कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना
अजमेर, 15 जून। ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट के तहत कस्टम हायरिंग केन्द्रो की स्थापना की जाकर किसानांे को कृषि यंत्रा एवं उपकरण किराए पर प्राप्त हो सकेंगे।
कृषि विभाग के उप निदेशक श्री वी.के.शर्मा ने बताया कि जिले के कृषक जो अपनी सीमित आय के कारण विभिन्न कृषि क्रियाओं के लिए आवश्यक उन्नत एवं नवीन कृषि उपकरण क्रय करने में समर्थ नहीं है। नवीन एव कृषि यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्ेश्य से कृषि विभाग द्वारा कस्टम हायरिंग केन्द्र योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके माध्यम से जिले के लघु एवं सीमांत कृषकों को कृषि कार्य के लिए आवश्यक कृषि यंत्रा उपकरण किराए पर प्राप्त हो सकेंगे।
उन्होंने बताया कि ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट ग्राम 2016 जयपुर के आयोजन के दौरान अजमेर जिले के लिए ट्रेक्टर एण्ड फार्म इक्विपमेंट लिमिटेड (टैफे) के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया था। इसके अनुसार अजमेर जिले में कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित किये जा रहे है। जो कृषक इन सेवाओं का लाभ लेना चाहते है वे टोल फ्री नम्बर 18004200100 पर डायल कर आवश्यक कृषि उपकरण के बारे में सूचना प्राप्त कर सकते है। इसके साथ-साथ एक मोबाइल एप जेफाॅर्म सर्विसेस आरम्भ किया गया है। जिसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर अपनी मांग अनुसार कृषि उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है।
बिजली नहीं होने पर भी सिंचाई संभव
अजमेर, 15 जून। सिलोरा पंचायत समिति के कुचील गांव के निवासी कृषक श्री किशोर कुमार मांलाकार पुत्रा श्री मोती गढ़वाल के ट्यूबवैल में पानी की कमी के कारण फसलों की सिंचाई सही रूप में नहीं हो पाती थी जिससे कृषक को काफी परेशानी आती थी। कृषक ने कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर आइकेवीवाई योजना मेें जल हौज पर 60 हजार रूपए का अनुदान प्राप्त कर 30 फिट लम्बा 20 फिट चैड़ा एवं 6 फिट गहरा जल हौज निर्माण करवाया। अब कृषक रात में बिजली आपूर्ती होने पर जल हौज में पानी इकटठा करके दिन में बिजली नहीं होने पर भी सिचाई कर लेता हे। इससे किसान को सिचाई में आ रही अव्यवस्था से छुटकारा मिला है तथा सिंचाई क्षेत्रा एवं फसल क्षेत्रा में इजाफा हुआ है।
वर्षा जल का संग्रहण कर सिंचाई
अजमेर, 15 जून। केकड़ी तहसील के देवगांव की कृषक श्रीमती छोटी पत्नी अब्दुल मजीद के गांव मे ंअधिकतर कुएं सुखे है। जिन कुओं में पानी है वह भी तैलिया पानी होने के कारण सिंचाई के लिए उपयुक्त नहीं था। कृषक द्वारा खरीफ में ही फसलों का उत्पादन लिया जाता था। रबी में पानी नहीं होने के कारण घर के पुरूषों को मजदूरी करने बाहर जाना पड़ता था। वर्ष 2011-2012 में कृषक ने कृषि विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अन्तर्गत फार्म पौण्ड (खेततलाई ) का निर्माण कराया। इसमें वर्षा का जल 12000 लाख लीटर संग्रहित कर रबी मे भी फसलों की पैदावार ले रही है। फार्म पौण्ड सिचाई का सस्ता साधन है। इससे डीजल पम्पसेट से पम्पिंग कर सिंचाई की जा रही है। फार्म पौण्ड निर्माण से पुरूषों को घर के बाहर जाकर मजदुरी नहीं करनी पड़ती। खरीफ के साथ रबी में भी फसलों का उत्पादन लेकर कृषक श्रीमती छोटी आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो गयी है।
कृषक बना अविष्कारक
अजमेर, 15 जून। सिलोरा के डीडवाड़ा गांव के कृषक श्री रतन पुत्रा श्री रामधन यादव, के पास लगभग 1.5 से 2 हैक्ट. जमीन है जिसमे खेती करता है।कृषि कार्य करने के लिये कृषक को श्रमिको की आवश्यकता होती हे जिससे अधिक खर्चा आता हे। कृषक ने समय तथा पैसा बचाने के लिये एक यन्त्रा बनाया जिससे निराई-गुडाई की जा सकती है। इस यन्त्रा में लाइन से लाइन की दूरी इस प्रकार व्यवस्थित की है कि वर्तमान समय मे ंप्रचलित सीड ड्रिल एवं कल्टीवेटर से बोई गई फसलों मे आसानी से निराई-गुडाई हो सके। इसकी लागत लगभग 42000/-रू है। दलहनी फसलों में ये अत्यधिक सफल निराई-गुडाई यंत्रा साबित हुआ हे। इस हेतु कृषक को राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद की तरफ से एक लाख का पुरूस्कार मिला है।कृषक इस यन्त्रा को अपने खेत के साथ-साथ दूसरे कृषको को भी किराये पर उपलब्ध कराता है जिससे कृषक का आर्थिक स्तर बढ़ा है।
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