलोचना और विवेचना कर अपने व्यक्तित्व को प्रदर्शित किया था। कार्यक्रम में अतिथियों ने पंडित पारीक द्वारा लिखित पुस्तकों और उनके योगदान पर भी चर्चा की शक्ति सिंह ने कविता पाठ प्रस्तुत किया, डॉ. मनोहर सिंह राठौड़, श्याम सुंदर भारती और राम सिंह डावरा ने पंडित सूर्यकरण पारीक के व्यक्तित्व पर चर्चा की।
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