जोधपुर भावी पीढ़ी में संस्कारों के बीजारोपण पर मुख्यमंत्री ने की संतों से वार्ता,
मुख्यमंत्री रविवार सुबह सूरसागर बड़ा रामद्वारा पहुंची और वहां नवनिर्मित संत निवास और प्रवेश द्वार का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने रामद्वारा परिसर में स्थित देवल में वाणीजी का पूजन एवं हनुमान मंदिर में दर्शन एवं पूजा अर्चना कर राज्य की समृद्धि और प्रगति के लिए प्रार्थना की। रामद्वारा के प्रमुख संत मोहनदास से मिलकर उनकी कुशलक्षेम पूछी और आशीर्वाद प्राप्त किया।
सूरसागर रामद्वारा के अधिकारी संत रामप्रसाद के साथ प्रदेश की भावी पीढ़ी में संस्कारों के बीजारोपण के लिए लंबी देर तक वार्ता की। संत रामप्रसाद ने मुख्यमंत्री से कहा संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। इसके प्रचार प्रसार के लिए कुछ ज्ञानवद्र्धक व सद्प्रेरणा वाले गीता के प्रमुख श्लोक स्कूलों व महाविद्यालय स्तर के पाठ्यक्रम में भी शामिल करने चाहिए। उन्होंने इसके लिए श्रीमद भगवद गीता और संत रामसुखदास की ओर से स्कूली पाठ्यक्रम के लिए चयनित गीता श्लोक भी मुख्यमंत्री को सुनाए जिसे उन्होंने गौर से सुना और उसका भावार्थ जानने के बाद ब्रह्मलीन संत रामसुखदास रचित साधक संजीवनी पोथी को हाथों में लेकर चुनिंदा श्लोक खुद पढ़े।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचश्लोकी गीता के श्लोक पाठ्यक्रम में सम्मिलित के हर संभव प्रयास किए जाएंगे। सूरसागर रामद्वारा की ओर से तिंवरी में संचालित गुरुकुल के बच्चों को चारों वेदों के अध्ययन की व्यवस्था होनी चाहिए। संत ने कहा कि पांच श्लोकी गीता पाठ विद्यालयी पाठ्यक्रम उत्तराखण्ड में लागू है। गीता श्लोक कभी भी कहीं भी कोई भी कर सकता है और जनमानस में भी उपयोगी है।
राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ. जया दवे ने मुख्यमंत्री से कहा कि अकादमी की ओर से संभाग स्तरीय गीता श्लोक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने संत अभयराम के समाधि स्थल पर भी पुष्पांजलि अर्पित कर परिक्रमा की। संतों के कहने पर मुख्यमंत्री ने रामद्वारा की परम्परागत महाप्रसादी ग्रहण की। संत रामप्रसाद ने सभी रामस्नेही संतों की ओर से मुख्यमंत्री को शॅाल ओढ़ाया और धार्मिक पुस्तकों का सेट भेंट किया।
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