सुरक्षा ऐसी की परिंदा भी पर नहीं मार सके, जालोर जेल तोड़ फरार हुए कुख्यात तस्कर को कोर्ट में किया पेश
कमलसिंह के खिलाफ राजस्थान व मध्यप्रदेश में कई मामले दर्ज है। अक्टूबर 2016 को 7-8 दिसंबर 2011 की मध्यरात्रि में जालोर जेल में भजन सुनाकर रात को 13 बंदी लेकर जेल से फरार हुए कमल राणा को एसटीएफ, राजस्थान व मध्यप्रदेश की पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए रणथंभौर से गिरफ्तार कर लिया था। कुख्यात तस्कर कमल राणा पर मध्यप्रदेश और राजस्थान पुलिस ने 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा था। दोनों राज्यों में लूट, डकैती जैसे जघन्य अपराध कमल राणा पर दर्ज हैं। कुख्यात तस्कर कमल राणा पर करीब 25 मामले दर्ज हैं। कमल राणा वर्ष 2011 में जालोर जेल में कैद था। इस दौरान 7-8 दिसंबर की मध्यरात्रि को भजन कीर्तन की आवाज के बीच रोशनदान के सरिए काटकर कमलसिंह समेत कुल 14 कैदी मेघसिंह, गजेंद्रसिंह, किशनलाल, भागीरथ विश्नोई, गणेशाराम जाट, रंगलाल मेघवाल, कुशालचंद्र, उत्तमचंद्र माली, भाकराराम लुहार, प्रदीपराव, कालूसिंह, किशोर और भीमाराम भाग गए थे। इस आरोपितों में से अब तक 11 कैदी पुलिस गिरफ्त में थे, जबकि लेकिन फरारी का मुख्य सूत्रधार कुख्यात तस्कर मूलत: बंबोरी (चित्तौडग़ढ़) निवासी कमलसिंह राजपूत उर्फ कमल राणा पुत्र डूंगरसिंह, नांद (बाड़मेर) निवासी गणेशाराम जाट तथा अरणाय (जालोर) निवासी भाखराराम लोहार को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई थी।
नशे का सौदागर है कमल
पिछले साल पुलिस गिरफ्त में आए कमलसिंह की गिरफ्तारी पर यह सामने आया था कि वह डोडा चूरा, अफीम, स्मैक की तस्करी भी कर रहा था। उसने अलग ही गैंग बना रखी थी और गैंग का मुखिया बना हुआ था। इसकी गैंग ग्रामीण क्षेत्र में तस्करी की गतिविधियों को अंजाम देते थे और तस्कर राणा को खबर करते थे।
सिरोही पुलिस ने किया था गिरफ्तार
राणा को सिरोही पुलिस ने वर्ष-2011 में 5 सितंबर को कैलाश नगर की पहाडिय़ों में गिरफ्तार कर कार से करीब 1 क्विंटल अफीम बरामद किया था। उसके साथ अन्य एक आरोपित भी पकड़ा गया था। उस दौरान सिरोही जिला कारागार की मरम्मत होने के कारण उसे अन्य बंदियों के साथ जालोर जेल में शिफ्ट किया गया था। लेकिन दिसंबर-2011 में वह योजनाबद्ध तरीके से जले की सलाखें काटकर फरार हो गया था।
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