बांसवाड़ा : बाप नंबरी तो बेटा बना दस नंबरी और लोगों से ठग लिए डेढ़ करोड़
दरअसल, इन पिता-पुत्र ने पहले क्रेडिट को- ऑपरेटिव सोसायटी बनाई फिर एजेंट बनाकर हजारों उपभोक्ताओं से करोड़ों का इन्वेस्टमेंट कराया। फिर इन्हीं उपभोक्ताओं से राशि प्राप्त कर कंपनी पर ताला लगा गया। इस मामले में कोतवाली थाना पुलिस ने कंपनी के खिलाफ दर्ज मुकदमे के आधार पर संचालक पिता पुत्र को सोमवार को गिरफ्तार किया, जिन्हें कोर्ट में पेश किया गया जहां से पिता जितेंद्र को न्यायिक हिरासत में भेजने और पुत्र आशुतोष को पुलिस रिमांड पर रखने के आदेश हुए।
एेसे बनाई कंपनी
सन् 2013 में शहर के विजन क्रेडिट को- ऑपरेटिव सोसायटी का निर्माण किया गया। जिसमें अध्यक्ष जितेंद्र ओझा और उपाध्यक्ष आशुतोष ओझा बने, जो पिता पुत्र हैं। कोषाध्यक्ष अंबालाल शर्मा को बनाया गया।
कंपनी के स्थापना के बाद कई एजेंटों के माध्यम से करीब 1038 ग्राहकों से लुभावनी स्कीम का झांसा देकर निवेश कराया गया। जब उपभोक्ताओं को स्कीम के अनुसार पैसे लौटाने का वक्त आया तो संचालकों ने मुंह फेर लिया और राशि लौटाने से इंकार करते रहे। उपभोक्ताओं की हड़पी गई राशि करीब 1 करोड़ 65 हजार 976 बताई जा रही है।
कोषाध्यक्ष अब भी फरार
मामले में कोषाध्यक्ष अंबालाल शर्मा फरार चल रहा है। शर्मा के भाई ने कोतवाली थाने में गुमशुदगी भी दर्ज करवाई थी। हालांकि इतना समय बीत जाने के बाद भी पुलिस अंबालाल शर्मा को तलाशने में नाकाम साबित हुई है।
एेसे हुआ मामला उजागर
धोखे से उपभोक्ताओं से राशि हड़पने का मामला तब उजागर हुआ जब गत 12 अगस्त को विजन के सलाहकार चांदरवाड़ा निवासी मणिलाल पुत्र गंगाराम कलाल और अन्य लोगों ने आरोपित आशुतोष ओझा, उसकी पत्नी टीना ओझा, पिता जितेंद्र ओझा, न्यू हाउसिंग बोर्ड निवासी अंबालाल पुत्र सीताराम शर्मा, कालिकामाता निवासी गजानंद पुत्र राधेश्याम गोयल, संध्या पंवार, आजाद चौक निवासी पंकज उपाध्याय, माहीसरोवर निवासी गिरीराज सारस्वत, मोहन कॉलोनी निवासी पवनसिंह, हिमालय नगर निवासी हरीश यादव, अमरदीप कॉलोनी निवासी पंकज मईड़ा के खिलाफ करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज कराया। कंपनी के संचालकों के खिलाफ इस प्रकार के धोखाधड़ी के कुल 7 प्रकरण एक के बाद एक करके दर्ज किए गए।
घर-घर जाकर करता था प्रोत्साहित
पुलिस के अनुसार आरोपित आशुतोष गांव गांव घर घर जाकर एडवाइजर जोडऩे और उनके माध्यम से ग्राहकों से सीधे संपर्क कर आकर्षक ब्याज का प्रलोभन देकर समिति में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता था।
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