अजमेर।अजमेर दरगाह बम ब्लास्ट मामले में आया बड़ा फैसला, एनआईए कोर्ट ने तीन को दोषी माना
बहुचर्चित दरगाह बम ब्लास्ट का फैसला जयपुर की एनआईए कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया। अदालत ने भावेश पटेल, देवेंद्र गुप्ता को मामले में दोषी ठहराया। इनमें एक आरोपी सुनील जोशी की मृत्यु हो चुकी है। इस मामले में शेष अन्य को बरी कर दिया गया।
अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में वर्ष 2007 में रमजान (11 अक्टूबर) के महीने में हुए बम विस्फोट में तीन जनों की मौत हो गई थी जबकि करीब 15 अन्य घायल हुए थे।
अजमेर के इतिहास में विश्व प्रसिद्ध दरगाह जैसे धार्मिक स्थल पर हुृए विस्फोट ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। अनुसंधान में वारदात के पीछे विशेष संगठन का भी नाम आया। बाद में इसकी जांच सीबीआई की विशेष अदालत ने की। मामले में चार आरोप-पत्र दाखिल किए गए थे।
सरकार अभियोजन की ओर से जी. सी. चटर्जी उनकी मृत्यु उपरांत अश्वनी शर्मा विशेष लोक अभियोजक के रूप में तथा बचाव पक्ष की तरफ से जगदीश सिंह राणा, अश्विनी बोहरा व एस. पी. राव ने पैरवी की।
तीन जनों की हुई थी मौत
मामले में हैदराबाद निवासी और अजमेर में दुकान लगाने वाले सैय्यद सलीम, मोहम्मद शोएब की मौके पर मौत। डा. बद्रीऊल हसन की जयपुर में इलाज के दौरान मौत।
एक नहीं दो बम लगाए थे
जांच में यह बात सामने आई कि दरगाह में एक नहीं दो बम फटते। दरअसल एक बम आहाता ए नूर में एक थैले में छिपा कर रखा गया था जो फटा था।
दूसरा बम शाहजानी मस्जिद के सामने जहां महिलाएं अंदर की ओर बैठकर इबादत करती हैं वहां रखा गया था लेकिन किसी ने उस थैले को झालरे की ओर रख दिया। बाद में इसे किसी ने पूछताछ कार्यालय के पास रख दिया। जब तफ्तीश में इसे घटना के अगले दिन बरामद किया गया जिसे बम निरोधक दस्ते ने निष्क्रिय कर दिया था।
चार आरोप पत्र हुए थे दाखिल
1- आरोप पत्र संख्या 92 विरुद्ध - देवेन्द्र गुप्ता अजमेर का मूल लेकिन वारदात के समय मध्य प्रदेश निवास, चंद्रशेखर शाजापुर मध्यप्रदेश, लोके श शर्मा महू, मध्य प्रदेश
2 - आरोप पत्र संख्या 92 ए विरुद्ध - मुकेश वासानी व हर्षद - गुजरात निवासीगण
3 - आरोप पत्र संख्या 92 बी विरुद्ध - नबकुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद, भरतेश्वर उर्फ भरत
4 - आरोप पत्र संख्या 92 सी विरुद्ध - भावेश पटेल व मेहूल इनकी गिरफ्तारी हुई लेकिन चार्जशीट नहीं दाखिल हुई, दो आरोपितों की सुनवाई के दौरान मौत इन धाराओं मंें चला मुकदमा 302, 307, 295ए व 120 बी, 201 भादस, धारा 3 बम विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, धारा 13(2),16,18 व 20 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम।
सीबीआई ने मामले में जांच के दौरान रमेश गोहिल, जयंती भाई मेहूल व हर्षद को गिरफ्तार किया था। यह गुजरात के बेस्ट बेकरी कांड में भी आरोपित थे इनके मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा सुनवाई के आदेश दिए थे। इनमें से जयुती भाई व रमेश गोहिल की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी।
इन्हें सीआरपीसी की धारा 167 (2) में गिरफ्तारी हुई लेकिन चार्जशीट पेश नहीं की थी। 149 गवाह, 13 पक्षद्रोही, 451 दस्तावेज मामले में 149 लोगों की गवाही हुई जिसमें झारखंड के एक मंत्री भी शामिल रहे। वहीं 451 दस्तावेज पेश किए गए। प्रकरण में मात्र 13 गवाह पक्षद्रोही हुए थे।
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