जैसलमेर जिले में बच्चों अधिकारों की सुरक्ष़्ाा/संरक्षण हेतु पुलिस अधीक्षक द्वारा जागरूकता हेतु संगौष्ठी का आयोजन
विभिन्न कानूनों एवं नियमों की दी जानकारी,
बाल श्रम को रोकने के लिए विभिन्न योजनाओं की दी जानकारी
विभिन्न संस्थाओं के सदस्या, सीएलजी सदस्य एवं गणमान्य व्यक्ति रहे उपस्थित
पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर गौरव यादव की अध्यक्षता में पुलिस थाना कोतवाली जैसलमेर में जिले में बच्चों के अधिकारों की सुरक्ष़्ाा/संरक्षण एवं राज्य सरकार द्वारा बच्चों को दी जाने वाली योजनाओं के संबंध में गोष्ठी का आयोजन किया गया। उक्त गोष्ठी में पुलिस अधीक्षक के साथ भवानीशंकर मीणा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जैसलमेर, नरेन्द्र कुमार दवे, वृताधिकारी वृत जैसलमेर, विरेन्द्रसिंह उपअधीक्षक पुलिस, शहर कोतवाल बुद्धाराम निपु, जेठाराम निपु थानाधिकारी महिला थाना जैसलमेर, ब्रजमोहन रामदेवरा अध्यक्ष सीडब्लूसी, डाॅ. जितेन्द्रसिंह, यूआईटी चेयरमेन जैसलमेर, श्रीमति कविता कैलाश खत्री, सभापति नगर परिषद जैसलमेर, हिम्मतसिंह कविया सहायक निदेशक सामाजिक न्याय, अधिकारिता विभाग जैसलमेर, भवानीप्रताप चारण श्रम अधिकारी, एएसटीयू प्रभारी पुखराज उ.नि. पुलिस, सीडब्लूसी के सदस्य कंवराजसिंह राठौड, मांगीलाल सोलंकी व भूरसिंह राठोड, अर्जूनदान चाईल्ड लाईन जैसलमेर तथा शहर के गणमान्य एवं थाने सीएलजी सदस्य तथा थाना कोतवाली के बाल कल्याण अधिकारी अरूण कुमार एवं थाना के सीविल नियुक्त बाल कल्याण सदस्य जेतमालसिंह व श्रीमति जुगना स्वामी उपस्थित रहे।
गोष्ठी में उपस्थित वृताधिकारी वृत जैसलमेर द्वारा आयोजित मिटिंग के बारे में विस्तार में जानकारी दी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा सम्बोधित करते हुए बताया कि छोटे बच्चों को जबरन मजदूरी नहीं करवाने की बात रखी तथा इस प्रकार का कोई मामला समाने पर समस्त संस्थाओं एवं उपस्थित गणमान्य व्यक्यिों को उसके विरूद्ध कार्यवाही करवाने की बात रखी। इसी दौरान बाल कल्याण अधिकारी द्वारा भी गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए बच्चों के बचपन साथ हो रहे अन्याय की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि जिले में संचालित विभिन्न होटलों, रेस्टोरेंट, ढाबों मेें उनसे कई कार्य करवाये जाते है तथा न करने पर मारपीट भी की जाता है जोकि बहुत अन्याय संगत है इस संबंध में सभी को सतर्क रहने की बात रखी। उन्होने आम जन की सतर्कता के बारे में बताते हुए एक घटना का जिक्र किया एक किसी धोबी घाट में गरीब छोटे बच्चों से पोटेशियम जैसे खतरनाक रसायन से कार्य करवाने की सुचना 1098 पर दी गई थी जिस पर तुरंत कार्यवाही कर बच्चों को मुक्त करवाकर बाल श्रम करवाने वाले के विरूद्ध काननू कार्यवाही करवाई गई। इसी प्रकार प्रत्येक नागरिक को हर वक्त बाल श्रम को रोकने के लिए तत्पर रहना चाहिए। इसी संबंध में यूआईटी चैयरमेर एवं नगरपरिषद सभापति ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
