ट्रम्प बने TIME पर्सन ऑफ द ईयर, रीडर्स पोल में 11% ज्यादा वोट लाकर जीते थे मोदी
- हर साल दिए जाने वाले इस अवॉर्ड की लिस्ट में डोनाल्ड ट्रम्प और व्लादिमीर पुतिन का नाम भी था।
- इससे पहले मोदी रीडर्स पोल में बाजी मार चुके थे। उन्हें सबसे ज्यादा 18% वोट मिले थे।
- हालांकि, मोदी "टुडे शो' पोल में पिछड़ रहे थे।
- बता दें कि टाइम मैग्जीन की ओर से हर साल खबरों पर अच्छा या बुरा असर डालने वालों में से किसी शख्स या ग्रुप को यह अवॉर्ड दिया जाता है।
फाइनल लिस्ट में थे ये 11 नाम
- फाइनल लिस्ट में 11 नाम थे। इनमें रियो ओलिंपिक में डैब्यू करनी वाली जिम्नास्ट सिमोन बिल्स, हिलेरी क्लिंटन, क्रिस्पर साइंटिस्ट्स शामिल थे।
- इनमें तुर्की के प्रेसिडेंट तैयप ओर्देगॉन, ब्रिटेन को यूरोप से अलग करने वाले नाइजेल फैराज, द फ्लिंट व्हिसिलब्लोअर, बियोंसे नोल्स, नरेंद्र मोदी, व्लादिमीर पुतिन, डोनाल्ड ट्रम्प, मार्क जुकरबर्ग का भी नाम था।
रीडर्स पोल में किसे कितने वोट मिले थे
नरेंद्र मोदी :18%
बराक ओबामा :7%
जुलियन असांजे :7%
डोनाल्ड ट्रम्प :7%
हिलेरी क्लिंटन :4%
मार्क जुकरबर्ग : 2%
मोदी के लिए TIME ने क्या कहा था?
- टाइम मैग्जीन ने 2016 में दावेदारों के उस वक्त का एनालिसिस किया था, जब-जब वो सबसे ज्यादा चर्चा में रहे।
- मोदी ने 16 अक्टूबर को गोवा में हुए ब्रिक्स देशों के समिट के दौरान पाकिस्तान को आतंकवाद का ‘निर्यातक’ देश कहा था। इस दौरान मोदी सबसे ज्यादा चर्चा में रहे।
- मोदी के नोटबंदी के फैसले की भी दुनियाभर में चर्चा रही। मीडिया में इसकी तारीफ भी हो चुकी है।
- टाइम मैग्जीन ने मोदी के बारे में कहा- भारत के पीएम देश की इकोनॉमी को ऐसी स्थिति में ले गए हैं जो ‘उभरते बाजार के तौर पर दुनिया की सबसे पॉजिटिव स्टोरी है।’
4th बार दावेदार बने थे मोदी
- मोदी लगातार चौथी बार इस खिताब के दावेदारों में शामिल हुए थे।
- मोदी टाइम पर्सन ऑफ द ईयर के लिए हुई रीडर्स की ऑनलाइन वोटिंग में दूसरी बार जीते थे।
- 2014 में उन्हें कुल 50 लाख में से 16% से ज्यादा वोट मिले थे। लेकिन तब इबोला फाइटर्स को यह खिताब दिया गया था।
- 2015 में जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल को टाइम पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया था।
अासान नहीं है विनर का सिलेक्शन
- ओपनटॉपिक और आईबीएम की वॉटसन कंपनियां इस सर्वे में टाइम की पार्टनर हैं। ये एनालिसिस में मदद करती हैं।
- इस बार ओपनटॉपिक और वॉटसन ने करीब 35 लाख ऑनलाइन सोर्स के जरिए 6 करोड़ 20 लाख डॉक्यूमेंट्स का एनालिसिस किया।
- यह जानकारी टाइम के एडीटर्स को विनर्स का नाम फाइनल करने में मदद करती है।
89 साल से दिया जा रहा यह अवॉर्ड
- टाइम पर्सन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड 1927 से दिया जा रहा है।
- इसमें ऐसे शख्स या ग्रुप को चुना जाता है, जिसने पूरे सालभर खबरों पर सबसे ज्यादा असर डाला है।
- यह असर अच्छा या बुरा कैसा भी हो सकता है। इसमें प्रेसिडेंट से लेकर प्रोटेस्टर, एस्ट्रोनॉट से लेकर एक्टिविस्ट तक शामिल हो सकते हैं।
- 1999 तक इस अवार्ड को टाइम मैन ऑफ द ईयर कहा जाता था।
- 1938 में हिटलर को यह खिताब मिला था।
11 बार पर्सन को नहीं मिला अवार्ड
- 11 बार ऐसा हुआ है जब टाइम पर्सन ऑफ द ईयर किसी व्यक्ति को नहीं चुना गया।
- 1982 में कम्प्यूटर को मशीन ऑफ द ईयर डिक्लेयर किया गया था।
- 1988 में धरती पर मंडराते खतरे की वजह से इसे प्लेनेट ऑफ द ईयर डिक्लेयर किया गया था।
- 1960 में अमेरिकन साइंटिस्ट्स को यह अवार्ड दिया गया।
- 1975 में अमेरिकी महिलाओं को यह अवार्ड दिया गया।
- 2011 में दुनियाभर में विरोध-प्रदर्शन करने वालों को टाइम पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया।
चार्ल्स लिंडबर्ग पहले और सबसे यंग विनर
- पायलट चार्ल्स लिंडबर्ग को 1928 में पहली बार टाइम पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया था।
- उन्हें यह अवार्ड अकेले ही प्लेन से न्यूयॉर्क से पेरिस तक अटलांटिक ओशन पार करने के लिए दिया गया था।
- तब उनकी उम्र सिर्फ 25 साल थी। वे अभी तक सबसे कम उम्र में यह खिताब पाने वाले शख्स हैं।
- मार्क जुकरबर्ग दूसरे सबसे यंग टाइम पर्सन ऑफ द ईयर हैं। 2010 में जब उन्हें यह सम्मान मिला उनकी उम्र 26 साल थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें