मां-बेटी दुल्हन बन ले रहीं संन्यास, हाथों में मेंहदी लगाकर किया ऐसा डांस
- सफेद वस्त्र धारण कर सांसारिक सुखों का त्याग कर साध्वी का जीवन जिएंगी।
- एसएस जैन सभा की ओर से सामूहिक जैन भागवती दीक्षा महोत्सव किया जा रहा है।
- मेहंदी रस्म के दौरान चारों ने नृत्य किया और बाद में यहां पहुंचे सभी जैन मुनियों से आशीर्वाद लिया।
दुल्हन की तरह सजी महिलाएं
- मंगलवार की दोपहर को सभी महिलाओं को परिजनों ने दुल्हन तरह सजाया गया।
- शहर के कई मार्गों से शोभा यात्रा निकाली गई सभी ने स्वागत किया। सभी ने जमकर डांस भी किया।
- साध्वी बन रही महिलाओं ने हाथों में मेंहदी भी लगाई।
- परिजनों का कहना था कि हमारे परिवार के लिए यह बहुत खुशी का दिन है हम सब बेदह खुश हैं।
- इसलिए वे इसे पूरी तरह सेलीब्रेट करना चाहते हैं और सभी इच्छाएं पूरी की गई हैं, जो बाकी रह गई थीं।
गृहस्थ जीवन बन रहीं वैरागन
- जैन भागवती दीक्षा महोत्सव में गृह जीवन छोड़ साधु जीवन में प्रवेश करने जा रही वैरागन रही हैं ये महिलाएं।
- राजरानी चहल, वैरागन पूनम जैन, वैरागन एकता चहल व वैरागन कोमल जैन को गांधी मंडी में जैन समाज के लोगों के घर सुबह व दोपहर को बान बैठाया गया।
- इसके बाद चारों वैरागन ढोल पर नाचते हुए मेहंदी महोत्सव में पहुंची। सभा में वैरागनों को प्लास्टिक गुड़िया दी गई और नोटों की माला पहनाकर शादी जैसी रस्म पूरी की गई।
-इसके बाद मुनि सुभद्र महाराज ने चारों वैरागनों काे आशीर्वाद दिया। मंगलवार को वैरागनों ने अंतिम बार लाल जोड़ा पहना।
- सुभद्र मुनि ने कहा कि चारों वैरागन काफी समय से दीक्षा की शिक्षा ले रही थी। शिक्षा पूर्ण करने के बाद चारों गृह जीवन त्याग कर रही है।
- उन्होंने कहा कि जीवन में सभी सुविधाएं, लालच, लोभ त्याग करने के बाद ही साधु जीवन में प्रवेश होता है। जीवन में साधु की मंजिल सिर्फ ईश्वर होती है।
- इस मौके पर आनंद जैन मुनि, पियूष जैन मुनि, सविंद्र जैन मुनि, धैर्य जैन मुनि, महावीर प्रसाद जैन, राेशनलाल जैन, राजेंद्र जैन, ईश्वर जैन व डॉ. एपी जैन मौजूद रहे।
पूरे जमींदार परिवार ने अपनाया साधु जीवन
- जींद जिले के बड़ौदी गांव के जाट जमींदार सुमेर सिंह के पूरे परिवार ने जैन साधु जीवन अपनाया है।
- बुधवार को वैरागन बन रही राजरानी चहल सुमेर सिंह की पत्नी और एकता चहल उनकी बेटी हैं।
- सुमेर सिंह खुद भी एक साल पहले जैन साधु जीवन अपना चुके हैं। मुनि सुमेर ने बताया कि बड़ोदा गांव से ही पास में बड़ोदी बसा हैं।
- यहां से जैन धर्म के 35 से अधिक साधु हुए हैं जोकि देशभर में सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की शिक्षा दे रहे हैं। उसके पास तीन बेटी और एक बेटा हैं।
- वर्ष 2005 में उनकी बड़ी बेटी रानी साध्वी बनकर ज्ञान प्रभा के तौर पर जानी गई। इसके अगले साल दूसरी बेटी मीना ने साध्वी दिव्यांशी के नाम से दीक्षा ली।
- वर्ष 2015 में उनके इकलौते बेटे श्रवण कुमार ने भी बहनों से प्रेरणा लेते हुए साधु मार्ग पर चलने का निर्णय लिया।
- एक साल पहले उन्होंने और अब उनकी पत्नी और छोटी बेटी जैन साधु दीक्षा ले रही है। सांसारिक मोह, माया को त्याग उन्होंने साधु जीवन अपनाया है।
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