इसी दौरान सहायक निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जैसलमेर ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 0 से 18 वर्ष तक विधवाओं के तीन बच्चों तक एड्स पिडित अनाथ एवं विकलांग व्यक्तियों के लिए 500 से 1000 रूपये तक की पेन्शन दी जा रही है तथा लावारिस मिलने वाले छोटे बच्चों के परिजनों की कोई जानकारी नहीं मिलती है तो उसके समस्त भरण पोषण की जिम्मेदारी बाल आश्रम द्वारा की जाती है तथा व्यस्क होने पर उसे अपने पैरों पर खडा होने पर रोजगार दिया जाता हैं। श्रम अधिकारी जैसलमेर द्वारा बताया गया कि गरीब व्यक्तियों को अपने बच्चों को बाल श्रम में नहीं झोकने के लिए गरीब व्यक्तियों के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाऐं जैसे कोई मजदूर लगातार 90 दिन तक कमठे पर मजदूरी करता है तो श्रम विभाग द्वारा उसके लिए श्रम डायरी बनाई जाती है जिसमें शुभ शक्ति योजना के तहत मजदूर की बालिक व अविवाहित बेटियों को सशक्त एवं उद्यमी बनाने के लिए 55 हजार रूपये दिये जाते है। इसके अलावा श्रमिका के बच्चों शिक्षा/साईकिल/विवाह सहायता योजना, मेघावी छात्र/छात्राओं को नकद पुरूष्कार योजना दिया जाता हैं। इसके साथ-साथ चाईल्ड लाईन द्वारा बताया गया कि अगर किसी व्यक्ति को गुमशुदा बच्चे, शोषित बच्चे, घर से भागे हुए बच्चे, तस्करी किए गऐ बच्चे, खराब हालातों में फंसे बच्चे एवं देखभाल और सुरक्षा की जरूरत बाले सभी बच्चों के लिए 1098 पर काॅल करे तथा पुलिस कंट्रोल रूम जैसलमेर के नम्बर 02992-252100 व मानव तस्करी यूनिट जैसलमेर को जरिये फोन नम्बर 02992-250449 पर सुचना देवे।
गोष्ठी में पुलिस अधीक्षक द्वारा समस्त संस्थाओं को एक साथ मिलकर कार्य करने की बात रखी तथा जिले बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा करने के निर्देश दिये तथा बच्चों के संबंध में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम 2015 के तहत विभिन्न धाराओं के तहत कार्यवाही अमल में लाने की बात कही तथा विभिन्न महत्पूर्ण धाराओं की जानकारी दी गई जिसमें से धारा 76 के तहत भीख मंगवाने के लिए नियोजन करने पर 5 वर्ष तक कारावास व 1 लाख रूपये जूर्माना तथा बच्चों को विकलांग बनाने पर 7 साल से 10 साल की सजा व 5 लाख रूपये जूर्माना से दण्डित किया जायेगा। धारा 77 के तहत बालक को मादक लिकर या स्वापक औषधि या मन प्रभावी पदार्थ देने वालों के विरूद्ध 7 वर्ष की सजा व 1 लाख रूपये जूर्माना से दण्डित किया जावेगा। धारा 78 के तहत किसी बालक से मादक पदार्थ विक्रय करवाने के विरूद्ध 7 वर्ष की सजा व 1 लाख रूपये जूर्माना से दण्डित किया जावेगा। धारा 79 तहत किशोर बालकों से श्रम या बंधूआ मजदूरी करवाने वालों के विरू़द्ध 5 वर्ष की सजा व 1 लाख रूपये जूर्माना से दण्डित किया जावेगा। धारा 81 बालकों का किसी प्रयोजन के लिए विक्रय ओर उपायन करने पर उसके विरूद्ध 5 वर्ष की सजा व 1 लाख रूपये जूर्माना से दण्डित किया जावेगा। 82 धारा के तहत शारीरिक दंड देने वालो के विरूद्ध प्रथम अपराध करने पर 10 हजार रूपये तथा उसके पश्चात अपराध करने पर 3 माह की सजा व जूर्माने से दण्डित किया जायेगा। पुलिस अधीक्षक द्वारा गोष्ठी में बताया गया कि समस्त विधालय के प्रबंधकों से सम्पर्क कर प्रातकालीन प्रार्थना के समय बच्चों को जानकारी देने की बात कही तथा पुलिस अधीक्षक द्वारा बच्चों के बचपन को सुरक्षित रखने की बात कही क्यों कि हर एक बच्चा किसी देश का भविष्य होता है तथा वह भविष्य में देश, प्रदेश, नगर, शहर एवं जिले का नाम रोशन करता है, बच्चों के भविष्य में भी देश का उज्जवल भविष्य है। इसी दौरान पुलिस अधीक्षक एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा समस्त को नव वर्ष की शुभकानाऐं देने के साथ-साथ गत वर्ष पुलिस को जिले में कानून एवं शांति व्यवस्था बनाये रखने हेतु दिये सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया।
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